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हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को अवमानना नोटिस भेजा, जानें वजह - ALLAHABAD HIGH COURT

हत्या के गवाहों की सुरक्षा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को अवमानना नोटिस जारी किया.

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प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद की मुश्किलें बढ़ीं (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2024, 7:42 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के चौबेपुर थानाक्षेत्र में एक पिता की हत्या के गवाह पुत्रों को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश का पालन न करने पर अवमानना याचिका में तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि क्यों न उनके खिलाफ आदेश की अवहेलना करने के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने अमरनाथ चौबे व एक अन्य की अवमानना याचिका पर उनके अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय को सुनकर दिया है. याचिका में कहा गया है कि चार दिसंबर 2015 को याचियों के पिता कि हत्या कर दी गई थी. दोनों भाई हत्या के मुकदमे में गवाह हैं. ट्रायल न शुरू होने के कारण उनका बयान दर्ज नहीं हो सका है.

हत्या में विधायक सुशील सिंह का हाथ होने का आरोप लगाया गया है और सुरक्षा को खतरा बताया गया है. सरकार ने 18 मार्च 2024 को याचियों की सुरक्षा वापस ले ली. इस पर उनकी याचिका की हाईकोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी और इस दौरान याचियों की सुरक्षा करने का आदेश दिया. इस आदेश का पालन न करने पर यह अवमानना याचिका की गई है.

प्रयागराज-अलोपीबाग क्षेत्र के निवासियों को राहत, PDA ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई ली वापस
प्रयागराज: अलोपीबाग क्षेत्र की निवासी सोनिया सिंह उर्फ डाली सिंह व कई अन्य के आवास के ध्वस्तीकरण कार्यवाही का नोटिस प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने वापस ले लिया है. प्राधिकरण के अधिवक्ता अवधेश नारायण दुबे ने यह जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की एकलपीठ के समक्ष सोनिया सिंह व सात अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी. कोर्ट ने उन्हें ध्वस्तीकरण आदेश वापस लेने का हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देते हुए याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तारीख लगाई है.

याचियों की अधिवक्ता मनीषा चतुर्वेदी का कहना है कि याची पिछले चार दशक से मकान बनाकर निवास कर रही है. यह जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड की है.पीडीए को इस जमीन पर कार्रवाई करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. उसने अवैध नोटिस जारी किया है. याचिका में ध्वस्तीकरण कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई है. पीडीए की कार्रवाई से 20 परिवार प्रभावित होंगे, जिनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. साथ ही याचियों के दावे को तय किए बगैर पीडीए ने अवैध कार्यवाही शुरू कर दी है. याचिका में ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.

ये भी पढ़ें- लखनऊ के अहाना ग्रीन्स में अभी फ्लैट बुक कराने पर मिलेगा बंपर फायदा, 15 नवंबर के बाद चुकाने पड़ेंगे 15 % अधिक दाम

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यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने अमरनाथ चौबे व एक अन्य की अवमानना याचिका पर उनके अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय को सुनकर दिया है. याचिका में कहा गया है कि चार दिसंबर 2015 को याचियों के पिता कि हत्या कर दी गई थी. दोनों भाई हत्या के मुकदमे में गवाह हैं. ट्रायल न शुरू होने के कारण उनका बयान दर्ज नहीं हो सका है.

हत्या में विधायक सुशील सिंह का हाथ होने का आरोप लगाया गया है और सुरक्षा को खतरा बताया गया है. सरकार ने 18 मार्च 2024 को याचियों की सुरक्षा वापस ले ली. इस पर उनकी याचिका की हाईकोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी और इस दौरान याचियों की सुरक्षा करने का आदेश दिया. इस आदेश का पालन न करने पर यह अवमानना याचिका की गई है.

प्रयागराज-अलोपीबाग क्षेत्र के निवासियों को राहत, PDA ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई ली वापस
प्रयागराज: अलोपीबाग क्षेत्र की निवासी सोनिया सिंह उर्फ डाली सिंह व कई अन्य के आवास के ध्वस्तीकरण कार्यवाही का नोटिस प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने वापस ले लिया है. प्राधिकरण के अधिवक्ता अवधेश नारायण दुबे ने यह जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की एकलपीठ के समक्ष सोनिया सिंह व सात अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी. कोर्ट ने उन्हें ध्वस्तीकरण आदेश वापस लेने का हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देते हुए याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तारीख लगाई है.

याचियों की अधिवक्ता मनीषा चतुर्वेदी का कहना है कि याची पिछले चार दशक से मकान बनाकर निवास कर रही है. यह जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड की है.पीडीए को इस जमीन पर कार्रवाई करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. उसने अवैध नोटिस जारी किया है. याचिका में ध्वस्तीकरण कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई है. पीडीए की कार्रवाई से 20 परिवार प्रभावित होंगे, जिनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. साथ ही याचियों के दावे को तय किए बगैर पीडीए ने अवैध कार्यवाही शुरू कर दी है. याचिका में ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.

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