प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने कोलकाता रेप और मर्डर केस के बाद देश के साथ ही पश्चिम बंगाल में बनाए गए अपराजिता कानून को लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा. कहा कि ममता सरकार को जल्दबाजी में फैसला लागू करने से पहले एक बार विचार करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने देश में लागू हुए 3 नए कानूनों को भी नुकसानदायक बताया.
संगम नगरी प्रयागराज में शनिवार को आयोजित गोष्ठी में चीफ गेस्ट के रूप में पहुंचे इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर ने तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. नागरिक मंच अधिवक्ता समाज और पीयूसीएल संस्था की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्व चीफ जस्टिस प्रयागराज आए थे.
कोलकाता में महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के बाद बनाए गए अपराजिता कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने ममता सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. पश्चिम बंगाल में अपराजिता कानून के तहत फांसी दिए जाने की सजा की आलोचना करते हुए ममता सरकार के फैसले को गलत करार दिया है.
उनका कहना है कि महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या की घटना बेहद दुखद है लेकिन उसके लिए मौत की सजा के अलावा अन्य विकल्प भी होने चाहिए. यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी ऐसा कानून जिसमें सिर्फ मौत की सजा का ही नियम हो वह उचित नहीं हो सकता है. हमारे देश में फांसी की सजा का प्रावधान जरूर है लेकिन इसे सिर्फ रेयर आफ द रेयरेस्ट तक ही सीमित रखा गया है.
किसी को भी मौत की सजा जज देना नहीं चाहता है क्योंकि, जब हम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो किसी को मौत भी नहीं देना चाहिए. विशेष परिस्थितियों को छोड़कर मौत की सजा नहीं दी जाती है. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार ने किरकिरी से बचने के लिए जल्दबाजी में कानून बना दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने यह भी कहा कि तीनों कानून आम नागरिकों से लेकर वकीलों और न्यायधीशों के लिए दिक्कत खड़ा करने के अलावा कुछ भी नहीं है. इसमें सिर्फ नाम बदले गए हैं और इससे किसी को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. ये कानून सिर्फ यह अराजकता भरे माहौल पैदा करने वाले हैं.
मोदी का नाम लेने पर मिली राहुल गांधी को सजा: इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा के मामले पर बोलते हुए तीनों नए कानूनों की उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि राहुल गांधी ने सिर्फ एक उदाहरण ही दिया था लेकिन मोदी का नाम लेने की वजह से ही उन्हें दो साल की अधिकतम सजा दी गई.
उन्हें दो साल की अधिकतम सजा इसलिए दी गई कि क्योंकि उससे उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो जाए. उनकी सजा अभी भी कायम है. उनके मुताबिक सिविल मानहानि के अलावा आपराधिक मानहानि का केस नहीं होना चाहिए. आपराधिक मानहानि सिर्फ दूसरे लोगों को डराने के लिए है.
इसके साथ ही उन्होंने तीन नए कानून को लागू करने के तरीके पर भी सवाल खड़े करते हुए उसे लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक बताया है. इसके साथ ही उन्होंने यूपी की योगी सरकार के बुलडोजर और एनकाउंटर की कार्रवाई के बारे में कहा कि वो किन हालात में होता है सभी को पता है.
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