नई दिल्ली: विकासपुरी इलाके की कुम्हार कॉलोनी से एक हैरान कर देने वाली स्थिति सामने आई है. जहां एक ओर सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाले कार्यों पर प्रतिबंध लगा रखा है, वहीं दूसरी तरफ, इस इलाक़े में भट्ठियों का धुआं बेखौफ वातावरण को और अधिक प्रदूषित कर रहा है. रात के अंधेरे में जल रही इन भट्ठियों से निकलने वाला काला धुआं हवा में मिश्रित हो रहा है, जिसका मुख्य कारण दीवाली और छठ जैसे त्योहारों से पहले मिट्टी के दीपक और अन्य सामानों का निर्माण है.
इन भट्ठियों की समस्या गंभीर है. हालांकि, सरकार ने इलेक्ट्रिक भट्ठियों का उपयोग शुरू करने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन सभी कुम्हारों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. कई कुम्हार अब भी पारंपरिक आग वाली भट्ठियों का सहारा लेकर काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मिलने वाले समानों को बेचना जरूरी है.
दिल्ली सरकार का दावा है कि उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई टीमों का गठन किया है, लेकिन कुम्हार कॉलोनी में जलती भट्ठियों और उससे निकलने वाले धुएं को देखकर यह स्पष्ट है कि इन टीमों की प्रभावी निगरानी या कार्रवाई कहीं दिखाई नहीं दे रही है. यह केवल एक कॉलोनी का मामला नहीं है; दिल्ली में कई ऐसे इलाके हैं जहां प्रजापत समाज के लोग इसी तरह काम कर रहे हैं.
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इस समस्याओं का समाधान जल्दी आवश्यक है. शहरी विकास की दिशा में प्रगति के साथ-साथ प्रदूषण की रोकथाम पर भी ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है. इलेक्ट्रिक भट्ठियों के उपयोग को बढ़ावा देने और कुम्हारों को उचित सहायता प्रदान करने से न केवल प्रदूषण में कमी लाई जा सकती है, बल्कि समाज के इस वर्ग की उचित आजीविका की सुरक्षा भी हो सकती है.
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