नई दिल्ली: अगर भारत को फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार मिलना है, तो शायद यह एम्स दिल्ली से ही मिलेगा. ये बातें दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने PTI को दिए इंटरव्यू के दौरान कही. डॉ एम श्रीनिवास ने कहा कि एम्स दिल्ली विभिन्न बीमारियों पर शोध कर रहा है, जो देश विशेष से संबंधित हैं और जिनका सामाजिक प्रभाव है.
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को शोध से अधिक समय रोगी की देखभाल के लिए देना पड़ता है. भारत के लिए विशिष्ट बीमारियों पर ध्यान देने से उन्हें समझने और बीमारी के शमन के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी.
अपने देश की बीमारियों पर हम नहीं तो कौन करेगा शोधः डॉ एम श्रीनिवास ने कहा, "शोध के क्षेत्र में हमने निश्चित रूप से बढ़त हासिल की है. आपको यह समझना होगा कि अगर हम उन बीमारियों पर शोध नहीं करेंगे जो हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण और भौगोलिक रूप से विशिष्ट हैं, तो और कौन करेगा." उन्होंने कहा कि चाहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय हो, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद हो या एम्स, हमारा ध्यान देश में स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान देने और यह पता लगाने पर है."
"हमारा समय रोगी देखभाल पर अधिक होता है. जब हम किसी ऐसे रोगी को देखते हैं जिसे हमारी देखभाल की आवश्यकता होती है. रोगी हमारे सामने मर रहा होता है, तो जाहिर है कि हम रोगी के साथ अधिक समय बिताएंगे. अगर हमें नोबेल पुरस्कार प्राप्त करना है तो हमें पूरी तरह से इस पर ध्यान केंद्रित होना होगा."- डॉ एम श्रीनिवास, निदेशक, दिल्ली एम्स
नोबेल के लिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत हैः डॉ. श्रीनिवास ने कहा, "शोध में एक बड़े संदर्भ में, हम यह कह सकते हैं कि अगर भारत को फिजियोलॉजी या चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार मिलना है तो शायद यह एम्स दिल्ली से ही मिलेगा. एम्स दिल्ली उसी दृष्टिकोण पर काम कर रहा हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनके विदेशी समकक्ष केवल शोध पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, लेकिन एम्स दिल्ली को रोगी देखभाल और शिक्षण पर भी ध्यान देना होगा.
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