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यूपी में सिर्फ मदरसा शिक्षकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति क्यों? हाईकोर्ट ने सरकार से तलब किया जवाब - MADRASA BIOMETRIC ATTENDANCE

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है.

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यूपी में सिर्फ मदरसा शिक्षकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति क्यों. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 1:51 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है, जबकि अन्य शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रणाली के क्रियान्वयन को फिलहाल टाल दिया गया है. सरकार के इस रुख के खिलाफ बनारस के एक मदरसे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है. सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है, जबकि अन्य स्कूलों में इसे टाल दिया गया है.

मदरसों के साथ भेदभाव का आरोप: मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह राज्य के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के मुकाबले मदरसों के साथ भेदभाव है. सरकारी आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह, मोहम्मद अली औसाफ और संकल्प राय ने न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की बेंच के सामने दलील दी कि मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2004 और मदरसा नियमावली, 2012 के तहत उपस्थिति से संबंधित कोई निर्णय लेने का अधिकार निदेशक या रजिस्ट्रार को नहीं है. यह अधिकार केवल मदरसा प्रबंधन समिति और प्रधानाचार्य को है.

सरकार के आदेशों में विरोधाभास: मदरसों के शिक्षकों और छात्रों की बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के 25 अप्रैल 2024 के आदेश पर कार्रवाई हुई. इसके बाद 15 मई और 12 जून को संबंधित विभागों ने आदेश जारी किए. जिला स्तर पर अधिकारियों ने शिक्षकों के वेतन रोकने की धमकी देते हुए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने का दबाव बनाया.

हालांकि, 16 जुलाई को मुख्य सचिव ने इस आदेश को स्थगित करने की बात कही थी और सिफारिश देने के लिए एक कमेटी बनाने की घोषणा की थी. बावजूद इसके, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मुख्य सचिव के आदेशों को नजरअंदाज करते हुए मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने की प्रक्रिया जारी रखी.

शिक्षक संघ का विरोध: टीचर्स एसोसिएशन मदारीस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव दीवान साहब जमान खान ने इस कदम को लेकर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि उनकी एसोसिएशन ने मुख्य सचिव के स्थगन आदेश का हवाला देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

ये भी पढ़ेंः कानपुर मदरसा कंकालकांड; गुमशुदा बेटे की तलाश में कर रही मां को शक- कहीं उसका बच्चा तो नहीं, बोर्ड पर लिखी तारीख का क्या है राज?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है, जबकि अन्य शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रणाली के क्रियान्वयन को फिलहाल टाल दिया गया है. सरकार के इस रुख के खिलाफ बनारस के एक मदरसे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है. सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है, जबकि अन्य स्कूलों में इसे टाल दिया गया है.

मदरसों के साथ भेदभाव का आरोप: मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह राज्य के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के मुकाबले मदरसों के साथ भेदभाव है. सरकारी आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह, मोहम्मद अली औसाफ और संकल्प राय ने न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की बेंच के सामने दलील दी कि मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2004 और मदरसा नियमावली, 2012 के तहत उपस्थिति से संबंधित कोई निर्णय लेने का अधिकार निदेशक या रजिस्ट्रार को नहीं है. यह अधिकार केवल मदरसा प्रबंधन समिति और प्रधानाचार्य को है.

सरकार के आदेशों में विरोधाभास: मदरसों के शिक्षकों और छात्रों की बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के 25 अप्रैल 2024 के आदेश पर कार्रवाई हुई. इसके बाद 15 मई और 12 जून को संबंधित विभागों ने आदेश जारी किए. जिला स्तर पर अधिकारियों ने शिक्षकों के वेतन रोकने की धमकी देते हुए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने का दबाव बनाया.

हालांकि, 16 जुलाई को मुख्य सचिव ने इस आदेश को स्थगित करने की बात कही थी और सिफारिश देने के लिए एक कमेटी बनाने की घोषणा की थी. बावजूद इसके, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मुख्य सचिव के आदेशों को नजरअंदाज करते हुए मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने की प्रक्रिया जारी रखी.

शिक्षक संघ का विरोध: टीचर्स एसोसिएशन मदारीस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव दीवान साहब जमान खान ने इस कदम को लेकर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि उनकी एसोसिएशन ने मुख्य सचिव के स्थगन आदेश का हवाला देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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