कोरबा: कोयला खदान और इंडस्ट्रियल एरिया होने के चलते कोरबा की हवा प्रदूषित है. पॉल्यूशन कंट्रोल बार्ड जो आंकड़े जारी कर रही है उससे पता चलता है कि सुबह और दोपहर की हवा का स्तर नुकसान पहुंचाने वाला है. कोरबा जिले का AQI यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार घटता बढ़ता रहता है. ठंड के मौसम में बारीक कण हवा में जम जाते हैं. हवा में जमें ये बारीक कण एयर क्वालिटी को खराब करते हैं. हवा में स्मॉग का निर्माण भी होता है. इस मौसम में ऐसी प्रदूषित हवा दमा और सांस संबंधी रोगियों के लिए खतरनाक साबित होता है.
दमा और सांस रोगियों को खतरा: दीपावली और इसके बाद खास तौर पर खदान वाले इलाकों की हवा ज्यादा प्रदूषित पाई गई है. गेवरा में पीएम-2.5 का अधिकतम स्तर 103 दर्ज किया गया. रात के 8 बजे से रात के 12 बजे तक पीएम-10 का स्तर 118 दर्ज किया गया. कुछ दिन पहले गेवरा और दीपका की हवा इससे भी खराब दर्ज की जा चुकी है. पीएम-10 का अधिकतम स्तर 254 तक पहुंच गया था. प्रदूषण का यह स्तर घटता बढ़ता रहता है. पर्यावरण विभाग की मानें तो सर्दी के मौसम में हवा की क्वालिटी खराब जरूर रहती है, लेकिन वर्तमान की स्थिति संतोषजनक है. इधर शहर की हवा खराब होने से दमा के मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है.
कोल और रोड डस्ट से परेशानी: खदान वाले इलाकों के साथ ही कोल और फ्लाई एश यानि राख के डस्ट जिले में प्रदूषण का बड़ा कारण रहे हैं. कोरबा और गेवरा-दीपका में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर सामान्य से ज्यादा रहा है. हवा में प्रदूषण से ठंड में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. दमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ और कई अन्य परेशानियां होती हैं. गेवरा अब दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान के रुप में जाना जाता है.
कोयले के खदानों से उड़ता है डस्ट: दीपका भी बड़ा कोयला उत्पादक खदान है. कोयला खनन और परिवहन में एसईसीएल का प्रबंधन भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल करता है. रेल के साथ सडक़ मार्ग से भी कोयला ट्रांसपोर्ट किया जाता है. कोयले लदे भारी भरकम वाहन हवा को और प्रदूषित करते हैं. गाड़ियों से उड़ने वाले महीन धूल कण सांसों के जरिए फेफड़े तक पहुंच जाते हैं.
एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़े: हवा की गुणवत्ता 75 से कम रहने पर इसे संतोषजनक माना जाता है. जबकि 100 के आसपास हवा घातक हो जाती है. AQI 100 या इससे ज्यादा होने पर इसे पर्यावरण और मानव के लिए घातक माना जाता है. जबकि 200 से ऊपर होने पर सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है . पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मशीन ने पीएम-10 का न्यूनतम स्तर 75 और अधिकतम स्तर 118 प्रति घनमीटर दर्ज किया है.
खतरनाक स्तर पर प्रदूषण: क्षेत्र में पीएम-10 के साथ-साथ पीएम-2.5 भी संतोषजनक नहीं है. यह भी अधिकतम 103 दर्ज किया गया है. पिछले कुछ दिनों से गेवरा में यह स्थिति बनी हुई है. हवा में मौजूद पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर जानने के लिए एक मशीन क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी के कार्यालय परिसर में लगी है. मशीन शहर के मुख्य मार्ग से काफी दूर है. इसके बावजूद यह मशीन जो आंकड़े जारी कर रही है, उससे पता चलता है कि शहर में हवा की गुणवत्ता ठीक नहीं है. पीएम-10 और 2.5 की वृद्धि से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है.
धूल के कण अधिक खतरनाक: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शशिकांत भास्कर का कहना है की इंडस्ट्रियल जिला होने के कारण कोरबा जिले में हवा के गुणवत्ता खराब रहती है. सर्दी के मौसम में स्मॉग का बनता है जिससे हवा में सांस लेना मुश्किल होता है. ऐसे मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. सांस से संबंधित सभी रोगों के मरीज फिलहाल अधिक तादाद में सामने आए हैं.
धूप निकलने पर मॉर्निंग वॉक के लिए जाएं: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शशिकांत भास्कर कहते हैं कि पीएम-10 छोटे-छोटे कण होते हैं, जो नाक और गले से होकर फेफड़ों में समा जाते हैं और फेफड़े को प्रभावित करते हैं. दमा से पीडि़त मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. पीएम-2.5 पीएम-10 से भी छोटा होता है और यह फेफड़ों के जरिए रक्त कोशिकाओं तक समा जाता है. इन कणों से आंख, नाक और गले में जलन होती है. इस मौसम में लोगों का अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. धूप निकलने के पहले मॉर्निंग वॉक नहीं करना चाहिए. मास्क का उपयोग करते हुए बाहर निकलना चाहिए.
पर्यावरण संरक्षण मंडल कर रहा मॉनिटरिंग: इस विषय में पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के रीजनल ऑफिसर प्रमेंद्र पांडेय का कहना है कि दीपावली के बाद से ठंड के मौसम में वायु गुणवत्ता कुछ खराब हुई है. हम नियमित तौर पर मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इंडस्ट्रीज की भी नियमित तौर पर हम जांच करते रहते हैं. जिस इंडस्ट्री द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जाता या अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलया जाता है. ऐसे उद्योगों को हम नोटिस भी जारी करते हैं. हाल फिलहाल में कुछ समय पहले तक वायु की गुणवत्ता खराब जरूरत थी. लेकिन वर्तमान में जिले का AQI संतोषजनक है.