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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- झूठा आपराधिक मुकदमा दर्ज कराना पति के साथ क्रूरता - Allahabad HC on False Criminal Case

प्रयागराज में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि झूठा आपराधिक झूठा अपराधिक मुकदमा दर्ज कराना पति के साथ क्रूरता है. इससे पति के मन में अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर आशंका पैदा होना स्वाभाविक है. हाईकोर्ट ने पत्नी की तलाक के खिलाफ दी गयी अपील खारिज कर दी.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 25, 2024, 8:10 PM IST

Updated : Sep 25, 2024, 8:35 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने कहा कि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ झूठा आपराधिक मुकदमा दर्ज कराना पति के साथ क्रूरता है. झूठा मुकदमा दर्ज होने से पति के दिमाग में उसके खुद की और परिवार की सुरक्षा को लेकर आशंका उत्पन्न होना स्वाभाविक है. इसलिए इस प्रकार का झूठा मुकदमा हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत क्रूरता साबित करने के लिए पर्याप्त आधार है.

कानपुर नगर की तृप्ति सिंह की अपील खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने दिया. अपीलार्थी तृप्ति सिंह की शादी 2002 में अजातशत्रु के साथ हुई थी. शादी के बाद उनके एक बेटा भी हुआ. पत्नी ने 2006 में पति को छोड़ दिया. इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय कानपुर में तलाक का मुकदमा दाखिल किया. इसके बाद पत्नी ने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिया.

इन आरोपों के कारण पति और उसके परिवार के सदस्यों को जेल जाना पड़ा. वह बाद में जमानत पर छूटे. परिवार न्यायालय कानपुर ने पति की तलाक की अर्जी स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री दे दी. इसे पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने शादी के 6 साल बाद दहेज की मांग का मुकदमा दर्ज कराया. यह केस पति के तलाक की अर्जी दाखिल करने पर दर्ज कराया गया. हालांकि वह अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाई और उसके पति तथा परिवार के लोग बरी हो गए.

मगर इन आरोपों के कारण पति और उसके रिश्तेदारों को जेल जाना पड़ा. इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ. कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य क्रूरता को साबित करने के लिए पर्याप्त है. दोनों पक्ष पढ़े लिखे हैं. समझौते का कोई आधार नहीं है. कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी.

अपहरण, हत्या और फिरौती की आरोपी की जमानत मंजूर, ट्रायल के आदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्र का अपहरण कर फिरौती वसूलने और फिर उसकी हत्या कर देने के मामले में आरोपी कानपुर की रचिता वत्स की जमानत मंजूर कर ली है. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मुकदमे का ट्रायल समय से पूरा करने और किसी भी पक्ष को अनावश्यक समय न दिए जाने को लेकर विस्तृत निर्देश दिए हैं. रचिता वत्स की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सुनवाई की.

ये भी पढ़ें- यूपी ब्यारोक्रेसी की चौंकाने वाली खबर; पावरफुल अफसर रहे पूर्व IAS के घर से 50 करोड़ चोरी, न कोई FIR, ना शिकायत - UP Ex IAS 50 Crores Stolen

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने कहा कि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ झूठा आपराधिक मुकदमा दर्ज कराना पति के साथ क्रूरता है. झूठा मुकदमा दर्ज होने से पति के दिमाग में उसके खुद की और परिवार की सुरक्षा को लेकर आशंका उत्पन्न होना स्वाभाविक है. इसलिए इस प्रकार का झूठा मुकदमा हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत क्रूरता साबित करने के लिए पर्याप्त आधार है.

कानपुर नगर की तृप्ति सिंह की अपील खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने दिया. अपीलार्थी तृप्ति सिंह की शादी 2002 में अजातशत्रु के साथ हुई थी. शादी के बाद उनके एक बेटा भी हुआ. पत्नी ने 2006 में पति को छोड़ दिया. इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय कानपुर में तलाक का मुकदमा दाखिल किया. इसके बाद पत्नी ने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिया.

इन आरोपों के कारण पति और उसके परिवार के सदस्यों को जेल जाना पड़ा. वह बाद में जमानत पर छूटे. परिवार न्यायालय कानपुर ने पति की तलाक की अर्जी स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री दे दी. इसे पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने शादी के 6 साल बाद दहेज की मांग का मुकदमा दर्ज कराया. यह केस पति के तलाक की अर्जी दाखिल करने पर दर्ज कराया गया. हालांकि वह अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाई और उसके पति तथा परिवार के लोग बरी हो गए.

मगर इन आरोपों के कारण पति और उसके रिश्तेदारों को जेल जाना पड़ा. इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ. कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य क्रूरता को साबित करने के लिए पर्याप्त है. दोनों पक्ष पढ़े लिखे हैं. समझौते का कोई आधार नहीं है. कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी.

अपहरण, हत्या और फिरौती की आरोपी की जमानत मंजूर, ट्रायल के आदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्र का अपहरण कर फिरौती वसूलने और फिर उसकी हत्या कर देने के मामले में आरोपी कानपुर की रचिता वत्स की जमानत मंजूर कर ली है. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मुकदमे का ट्रायल समय से पूरा करने और किसी भी पक्ष को अनावश्यक समय न दिए जाने को लेकर विस्तृत निर्देश दिए हैं. रचिता वत्स की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सुनवाई की.

ये भी पढ़ें- यूपी ब्यारोक्रेसी की चौंकाने वाली खबर; पावरफुल अफसर रहे पूर्व IAS के घर से 50 करोड़ चोरी, न कोई FIR, ना शिकायत - UP Ex IAS 50 Crores Stolen

Last Updated : Sep 25, 2024, 8:35 PM IST
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