दुर्ग : राजनांदगांव में 5 अप्रैल को तेरह साल की किशोरी ने पढ़ाई के लिए दबाव डालने पर जहर खा लिया था.जिसे इलाज के लिए दुर्ग के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.लेकिन इस दौरान ना ही किशोरी के परिजनों ने और ना ही हॉस्पिटल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी. इलाज के दौरान जब किशोरी की जान चली गई तब मोहन नगर थाना दुर्ग को इसकी सूचना दी गई. जिसमें हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है.जिसके बाद मोहन नगर थाना टीम इस मामले की जांच कर रही है.
नोटिस के बाद भी हॉस्पिटल ने नहीं दिया जवाब : इस मामले में दुर्ग जिला नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉक्टर अनिल शुक्ला ने भिलाई स्थित डी-मार्ट के पास आरोग्यम अस्पताल को दो दिनों के अंदर नोटिस जारी कर पूरे मामले में जवाब तलब किया था. जिसका आज आखिरी दिन था. अस्पताल प्रबंधन की ओर से सही जवाब ना आने पर नोडल अधिकारी ने समुचित कार्रवाई करने की बात कही है.
आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी जमा करवाएं पैसे : आपको बता दें कि बीते 5 अप्रैल को किशोरी को राजनांदगांव से भिलाई के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.जहां इलाज के दौरान 16 अप्रैल को किशोरी की मौत हो गई. अस्पताल प्रबंधन में किशोरी के इलाज के नाम पर आयुष्मान कार्ड होल्डर होने के बाद भी एक लाख की राशि जमा करवाई.इलाज के दौरान किशोरी के परिजनों को प्रबंधन ने गुमराह भी किया.जिसे लेकर दुर्ग जिला नर्सिंग होम एक्ट अधिकारी डॉक्टर अनिल शुक्ला ने अब कार्रवाई की बात कही है.