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अजमेर IACR ने तैयार किया बिना रसायन कीटनानशक, बेहतर फसल के साथ मिल रहे अच्छे दाम - Ajmer IACR

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 3, 2024, 6:34 AM IST

PESTICIDES WITHOUT CHEMICALS, ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनकी गुणवत्ता पर वैश्विक स्तर पर उंगलियां उठने लगी हैं. इनमें कीटनाशक का प्रभाव होने से उन्हें नाकारा जा रहा है. इनमें कई मसाला कंपनियों के उत्पाद भी शामिल हैं, जिनके उत्पाद के नमूने वैश्विक स्तर पर फेल हो चुके हैं, क्योंकि उन खाद्य और मसाला उत्पादों में कीटनाशक पाए गए हैं. ऐसे में अजमेर में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र ने बिना रसायन के कीटनाशक की नई तकनीक ईजाद की है.

अजमेर IACR ने तैयार किया बिना रसायन के कीटनाशक
अजमेर IACR ने तैयार किया बिना रसायन के कीटनाशक (ETV Bharat GFX)

अजमेर IACR ने शोध कर तैयार किया बिना रसायन का कीटनाशक (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. फसल को रोग, कीट और खरपतवार से बचाने के लिए कीटनाशक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. वर्षों से किए जा रहे कीटनाशक के उपयोग से उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन इसके विपरीत प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. लोगों के स्वास्थ्य पर घातक असर देखने को मिल रहा है. वहीं, वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई बार तो व्यापारियों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा है. ऐसे में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र ने बिना रसायन के कीटनाशक तैयार करने की विधि ईजाद कर ली है. इस नई तकनीक से रोग, कीट और खरपतवार से फसलों को सुरक्षा मिल रही है. वहीं, उत्पादन बढ़ने के साथ ही किसानों को उपज का मूल्य भी अधिक मिल रहा है.

स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होने लगी : भारत कृषि प्रधान देश है. देश की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है. आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों का विकास हुआ. इनमें उर्वरक और कीटनाशक भी शामिल हैं. इनके उपयोग से किसानों को फायदा भी होने लगा. लिहाजा कीटनाशक का उपयोग फसलों को रोग, कीट और खरपतवार से बचाने के लिए अधिकता से होने लगा. कीटनाशक का फसलों से होने वाले खाद्य पदार्थ पर भी असर पड़ा. मिट्टी और जल में भी कीटनाशक घुलकर विपरीत प्रभाव पैदा करने लगे. ऐसे कई राज्य हैं, जहां कीटनाशक के अधिक उपयोग से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होने लगी हैं.

पढ़ें. कोटा कृषि विश्वविद्यालय ने ईजाद की फसलों की 4 नई किस्में, दीक्षांत समारोह में होगा लोकार्पण

बिना रसायन के कीटनाशक की नई तकनीक : ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनकी गुणवत्ता पर वैश्विक स्तर पर उंगलियां उठने लगी हैं. इनमें कीटनाशक का प्रभाव होने से उन्हें नाकारा जा रहा है. इनमें कई मसाला कंपनियों के उत्पाद भी शामिल हैं, जिनके उत्पाद के नमूने वैश्विक स्तर पर फेल हो चुके हैं, क्योंकि उन खाद्य और मसाला उत्पादों में कीटनाशक पाए गए हैं. वर्तमान में गुणवत्ता और स्वास्थ्य वर्धक युक्त खाद्य सामग्री की वैश्विक स्तर पर डिमांड बढ़ने लगी है. यही वजह है कि अब घातक रसायन युक्त कीटनाशक के उपयोग की बजाय किसानों को ऐसी तकनीक अपनानी होगी, जिससे उत्पादन बढ़ाने के साथ बिना रसायन युक्त उपज ली जा सके. साथ ही बिना रसायन के उपज का मूल्य भी किसानों को अधिक मिल सके, इस दिशा में अजमेर में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र ने बिना रसायन के कीटनाशक की नई तकनीक ईजाद की है.

कीटनाशक से व्यापक स्तर पर पड़ रहा है प्रभाव : राष्ट्रीय बीएम मसाला अनुसंधान केंद्र में (कीट विज्ञान) क्षेत्र में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कांत ने बताया कि वर्षों से कीटनाशक के उपयोग के कारण प्राकृतिक रूप से संतुलन खत्म हो गया है. मसलन कीट को कीट खाया करते थे, लेकिन कीटनाशक के छिड़काव से प्राकृतिक रूप से जो सर्कल बना हुआ था वह खत्म हो गया है. कीटनाशक के छिड़काव से कीटों में भी उन्हें सहन करने की क्षमता विकसित हो गई है. ऐसे में कीटनाशक का उपयोग ज्यादा किया जाने लगा है. उन्होंने यह भी बताया कि कीटनाशक का प्रभाव फसलों से मिलने वाले खाद्यान पर भी पड़ा है. इसके सेवन से लोग विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं. कीटनाशक के लगातार प्रयोग से कीटनाशक की मात्रा भूमि और पानी में भी पाई जा रही है. मसलन आसपास के जल स्त्रोत ही नहीं, नदियों के माध्यम से कीटनाशक समंदर में भी पंहुच रहा है.

बिना रसायन के कीटनाशक
बिना रसायन के कीटनाशक (ETV Bharat Ajmer)

पढे़ं. कृषि विशेषज्ञ बोले- अच्छी पैदावार के लिए गहरी जुताई जरूरी, बढ़ती है मिट्टी की उपजाऊ क्षमता

जानकारी और कीटनाशक दवाएं : उन्होंने बताया कि कीटनाशक से निजात पाने के लिए राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में 10 तरह के मसालों की फसल के लिए नई तकनीक ईजाद की गई. इस नई तकनीक के उपयोग से कीट, रोग और खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है. इसके उपयोग से पर्यावरण को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है. प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कांत ने बताया कि बिना रसायन के तैयार नई तकनीक तरल और पाउडर के फॉर्म में है. लैब में तकनीक ईजाद करने के बाद राजस्थान के नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर समेत कई जिलों की 80 हेक्टेयर कृषि पर इसका उपयोग भी किया गया है. इसके चौंकाने वाले सकारात्मक परिणाम मिले हैं. इसके उपयोग से उपज बेहतर हुई है. वहीं, किसानों को उपज का मूल्य भी अच्छा मिला है.

किसानों को भी जागरुक होना पड़ेगा : उन्होंने बताया कि लैब में तैयार नई तकनीक फंगस, बैक्टीरिया और वानस्पतिक चीजों से तैयार की गई है. नई तकनीक के उपयोग की जानकारी किसानों को दी जा रही है. साथ ही इस तकनीक को किसानों के हित में साझा भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस नई तकनीक का उपयोग केवल मसाला खेती में ही नहीं बल्कि अन्य फसलों में भी किया जा सकता है. अजमेर में स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में नई तकनीक से बने बिना रसायन के कीटनाशक किसानों को दिया जा रहा है. वहीं, उर्वरक का उपयोग पहले के अनुसार ही कर सकते हैं. इनके उपयोग से तैयार की गई उपज स्वास्थ्य और गुणवत्ता की दृष्टि से बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि घातक कीटनाशक को छोड़कर नई तकनीक से तैयार बिना रसायन कीटनाशक को अपनाने के लिए किसानों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

अजमेर IACR ने शोध कर तैयार किया बिना रसायन का कीटनाशक (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. फसल को रोग, कीट और खरपतवार से बचाने के लिए कीटनाशक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. वर्षों से किए जा रहे कीटनाशक के उपयोग से उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन इसके विपरीत प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. लोगों के स्वास्थ्य पर घातक असर देखने को मिल रहा है. वहीं, वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई बार तो व्यापारियों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा है. ऐसे में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र ने बिना रसायन के कीटनाशक तैयार करने की विधि ईजाद कर ली है. इस नई तकनीक से रोग, कीट और खरपतवार से फसलों को सुरक्षा मिल रही है. वहीं, उत्पादन बढ़ने के साथ ही किसानों को उपज का मूल्य भी अधिक मिल रहा है.

स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होने लगी : भारत कृषि प्रधान देश है. देश की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है. आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों का विकास हुआ. इनमें उर्वरक और कीटनाशक भी शामिल हैं. इनके उपयोग से किसानों को फायदा भी होने लगा. लिहाजा कीटनाशक का उपयोग फसलों को रोग, कीट और खरपतवार से बचाने के लिए अधिकता से होने लगा. कीटनाशक का फसलों से होने वाले खाद्य पदार्थ पर भी असर पड़ा. मिट्टी और जल में भी कीटनाशक घुलकर विपरीत प्रभाव पैदा करने लगे. ऐसे कई राज्य हैं, जहां कीटनाशक के अधिक उपयोग से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होने लगी हैं.

पढ़ें. कोटा कृषि विश्वविद्यालय ने ईजाद की फसलों की 4 नई किस्में, दीक्षांत समारोह में होगा लोकार्पण

बिना रसायन के कीटनाशक की नई तकनीक : ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनकी गुणवत्ता पर वैश्विक स्तर पर उंगलियां उठने लगी हैं. इनमें कीटनाशक का प्रभाव होने से उन्हें नाकारा जा रहा है. इनमें कई मसाला कंपनियों के उत्पाद भी शामिल हैं, जिनके उत्पाद के नमूने वैश्विक स्तर पर फेल हो चुके हैं, क्योंकि उन खाद्य और मसाला उत्पादों में कीटनाशक पाए गए हैं. वर्तमान में गुणवत्ता और स्वास्थ्य वर्धक युक्त खाद्य सामग्री की वैश्विक स्तर पर डिमांड बढ़ने लगी है. यही वजह है कि अब घातक रसायन युक्त कीटनाशक के उपयोग की बजाय किसानों को ऐसी तकनीक अपनानी होगी, जिससे उत्पादन बढ़ाने के साथ बिना रसायन युक्त उपज ली जा सके. साथ ही बिना रसायन के उपज का मूल्य भी किसानों को अधिक मिल सके, इस दिशा में अजमेर में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र ने बिना रसायन के कीटनाशक की नई तकनीक ईजाद की है.

कीटनाशक से व्यापक स्तर पर पड़ रहा है प्रभाव : राष्ट्रीय बीएम मसाला अनुसंधान केंद्र में (कीट विज्ञान) क्षेत्र में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कांत ने बताया कि वर्षों से कीटनाशक के उपयोग के कारण प्राकृतिक रूप से संतुलन खत्म हो गया है. मसलन कीट को कीट खाया करते थे, लेकिन कीटनाशक के छिड़काव से प्राकृतिक रूप से जो सर्कल बना हुआ था वह खत्म हो गया है. कीटनाशक के छिड़काव से कीटों में भी उन्हें सहन करने की क्षमता विकसित हो गई है. ऐसे में कीटनाशक का उपयोग ज्यादा किया जाने लगा है. उन्होंने यह भी बताया कि कीटनाशक का प्रभाव फसलों से मिलने वाले खाद्यान पर भी पड़ा है. इसके सेवन से लोग विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं. कीटनाशक के लगातार प्रयोग से कीटनाशक की मात्रा भूमि और पानी में भी पाई जा रही है. मसलन आसपास के जल स्त्रोत ही नहीं, नदियों के माध्यम से कीटनाशक समंदर में भी पंहुच रहा है.

बिना रसायन के कीटनाशक
बिना रसायन के कीटनाशक (ETV Bharat Ajmer)

पढे़ं. कृषि विशेषज्ञ बोले- अच्छी पैदावार के लिए गहरी जुताई जरूरी, बढ़ती है मिट्टी की उपजाऊ क्षमता

जानकारी और कीटनाशक दवाएं : उन्होंने बताया कि कीटनाशक से निजात पाने के लिए राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में 10 तरह के मसालों की फसल के लिए नई तकनीक ईजाद की गई. इस नई तकनीक के उपयोग से कीट, रोग और खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है. इसके उपयोग से पर्यावरण को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है. प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कांत ने बताया कि बिना रसायन के तैयार नई तकनीक तरल और पाउडर के फॉर्म में है. लैब में तकनीक ईजाद करने के बाद राजस्थान के नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर समेत कई जिलों की 80 हेक्टेयर कृषि पर इसका उपयोग भी किया गया है. इसके चौंकाने वाले सकारात्मक परिणाम मिले हैं. इसके उपयोग से उपज बेहतर हुई है. वहीं, किसानों को उपज का मूल्य भी अच्छा मिला है.

किसानों को भी जागरुक होना पड़ेगा : उन्होंने बताया कि लैब में तैयार नई तकनीक फंगस, बैक्टीरिया और वानस्पतिक चीजों से तैयार की गई है. नई तकनीक के उपयोग की जानकारी किसानों को दी जा रही है. साथ ही इस तकनीक को किसानों के हित में साझा भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस नई तकनीक का उपयोग केवल मसाला खेती में ही नहीं बल्कि अन्य फसलों में भी किया जा सकता है. अजमेर में स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में नई तकनीक से बने बिना रसायन के कीटनाशक किसानों को दिया जा रहा है. वहीं, उर्वरक का उपयोग पहले के अनुसार ही कर सकते हैं. इनके उपयोग से तैयार की गई उपज स्वास्थ्य और गुणवत्ता की दृष्टि से बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि घातक कीटनाशक को छोड़कर नई तकनीक से तैयार बिना रसायन कीटनाशक को अपनाने के लिए किसानों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

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