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इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट वाले अभ्यर्थी सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के योग्य नहीं - इलाहाबाद हाईकोर्ट नर्सरी ट्रेनिंग

नर्सरी ट्रेनिंग कर चुके अभ्यर्थियों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court Nursery Training) ने अहम टिप्पणी की. कहा कि यह योग्यता बीटीसी के समक्ष नहीं है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 7:41 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह योग्यता बीटीसी के समक्ष भी नहीं है, इसलिए नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक अभ्यर्थी कक्षा 1 से 5 तक परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त होने की योग्यता नहीं रखते हैं. नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक कई अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशरी ने दिया.

याचियों का कहना था कि उन्होंने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आवेदन किया था. काउंसलिंग में शामिल हुए मगर न्यूनतम अर्हता न होने के आधार पर उनको चयनित नहीं किया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचियों के अधिवक्ता ने 17 अक्टूबर 2013 को जारी विज्ञापन को भी चुनौती दी.

कहा कि विज्ञापन में नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट को न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया था जबकि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन चाहे इसे किसी भी नाम से जाना जाए सहायक अध्यापक होने के लिए न्यूनतम अर्हता में शामिल है.

कहा गया कि 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अभ्यर्थी के पास इंटरमीडिएट में 50 प्रतिशत अंकों के साथ एलिमेंट्री एजुकेशन में 2 वर्षीय डिप्लोमा चाहे से किसी भी नाम से जाना जाए होना चाहिए क्योंकि याचीगण के पास नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट है, वह डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन और बीटीसी के समक्ष है. इसलिए उनको सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति से वंचित करना गलत है.

बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट का पाठ्यक्रम प्री स्कूल एजुकेशन अर्थात कक्षा एक व दो तक के बच्चों के हिसाब से तैयार किया गया है. इसलिए इसे बीटीसी या डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन के समकक्ष नहीं माना जा सकता है. नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने की अर्हता नहीं रखते हैं.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि दोनों पाठ्यक्रमों में शामिल किए गए कोर्स को देखने से स्पष्ट है कि बीटीसी कोर्स कक्षा 1 से 5 तक के लिए तैयार किए गए हैं जबकि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट शिशु शिक्षा का पाठ्यक्रम है और यह प्री स्कूल या कक्षा एक और दो तक के बच्चों के हिसाब से तैयार किया गया है. इस हिसाब से न सिर्फ बेसिक शिक्षा परिषद इसके विरुद्ध है बल्कि सिटी नर्सरी की पाठ्य सामग्री भी बीटीसी के समक्ष नहीं है जो कि सहायक अध्यापक होने के लिए न्यूनतम अर्हता है. कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

यह भी पढ़ें : आज यूपी पुलिस की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा, सेंटर पर पहुंचने से पहले ध्यान दें ये बातें, गड़बड़ी करने वालों पर लगेगा NSA

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह योग्यता बीटीसी के समक्ष भी नहीं है, इसलिए नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक अभ्यर्थी कक्षा 1 से 5 तक परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त होने की योग्यता नहीं रखते हैं. नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक कई अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशरी ने दिया.

याचियों का कहना था कि उन्होंने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आवेदन किया था. काउंसलिंग में शामिल हुए मगर न्यूनतम अर्हता न होने के आधार पर उनको चयनित नहीं किया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचियों के अधिवक्ता ने 17 अक्टूबर 2013 को जारी विज्ञापन को भी चुनौती दी.

कहा कि विज्ञापन में नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट को न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया था जबकि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन चाहे इसे किसी भी नाम से जाना जाए सहायक अध्यापक होने के लिए न्यूनतम अर्हता में शामिल है.

कहा गया कि 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अभ्यर्थी के पास इंटरमीडिएट में 50 प्रतिशत अंकों के साथ एलिमेंट्री एजुकेशन में 2 वर्षीय डिप्लोमा चाहे से किसी भी नाम से जाना जाए होना चाहिए क्योंकि याचीगण के पास नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट है, वह डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन और बीटीसी के समक्ष है. इसलिए उनको सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति से वंचित करना गलत है.

बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट का पाठ्यक्रम प्री स्कूल एजुकेशन अर्थात कक्षा एक व दो तक के बच्चों के हिसाब से तैयार किया गया है. इसलिए इसे बीटीसी या डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन के समकक्ष नहीं माना जा सकता है. नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने की अर्हता नहीं रखते हैं.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि दोनों पाठ्यक्रमों में शामिल किए गए कोर्स को देखने से स्पष्ट है कि बीटीसी कोर्स कक्षा 1 से 5 तक के लिए तैयार किए गए हैं जबकि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट शिशु शिक्षा का पाठ्यक्रम है और यह प्री स्कूल या कक्षा एक और दो तक के बच्चों के हिसाब से तैयार किया गया है. इस हिसाब से न सिर्फ बेसिक शिक्षा परिषद इसके विरुद्ध है बल्कि सिटी नर्सरी की पाठ्य सामग्री भी बीटीसी के समक्ष नहीं है जो कि सहायक अध्यापक होने के लिए न्यूनतम अर्हता है. कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

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