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राजस्थान के 'डार्क जोन' में पेयजल संकट, 17 बांधों में से सिर्फ एक में बचा पानी - Alwar Dams - ALWAR DAMS

अलवर जिला लंबे समय से जल संकट से जूझ रहा है. वैसे तो यहां 17 बांध हैं, लेकिन पानी सिर्फ एक में ही बचा है और उसमें भी सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए दो फीट चार इंच पानी बचा है. अब जिले के बांधों को अच्छे मानसून का इंतजार है, तभी बांध भर सकेंगे और भूजल स्तर में बढोतरी होने से पेयजल संकट का निराकरण हो सकेगा.

Wait for Monsoon in Alwar District
अलवर जिले के बांधों को मानसून का इंतजार... (ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 14, 2024, 3:15 PM IST

अधिशासी अभियंता ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Alwar)

अलवर. जिले में सिंचाई विभाग के कुल 17 बांध हैं, इनमें से वर्तमान में 16 बांध पूरी तरह सूख चुके हैं. केवल सिलीसेढ़ में 18 फीट 4 इंच पानी बचा है. इसमें भी 16 फीट पानी मत्स्य पालन के लिए आरक्षित रखना होता है, यानी मात्र 2 फीट 4 इंच पानी सिंचाई आदि कार्यों के लिए अभी बचा है. वैसे सिलीसेढ़ की कुल भराव क्षमता 28 फीट 9 इंच है, लेकिन पिछले मानसून के दौरान अच्छी बारिश नहीं होने से गर्मी में सिलीसेढ़ में ज्यादा पानी नहीं बचा है.

बांधों के सूखने का पेयजल संकट से सीधा संबंध : गर्मियों में ज्यादातर बांधों के सूखने का जिले के पेयजल संकट से सीधा सम्बन्ध है. कारण है कि पूरा अलवर जिला अभी डार्क जोन में हैं. वहीं, बांधों में पानी नहीं से भूजल स्तर में गिरावट होती है, जिससे पीने के पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता. अलवर जिले में वर्तमान में कोई भी सतही जल परियोजना नहीं है. इस कारण पेयजल की पूर्ति जमीन से बोरिंग के जरिए निकलने वाले पानी पर टिकी है और भूजल में गिरावट होने से जमीन से भी पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें : बूंदी में नियमित जलापूर्ति की मांग को लेकर वार्डवासी टंकी पर चढ़े, पार्षद भी साथ गए - Water Crisis In Bundi

सिंचाई विभाग बांधों की मरम्मत के प्रयास में जुटा : सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजय खत्री ने बताया कि मानसून के दौरान जिले के बांध पानी से लबालब हो, इसके लिए सिंचाई विभाग ने अभी से प्रयास शुरू कर दिया है. मानसून पूर्व बांधों की मरम्मत के लिए विभाग की ओर से 7 कार्यों के लिए 57 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेजा गया है. प्रस्ताव के मंजूर होने पर इस राशि से बांधों की पाल एवं मिटटी से भरे कटटे एवं छोटी-मोटी मरम्मत कराई जाएगी.

पुराने अलवर जिले में में सिंचाई विभाग के 22 बांध हैं, इनमें केवल सिलीसेढ़ बांध में वर्तमान में पानी बचा है. शेष 21 बांध पूरी तरह सूख चुके हैं. गत मानसून के दौरान पुराने अलवर जिले के 10 बांधों में पानी की आवक हुई है, लेकिन गर्मी के चलते ज्यादातर बांधों का पानी सूख चुका है. अब आगामी मानसून के दौरान ही बारिश के पानी से बांधों के भरने की उम्मीद है.

अधिशासी अभियंता ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Alwar)

अलवर. जिले में सिंचाई विभाग के कुल 17 बांध हैं, इनमें से वर्तमान में 16 बांध पूरी तरह सूख चुके हैं. केवल सिलीसेढ़ में 18 फीट 4 इंच पानी बचा है. इसमें भी 16 फीट पानी मत्स्य पालन के लिए आरक्षित रखना होता है, यानी मात्र 2 फीट 4 इंच पानी सिंचाई आदि कार्यों के लिए अभी बचा है. वैसे सिलीसेढ़ की कुल भराव क्षमता 28 फीट 9 इंच है, लेकिन पिछले मानसून के दौरान अच्छी बारिश नहीं होने से गर्मी में सिलीसेढ़ में ज्यादा पानी नहीं बचा है.

बांधों के सूखने का पेयजल संकट से सीधा संबंध : गर्मियों में ज्यादातर बांधों के सूखने का जिले के पेयजल संकट से सीधा सम्बन्ध है. कारण है कि पूरा अलवर जिला अभी डार्क जोन में हैं. वहीं, बांधों में पानी नहीं से भूजल स्तर में गिरावट होती है, जिससे पीने के पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता. अलवर जिले में वर्तमान में कोई भी सतही जल परियोजना नहीं है. इस कारण पेयजल की पूर्ति जमीन से बोरिंग के जरिए निकलने वाले पानी पर टिकी है और भूजल में गिरावट होने से जमीन से भी पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें : बूंदी में नियमित जलापूर्ति की मांग को लेकर वार्डवासी टंकी पर चढ़े, पार्षद भी साथ गए - Water Crisis In Bundi

सिंचाई विभाग बांधों की मरम्मत के प्रयास में जुटा : सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजय खत्री ने बताया कि मानसून के दौरान जिले के बांध पानी से लबालब हो, इसके लिए सिंचाई विभाग ने अभी से प्रयास शुरू कर दिया है. मानसून पूर्व बांधों की मरम्मत के लिए विभाग की ओर से 7 कार्यों के लिए 57 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेजा गया है. प्रस्ताव के मंजूर होने पर इस राशि से बांधों की पाल एवं मिटटी से भरे कटटे एवं छोटी-मोटी मरम्मत कराई जाएगी.

पुराने अलवर जिले में में सिंचाई विभाग के 22 बांध हैं, इनमें केवल सिलीसेढ़ बांध में वर्तमान में पानी बचा है. शेष 21 बांध पूरी तरह सूख चुके हैं. गत मानसून के दौरान पुराने अलवर जिले के 10 बांधों में पानी की आवक हुई है, लेकिन गर्मी के चलते ज्यादातर बांधों का पानी सूख चुका है. अब आगामी मानसून के दौरान ही बारिश के पानी से बांधों के भरने की उम्मीद है.

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