नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में दिवाली के पहले ही हवा 'बेहद खराब' होने लगी है और प्रदूषण का जहर तेजी से घुल रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो दिवाली से पहले ही दिल्ली एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 का आंकड़ा पार कर सकता है. हालांकि कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां पहले ही हवा की गुणवत्ता का स्तर इतना अधिक खराब रिकॉर्ड किया जा सकता है.
दरअसल दिल्ली-एनसीआऱ में बढ़ रहे प्रदूषण के कई प्रमुख कारण है. इसमें आसपास के राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण, औद्योगिक इकाई, निर्माण कार्य मौसम आदि शामिल हैं. हवा की गुणवत्ता को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप-2) का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो जल्द ही ग्रैप का तीसरा चरण भी लागू किया जा सकता है. मंगलवार शाम कई इलाके, हल्की धुंध की चादर में लिपटे नजर आए. वहीं बुधवार सुबह भी कमोबेश यही हालात दिखाई दिए.
यह है एक्यूआई का हाल: लगातार बढ़ रहे एक्यूआई के चलते सुबह और शाम के वक्त पार्कों में टहलने आने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी नजर आने लगी है. प्रदूषण सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक है. औसत एक्यूआई पर नजर डालें तो दिल्ली में 354, फरीदाबाद में 181, गुरुग्राम में 248, गाजियाबाद में 320, ग्रेटर नोएडा में 196 और नोएडा में एक्यूआई 304 दर्ज किया गया. लोगों से यह अपील की गई है कि घर से बाहर मास्क लगाकर ही निकलें.
#WATCH | Delhi: Air quality in the national capital deteriorates to 'very poor' quality, with AQI at 349 as per SAFAR-India
— ANI (@ANI) October 23, 2024
(Visuals from ITO) pic.twitter.com/CblIIU34ye
यह भी पढ़ें- दिल्ली में तेजी से फैल रहा डेंगू, तीन हफ्ते में मिले 1450 नए मरीज, जानिए क्या कह रहे डॉक्टर
VIDEO | " i have come here (delhi) for an exam. i came to see the india gate... pollution is very high here. the situation in jaipur (hometown) is not like this. i am here at the kartavya path...one of best places but here too there is pollution. the government must do something… pic.twitter.com/N7h16dt8qX
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2024
पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार के निवासी अशोक कुमार जिंदल ने बताया कि कंस्ट्रक्शन को बंद कर दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी बाहर निकलिए तो धूल से सामना होता है. इतना कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए निकलता हूं, तो कुछ दूरी से कभी-कभी बस तक नजर नहीं आती है.
एक अन्य निवासी कपिल सिंघल ने बताया कि सरकार पूरे साल ध्यान नहीं देती और जैसे ही सर्दी आती है, प्रदूषण बढ़ता है तो सरकार कोशिश शुरू करती है और फिर कंट्रोल हो नहीं पाता. जनता को इसमें पिसना पड़ता है.
फिलहाल 'बेहद खराब' श्रेणी में एक्यूआई: एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. वहीं 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'बहुत खराब' और 400-500 को गंभीर श्रेणी का माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
यह भी पढ़ें- यमुना से हटेगा 'जहरीला झाग', कालिंदी कुंज घाट पर नाव से किया गया केमिकल का छिड़काव