अजमेरः अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट पश्चिम प्रथम में शुक्रवार को प्रतिवादियों के अलावा कोर्ट में अन्य 5 जनों की ओर से भी धारा 1(10) में प्रतिवादी बनने के लिए अर्जी लगाई गई. इनमें दरगाह दीवान दीवान जैनुअल आबेद्दीन, अंजुमन कमेटी भी शामिल है. प्रतिवादी दरगाह कमेटी ने धारा 7 (11) में वाद को खारिज करने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है.
वहीं, केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग और केंद्र पुरातत्व विभाग ने कोर्ट से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है. दरगाह वाद प्रकरण को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने पूर्व में तीन प्रतिवादियो को नोटिस भेजकर 20 दिसंबर तक उनसे जवाब मांगा था. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद प्रकरण में अगली सुनवाई 24 जनवरी 2025 को रखी है.
जवाब पेश करने के लिए मांगा समयः अजमेर में दरगाह वाद प्रकरण को लेकर कोर्ट परिसर में सुनवाई के दौरान लोगों में उत्सुकता का माहौल रहा. कोर्ट के बाहर लोगों का हुजूम लग गया. कोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई में प्रतिवादियों को पूर्व में भेजे गए नोटिस का जवाब देने के लिए आज का समय दिया गया था. लिहाजा कोर्ट में तीन प्रतिवादियों में से दो प्रतिवादी केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग, केंद्रीय पुरातत्व विभाग और दरगाह कमेटी ने कोर्ट से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है.
वहीं, दरगाह कमेटी की ओर से कोर्ट में 7(11) में वाद को खारिज करने के लिए कोर्ट में अर्जी दी गई. इन तीनों प्रतिवादियो की ओर से अधिवक्ता कोर्ट में पेश हुए. इनमें भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से बसंत कुमार विजयवर्गीय ने प्रार्थना पत्र दरगाह की ओर से पेश किया, जिसमें कोर्ट को सरकार को पक्षकार नहीं बनाने को लेकर आपत्ति की. साथ ही हित और क्षेत्र अधिकार को लेकर भी आपत्ति की गई. इसको भी कोर्ट में पत्रावली पर लिया. एक प्रार्थना पत्र 14 नवम्बर को पेश किया, जिसमें परिवादी की ओर से कोर्ट में पेश मूल दस्तावेज की प्रति मांगी गई.
तीन अर्जी प्रतिवादी पक्षकार बनाने के लिए लगीः इधर सुनवाई के दौरान सीपीसी 1(10) में तीन अर्जियां भी प्रतिवादी पक्षकार बनने के लिए कोर्ट में लगाई गई है. इनमें दरगाह दीवान सैय्यद जेनुअल आबेद्दीन, अंजुमन कमेटी और पंजाब के होशियारपुर के राज जैन की संस्था भी शामिल है. वहीं, दो पक्षकार खादिम गुलाम दस्तगीर और एक बेंगलुरु के अधिवक्ता ए रहमान ने भी वाद में पक्षकार बनने के लिए पूर्व में अर्जी दी थी. परिवादी विष्णु गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने दो पक्षो को सुना है. प्रतिवादियो ने लेखबद्ध जवाब कोर्ट में पेश करने के लिए समय मांगा है. उन्होंने बताया कि कोर्ट में प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 और दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज एक्ट 1955 का हवाला देते हुए दरगाह कमेटी ने वाद को खारिज करने की अर्जी कोर्ट में लगाई. इसका जवाब परिवादी पक्ष की ओर से दिया गया और दरगाह में भारतीय पुरातत्व विभाग की और से सर्वे कराए जाने का आग्रह किया.
यह 8 प्रतिवादी पक्षकार :
- दरगाह कमेटी
- भारतीय पुरातत्व विभाग
- केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग
- दरगाह दीवान सैयद जेनुअल आबेद्दीन
- अंजुमन कमेटी
- राज जैन ( सर्व धर्म ख्वाजा मंदिर रिलीजियस एंड चेरिटेबल ट्रस्ट ) होशियारपुर, पंजाब
- खादिम गुलाम दस्तगीर
- बेंगलुरु के अधिवक्ता ए इरफान
दरगाह दीवान बने परिवादीः अधिवक्ता और दरगाह दीवान की उत्तराधिकारी सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि दरगाह दीवान का पद दरगाह में प्रमुख है और ख्वाजा गरीब नवाज के वंशज होने के नाते उन्हें वाद में पक्षकार बनाया जाए. कोर्ट में 1 (10 ) के तहत दरगाह दीवान की ओर से पक्षकार बनने के लिए अर्जी पेश की गई है. उन्होंने बताया कि दरगाह कमेटी की ओर से भी अर्जी लगाई है कि वाद को खारिज किया जाए. कमेटी ने कई बिंदु दिए हैं. इस पर परिवादी पक्ष को जवाब देना है. इसके अलावा कोर्ट में पक्षकार बनने के लिए अन्य संस्थाओं की ओर से भी अर्जी दी गई है. चिश्ती ने कहा कि हमेशा से अजमेर से प्यार और मोहब्बत का पैगाम देश दुनिया में जाता रहा है. किसी को भी दरगाह वाद प्रकरण को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. यहां अमन चैन है और ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स भी शानो शौकत के साथ मनाया जाएगा.
टेंशन लेते नहीं देते हैंः अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने बताया कि हम टेंशन लेते नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि खादिम 800 बरस से दरगाह में खिदमत को अंजाम देते आए हैं. खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी को पक्षकार नहीं बनाया गया था, लिहाजा कोर्ट में अंजुमन कमेटी ने भी पक्षकार बनने के लिए अर्जी दी है.
परिवादी पक्ष के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि दरगाह वाद प्रकरण में पिछली तारीख को कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था. तीनों पक्षकारों ने लिखित में जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा है. वकील सिन्हा ने बताया कि पक्षकार संख्या 1 दरगाह कमेटी की ओर से अर्जी देकर वाद को खारिज करने की मांग की. परिवादी पक्ष की ओर से दरगाह कमेटी की अर्जी पर आपत्ति जताई गई कि जब तक कमेटी लिखित में जवाब पेश नहीं करती है तब तक यह अर्जी मान्य नहीं है.
उन्होंने बताया कि प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 इस वाद पर लागू नहीं होता है. उन्होंने बताया कि मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट के अंतर्गत आते हैं, लेकिन दरगाह प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट के दायरे में नहीं आती है. वकील सिन्हा ने बताया कि कोर्ट में दरगाह कमेटी की ओर से भी दी गई वाद को खारिज की अर्जी मान्य नहीं है. उन्होंने बताया कि जो लोग मामले में पक्षकार बनना चाहते है उनकी अर्जी पत्रावली में शामिल की गई है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 24 जनवरी 2025 को रखी है.