भरतपुर. प्रदेश में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. बीते 3 साल की बात करें तो प्रदेश में 13 हजार से अधिक मासूमों के साथ दरिंदगी के मामले सामने आए हैं. नाबालिगों के साथ सबसे ज्यादा अलवर में ज्यादती और दुष्कर्म की घटनाएं हुईं हैं, जबकि भरतपुर भी पॉक्सो के मामलों में प्रदेश के शीर्ष पांच जिलों में शामिल है. जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सरकार और पुलिस नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है, लेकिन बड़ी संख्या में अपने विरोधियों को अन्य विवादों के चलते फंसाने के लिए झूठे पॉक्सो केस दर्ज कराए जाते हैं.
प्रदेश के इन जिलों में सर्वाधिक मामले : गृह विभाग की बीते तीन साल ( जनवरी 2021 से दिसंबर 2023) की रिपोर्ट को देखें तो पॉक्सो के कुल 13,380 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें सर्वाधिक मामले अलवर में 483 दर्ज हुए. इसके अलावा सीकर में 446, उदयपुर में 440, भीलवाड़ा में 416 और भरतपुर में 410 पॉक्सो केस दर्ज हुए हैं. यानी प्रदेश के ये वो टॉप 5 जिले हैं, जहां मासूम सबसे ज्यादा असुरक्षित है.
प्रदेश में यहां इतने मामले : जयपुर में 1060, जोधपुर शहर व ग्रामीण में 596, कोटा शहर व ग्रामीण में 528, हनुमानगढ़ में 396, डूंगरपुर में 383, नागौर में 383, बीकानेर में 356, बारां में 348, झालावाड़ में 336, डीग में 300, अजमेर में 281 मामले दर्ज हुए हैं.
इसे भी पढ़ें- पॉक्सो कोर्ट का फैसला- अश्लील हरकत पर युवक को 3 साल की सजा
प्रदेश में 23 फीसदी व जिले में 43 फीसदी एफआर : बीते तीन सालों में राजस्थान में पॉक्सो मामले कुल 13,380 सामने आए हैं, इनमें से 3092 मामलों (यानी 23%) में एफआर लग गई. ये मामले जांच के बाद झूठे पाए गए. वहीं, भरतपुर जिले में तीन साल में कुल 410 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 180 मामले झूठे पाए गए. भरतपुर पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि जिले में करीब 43 फीसदी से अधिक मामले जांच में झूठे पाए गए.
इसे भी पढ़ें- झालावाड़ में नाबालिग छात्रा से गैंगरेप, दो आरोप डिटेन
व्यक्तिगत विवादों में ही पॉक्सो का झूठा केस : उन्होंने बताया कि कई बार लोग जमीन जायदाद, रास्ते, नालियों और व्यक्तिगत विवादों के चलते लोगों को फंसाने के लिए पॉक्सो का झूठा केस दर्ज करा देते हैं. यही वजह है कि जिले में बड़ी संख्या में मामलों में एफआर लग जाती है. प्रदेश में बीते तीन साल में दर्ज हुए कुल मामलों में से 593 मामलों की जांच अभी पेंडिंग है. इनमें से अधिकतर केस ऐसे हैं जो वर्ष 2023 के अंतिम माह में दर्ज हुए हैं और उनकी जांच प्रक्रिया चल रही है.
" जिले में नाबालिग बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता रहती है. हमारा प्रयास रहता है कि बच्चे सुरक्षित माहौल में अपनी पढ़ाई कर सकें और जीवनयापन कर सकें. इसके लिए सरकार, पुलिस मुख्यालय और जिला पुलिस के स्तर पर जरूरी कदम व एहतियात बरते जाते हैं." - एसपी कच्छावा