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मेरठ में 18 साल पहले हुए रविन्द्र भूरा हत्याकांड के पांचों आरोपी बरी

मेरठ में 18 साल पहले हुए रविन्द्र भूरा हत्याकांड के पांचों आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 11, 2024, 11:40 AM IST

मेरठः शहर में 18 वर्ष पूर्व कचहरी में पेशी के दौरान हुए रविंद्र भूरा हत्याकांड के सभी पांच आरोपियों को न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया है. इस घटना के दौरान रविंद्र भूरा का भतीजा गौरव, एक बदमाश और कांस्टेबल मनोज भी मारे गए थे. आरोपी अजय जडेजा जेल में है, जबकि आजाद, अजय मलिक, यशवीर व गुलाब जमानत पर बाहर हैं.

आरोपियों के अधिवक्ता वीके शर्मा ने बताया कि एसआई रेशम सिंह ने थाना सिविल लाइन द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था जिसमें बताया था कि 16 अक्तूबर 2006 को उनकी ड्यूटी जिला कारागार मेरठ में बंद अभियुक्त रविंद्र भूरा की पेशी में लगी थी. पुलिस लाइन से सरकारी असलहा लेकर वह कड़ी सुरक्षा के बीच रविंद्र भूरा की पेशी करने कचहरी लाए थे. कचहरी में तेरह न्यायालय भवन के पास सभी आरोपी अपने हाथ में पिस्तौल लेकर आए और रविंद्र भूरा पर फायरिंग शुरू कर दी तभी कांस्टेबल मनोज कुमार ने साहस का परिचय देते हुए एक बदमाश को दबोच लिया था. बदमाश ने मनोज को गोली मार दी थी जिससे कांस्टेबल मनोज कुमार घायल हो गया और सभी आरोपी मौके से फरार हो गए.


इस घटना में रविंद्र भूरा और उसके भतीजे गौरव, एक बदमाश और कांस्टेबल की मौके पर मृत्यु हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने 27 गवाह न्यायालय में पेश किए थे. आरोपियों की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में बताया कि पुलिस द्वारा सभी आरोपियों को इस मुकदमे में झूठा फंसाया जा रहा है जिसका सबूत न्यायालय में पेश किया. न्यायालय अपर जिला जज कोर्ट संख्या दो मेरठ ओमवीर सिंह द्वितीय ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

मेरठः शहर में 18 वर्ष पूर्व कचहरी में पेशी के दौरान हुए रविंद्र भूरा हत्याकांड के सभी पांच आरोपियों को न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया है. इस घटना के दौरान रविंद्र भूरा का भतीजा गौरव, एक बदमाश और कांस्टेबल मनोज भी मारे गए थे. आरोपी अजय जडेजा जेल में है, जबकि आजाद, अजय मलिक, यशवीर व गुलाब जमानत पर बाहर हैं.

आरोपियों के अधिवक्ता वीके शर्मा ने बताया कि एसआई रेशम सिंह ने थाना सिविल लाइन द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था जिसमें बताया था कि 16 अक्तूबर 2006 को उनकी ड्यूटी जिला कारागार मेरठ में बंद अभियुक्त रविंद्र भूरा की पेशी में लगी थी. पुलिस लाइन से सरकारी असलहा लेकर वह कड़ी सुरक्षा के बीच रविंद्र भूरा की पेशी करने कचहरी लाए थे. कचहरी में तेरह न्यायालय भवन के पास सभी आरोपी अपने हाथ में पिस्तौल लेकर आए और रविंद्र भूरा पर फायरिंग शुरू कर दी तभी कांस्टेबल मनोज कुमार ने साहस का परिचय देते हुए एक बदमाश को दबोच लिया था. बदमाश ने मनोज को गोली मार दी थी जिससे कांस्टेबल मनोज कुमार घायल हो गया और सभी आरोपी मौके से फरार हो गए.


इस घटना में रविंद्र भूरा और उसके भतीजे गौरव, एक बदमाश और कांस्टेबल की मौके पर मृत्यु हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने 27 गवाह न्यायालय में पेश किए थे. आरोपियों की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में बताया कि पुलिस द्वारा सभी आरोपियों को इस मुकदमे में झूठा फंसाया जा रहा है जिसका सबूत न्यायालय में पेश किया. न्यायालय अपर जिला जज कोर्ट संख्या दो मेरठ ओमवीर सिंह द्वितीय ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

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