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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- टीचरों का स्कूल से गायब रहना शिक्षा के लिए अभिशाप

Allahabad High Court Order : हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से पूर्व एवं वर्तमान की कार्रवाई पर हलफनामा मांगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आर्डर.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आर्डर. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 29, 2024, 10:48 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों से टीचरों के गायब रहने को राज्य सरकार की शिक्षा व्यवस्था के लिए अभिशाप बताया है. हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कानून के अनुसार इस बुराई को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से हलफनामा मांगा है कि प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर सरकार ने पूर्व में क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वर्तमान में स्कूलों में टीचरों की हाजिरी सुनिश्चित करने के लिए सरकार की क्या कार्य योजना है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जिला मऊ की टीचर द्रौपदी देवी की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा का हलफनामा जरूरी है. ताकि टीचरों के स्कूलों से गैरहाजिर रहने का संकट समाप्त हो सके. कोर्ट इस मामले में 26 नवम्बर को फिर सुनवाई करेगी. याची का वेतन उसके स्कूल में गैर हाजिर रहने के कारण रोक दिया गया था. बीएसए मऊ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अर्चना सिंह ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी तो कोर्ट ने टीचरों की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उक्त आदेश दिया.

गौरतलब है कि गत आठ जुलाई को राज्य सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की बायोमीट्रिक हाजिरी का आदेश जारी किया था. इस आदेश के बाद शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. शिक्षक नेताओं ने कहा था कि आदेश वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा. भाजपा के कई सांसदों और विधायकों ने भी सरकार को पत्र लिखकर डिजिटल अटेंडेंस स्थगित करने की मांग की थी. सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया था. इसके बाद सरकार ने बायोमीट्रिक अटेंडेंस पर रोक लगाने का निर्णय लिया और एक कमेटी को दो महीने में इस पर फैसला लेने का आदेश दिया.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों से टीचरों के गायब रहने को राज्य सरकार की शिक्षा व्यवस्था के लिए अभिशाप बताया है. हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कानून के अनुसार इस बुराई को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से हलफनामा मांगा है कि प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर सरकार ने पूर्व में क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वर्तमान में स्कूलों में टीचरों की हाजिरी सुनिश्चित करने के लिए सरकार की क्या कार्य योजना है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जिला मऊ की टीचर द्रौपदी देवी की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा का हलफनामा जरूरी है. ताकि टीचरों के स्कूलों से गैरहाजिर रहने का संकट समाप्त हो सके. कोर्ट इस मामले में 26 नवम्बर को फिर सुनवाई करेगी. याची का वेतन उसके स्कूल में गैर हाजिर रहने के कारण रोक दिया गया था. बीएसए मऊ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अर्चना सिंह ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी तो कोर्ट ने टीचरों की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उक्त आदेश दिया.

गौरतलब है कि गत आठ जुलाई को राज्य सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की बायोमीट्रिक हाजिरी का आदेश जारी किया था. इस आदेश के बाद शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. शिक्षक नेताओं ने कहा था कि आदेश वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा. भाजपा के कई सांसदों और विधायकों ने भी सरकार को पत्र लिखकर डिजिटल अटेंडेंस स्थगित करने की मांग की थी. सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया था. इसके बाद सरकार ने बायोमीट्रिक अटेंडेंस पर रोक लगाने का निर्णय लिया और एक कमेटी को दो महीने में इस पर फैसला लेने का आदेश दिया.

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