अलीगढ़ : मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की केंद्रीय लाइब्रेरी पांडुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों और कलाकृतियों के अपने अमूल्य संग्रह के लिए प्रसिद्ध है. इसमें लगभग 15 लाख प्रिंट संग्रह हैं. जिनमें से 13 लाख 81 हजार 782 किताबें हैं. इस्लाम, हिंदू धर्म आदि पर दुर्लभ और अमूल्य पांडुलिपियां हैं. कुरान की एक प्रति 1400 वर्ष से अधिक पुरानी है. अबुल फैज फैजी द्वारा श्रीमद्भागवत गीता का फारसी अनुवाद भी यहां मौजूद है.
मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के संस्थापक : एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के दौर में सात मंजिला लाइब्रेरी की बुनियाद वर्ष 1877 में वायसराय लॉर्ड लिटन ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना के समय रखी थी. लगभग 83 वर्ष बाद 1960 में लाइब्रेरी का उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. इसका नाम देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर मौलाना आजाद लाइब्रेरी रखा गया जो एक महान विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे. लाइब्रेरी में मौलाना आजाद से जुड़ी चीजें भी संरक्षित हैं.
मौलाना आजाद लाइब्रेरी ओरिएंटल डिवीजन के प्रभारी डॉ. अता खुर्शीद ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया के लाइब्रेरी में उर्दू, फारसी, संस्कृत और अरबी भाषाओं में दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों का विश्व प्रसिद्ध भंडार है. इस्लाम, हिंदू धर्म आदि पर दुर्लभ और अमूल्य पांडुलिपियां हैं. कुरान की एक प्रति 1400 वर्ष से अधिक पुरानी है. अबुल फैज फैजी द्वारा श्रीमद्भागवत गीता का फारसी अनुवाद इसी लाइब्रेरी में संरक्षित है. लाइब्रेरी में रोजाना आठ हजार लोगों की आमद-रफ्त होती है. यहां एक साथ दो हजार लोग बैठकर पढ़ सकते हैं. लाइब्रेरी सुबह आठ से रात दो बजे तक खुली रहती है.
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