ETV Bharat / state

इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक ग्रेच्युटी पाने के हकदार - Allahabad High Court Verdict

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक ग्रेच्युटी पाने के हकदार हैं.

Photo Credit- ETV Bharat
इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला (Photo Credit- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 9:14 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के ऐसे शिक्षकों को जिन्होंने एड हॉक और नियमित के रूप में सेवाएं दी हैं, उनको ग्रेच्युटी पाने का हकदार माना है. कोर्ट ने कहा कि पेंशन व अन्य परिलाभों के लिए अहर्कारी सेवा में एड हॉक और नियमित दोनों सेवाओं को जोड़ा जाएगा. श्यामा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी की दलीलें सुनने के बाद दिया.

याची के पति कलंदर त्रिपाठी आदर्श इंटर कॉलेज रॉबर्ट्सगंज सोनभद्र में वर्ष 1988 में एड हॉक सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए. 1998 से उनको सेवा में नियमित कर दिया गया. वर्ष 2012 में 56 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. याची ने पेंशन और ग्रेच्युटी सहित अन्य परिलाभों के लिए आवेदन किया. मंडलीय उप शिक्षा निदेशक विंध्याचल मंडल मिर्जापुर ने याची को ग्रेच्युटी के भुगतान से यह कहते हुए इनकार कर दिया की 1 मार्च 21 के शासनादेश के अनुसार याची की पेंशन के लिए अहर्कारी सेवा उसके नियमित होने की तिथि से जोड़ी जाएगी.

नियमित होने की तिथि से याची के पति की कुल 14 वर्ष की सेवा होती है, जो की ग्रेच्युटी भुगतान के लिए अहर्कारी सेवा नहीं है. याची के अधिवक्ता का कहना था कि 1 मार्च 2021 का शासनादेश यांची पर प्रभावी नहीं होगा. याची के पति की कुल सेवा एड हॉक और नियमित मिलाकर के 23 वर्ष तीन माह होती है. इसलिए वह ग्रेच्युटी पाने की हकदार है. कोर्ट ने कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त संस्थान के कर्मचारियों की पेंशन नियमावली 1964 के अनुसार एड हॉक और नियमित सेवा को जोड़कर अहर्कारी सेवा मानी जाएगी. इसमें बाद में किया गया संशोधन लागू नहीं होगा, क्योंकि याची के अधिकार पूर्व के नियम से सृजित हो चुके हैं. इसलिए उसे बाद के किसी संशोधन से समाप्त नहीं किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- आप सांसद संजय सिंह को हाइकोर्ट से मिली राहत, अब कोर्ट में नहीं करना पड़ेगा सरेंडर - AAP MP Sanjay Singh gets relief

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के ऐसे शिक्षकों को जिन्होंने एड हॉक और नियमित के रूप में सेवाएं दी हैं, उनको ग्रेच्युटी पाने का हकदार माना है. कोर्ट ने कहा कि पेंशन व अन्य परिलाभों के लिए अहर्कारी सेवा में एड हॉक और नियमित दोनों सेवाओं को जोड़ा जाएगा. श्यामा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी की दलीलें सुनने के बाद दिया.

याची के पति कलंदर त्रिपाठी आदर्श इंटर कॉलेज रॉबर्ट्सगंज सोनभद्र में वर्ष 1988 में एड हॉक सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए. 1998 से उनको सेवा में नियमित कर दिया गया. वर्ष 2012 में 56 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. याची ने पेंशन और ग्रेच्युटी सहित अन्य परिलाभों के लिए आवेदन किया. मंडलीय उप शिक्षा निदेशक विंध्याचल मंडल मिर्जापुर ने याची को ग्रेच्युटी के भुगतान से यह कहते हुए इनकार कर दिया की 1 मार्च 21 के शासनादेश के अनुसार याची की पेंशन के लिए अहर्कारी सेवा उसके नियमित होने की तिथि से जोड़ी जाएगी.

नियमित होने की तिथि से याची के पति की कुल 14 वर्ष की सेवा होती है, जो की ग्रेच्युटी भुगतान के लिए अहर्कारी सेवा नहीं है. याची के अधिवक्ता का कहना था कि 1 मार्च 2021 का शासनादेश यांची पर प्रभावी नहीं होगा. याची के पति की कुल सेवा एड हॉक और नियमित मिलाकर के 23 वर्ष तीन माह होती है. इसलिए वह ग्रेच्युटी पाने की हकदार है. कोर्ट ने कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त संस्थान के कर्मचारियों की पेंशन नियमावली 1964 के अनुसार एड हॉक और नियमित सेवा को जोड़कर अहर्कारी सेवा मानी जाएगी. इसमें बाद में किया गया संशोधन लागू नहीं होगा, क्योंकि याची के अधिकार पूर्व के नियम से सृजित हो चुके हैं. इसलिए उसे बाद के किसी संशोधन से समाप्त नहीं किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- आप सांसद संजय सिंह को हाइकोर्ट से मिली राहत, अब कोर्ट में नहीं करना पड़ेगा सरेंडर - AAP MP Sanjay Singh gets relief

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.