ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में महिला डॉक्टर के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को जमानत दिए जाने की सूचना से डॉक्टर भड़क गए हैं. डॉक्टरों ने जुलूस निकालकर आरोपी को एम्स से बर्खास्त करने के साथ दोबारा से गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग रखी है. मांग पूरी न होने तक डॉक्टरों ने हड़ताल कर अपने आंदोलन को जारी रखने का ऐलान किया है. इस बीत दून एसएसपी अजय सिंह डॉक्टरों को मनाने एम्स पहुंचे.
दरअसल, महिला डॉक्टर से छेड़छाड़ के प्रयास में नामजद हुए नर्सिंग अफसर सतीश कुमार के जेल जाने की बजाय जमानत पर रिहा होने की सूचना ने डॉक्टर को एक बार फिर भड़का दिया है. डॉक्टरों ने गुरुवार को एम्स परिसर पर आसपास के क्षेत्र में जुलूस निकालते हुए जमकर नारेबाजी की. छेड़छाड़ की पीड़ित डॉक्टर को न्याय दिलाने की मांग को दोहराया.
एम्स की महिला डॉक्टर्स बोलीं- आरोपी के आजाद घूमने से महसूस कर रही हैं असुरक्षित: डॉक्टर पारुल ने कहा कि आरोपी सतीश कुमार के आजाद घूमने से वो खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. आरोपी को बेल नहीं बल्कि, जेल होनी चाहिए. उसकी एम्स से भी नौकरी की सेवाएं समाप्त कर उसे बर्खास्त कर देना चाहिए. प्रशासन ने यदि उनकी मांग को नहीं माना तो वो उग्र आंदोलन करने के लिए भी मजबूर होंगे.
डॉक्टरों को मनाने एम्स पहुंचे एसएसपी अजय सिंह: जुलूस और नारेबाजी की सूचना मिलने पर देहरादून एसएसपी अजय सिंह भी एम्स पहुंचे. उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से मुलाकात की. साथ ही उन्हें मुकदमें और आरोपी पर लगी धाराओं के बारे में जानकारी देकर शांत करने का प्रयास किया, लेकिन डॉक्टर अपनी मांग पर पड़े रहे. हालांकि देर शाम को लिखित आश्वसन के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी.
क्या बोले एसएसपी अजय सिंह? एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर ही पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. संबंधित धाराएं लगाई गई हैं. उन्हीं के अनुसार आरोपी पर कार्रवाई की जा रही है. विवेचना में यदि कुछ और तथ्य सामने आते हैं तो उसके आधार पर अन्य धाराओं को भी घटाया बढ़ाया जाएगा.
फिलहाल डॉक्टरों को शांत कर हड़ताल खत्म कर ड्यूटी पर आने के लिए समझाया गया है. उम्मीद है कि डॉक्टर उनकी बात जरूर मानेंगे. एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि एम्स की इमरजेंसी में पुलिस के वाहन घूमने की वायरल वीडियो का भी संज्ञान लिया गया है. उन्होंने एम्स में जाकर खुद निरीक्षण किया है.
एसएसपी ने बताया क्यों तीसरी मंजिल पर पहुंची गाड़ी: एसएसपी अजय सिंह ने पूरी घटना को लेकर बताया कि 19 मई को महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना के बाद 20 मई को आरोपी अस्पताल के साइकेट्रिक वार्ड में भर्ती हो गया था. वहां पर लगातार भीड़ बढ़ गई थी. भीड़ को देखते हुए पुलिस को बुलाया गया. वहां पहुंचकर पुलिस के देखा कि आरोपी वार्ड में था और बाहर 250 से 300 डॉक्टर इकट्ठा थे.
उनकी यही डिमांड थी कि आरोपी को सजा दी जाए. काफी देर तक उनको समझाया गया लेकिन इसके बाद भी वो आक्रोशित रहे और भीड़ ज्यादा एकत्रित होने लगी. स्थिति को देखते हुए और मॉब लिंचिग की घटना को रोकने के लिए सिक्योरिटी अफसर ने पुलिस को इमरजेंसी एक्जिट के बारे में बताया.
इसके बाद भीड़ से बचाते हुए पुलिस की गाड़ी को तीसरी मंजिल तक ले जाया गया और आरोपी को बाहर लाया गया. हालांकि, जब भीड़ ने देखा कि इस तरह आरोपी को लाया गया है तो लोगों ने पहली मंजिल के पास गाड़ी को रोकने की कोशिश की.
इस स्थिति को देखते हुए सिक्योरिटी अफसर ने 50 मीटर का रास्ता (जो एक और एक्जिट तक जाता है) जो एक वेटिंग रूम का एरिया है, वहां से सुरक्षित निकाला गया. इस दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि पेशेंट और वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो.
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि वहां पर उस वक्त नर्सिंग स्टॉफ भी बड़ी संख्या में मौजूद था तो कहीं डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ के बीच कोई क्लैश न हो, पुलिस और एम्स प्रशासन के बीच क्लैश न हो, और वहां पर जो मरीज हैं उनको कोई दिक्कत न हो, ये सभी कुछ देखते हुए पुलिस को उस वक्त जो उचित लगा वो किया गया.
एसएसपी ने बताया कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ 354, 506 में मुकदमा दर्ज हो चुका है. उसमें विधिक कार्रवाई चल रही है. इसके साथ ही एम्स में पुलिस द्वारा एक अलग से कमेटी बना दी गई है, जो छात्रों की शिकायतों को सुनेगी. इस कमेटी ने एम्स प्रशासन से मीटिंग भी की है.
तीसरी मंजिल तक क्यों पहुंची पुलिस की गाड़ी? एम्स ऋषिकेश की डायरेक्टर प्रोफेसर मीनू सिंह से भी बातचीत की गई है. जांच में पता चला है कि वारदात के बाद आरोपी मनोरोग वार्ड में भर्ती हो गया था, जिसे मारने-पीटने के लिए डॉक्टरों की टीम आक्रोशित थी. इसलिए एम्स के सुरक्षा गार्ड के दिखाए रास्ते के अनुसार पुलिस अपने वाहन को लेकर चौथी मंजिल पर पहुंची.
जहां से पुलिस अभिरक्षा में आरोपी सतीश कुमार को हिरासत में लेकर कोतवाली लाया गया. इस दौरान किसी भी मरीज को कोई भी नुकसान नहीं हुआ. सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया और जिस हिस्से को इमरजेंसी हिस्सा बताया जा रहा है, वो इमरजेंसी से पहले मरीज के वेटिंग रूम का हिस्सा है.
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