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उत्तर प्रदेश के एडेड और राजकीय कॉलेजों के शिक्षकों का होगा समायोजन - Aided and government colleges

उत्तर प्रदेश के राजकीय और एडेड इंटर कॉलेजों में शिक्षकों और विद्यार्थियों का अनुपात नये शैक्षिक सत्र 2024-25 में सुधारा जाएगा. इसके लिए उत्तर प्रदेश के एडेड और राजकीय कॉलेजों के शिक्षकों का समायोजन किया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 3, 2024, 6:15 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राजकीय और एडेड इंटर कॉलेजों में शिक्षकों और विद्यार्थियों का अनुपात नये शैक्षिक सत्र 2024-25 में सुधर जायेगा. इसके लिए सभी कॉलेजों का ब्योरा माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से जुटाया जा रहा है. कई विद्यालयों का ब्योरा मिल भी गया बाकी जो छूटे हैं, उनके संबंध में सूचना एकत्र की जा रही है. लोकसभा चुनाव के बाद शिक्षकों का समायोजन शुरू हो जायेगा.

अभी तक स्कूलों के लिए प्रदेश में यह है नियम: बेसिक और माध्यमिक दोनों ही विभाग की कई ऐसी नियमावली हैं, जिनमें परिवर्तन अब जरूरी है. इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत एडेड कॉलेजों में समायोजन का प्रावधान नहीं है. एडेड कॉलेजों में संस्था ही चयन की इकाई होती है और प्रबंधक नियोक्ता होता है. चयन तिथि से ही वरिष्ठता निर्धारित की जाती है. वहीं जानकार कहते हैं कि शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया बेसिक व माध्यमिक दोनों स्तर के विद्यालयों में नियमित होनी चाहिए.

प्रदेश भर में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से 2,363 राजकीय और 4,512 एडेड कॉलेजों का संचालन हो रहा है. इसमें काफी संख्या में ऐसे कॉलेज हैं, जहां शिक्षकों और बच्चों का अनुपात सही नहीं है. ऐसे में विभाग प्रयास है कि कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों और बच्चों का अनुपात सुधारा जाये. अधिकारी बताते हैं कि समायोजन की स्थिति भी शिक्षकों की लापरवाही से आई है. शिक्षक कॉलेजों में छात्र संख्या बढ़ाने पर जोर ही नहीं देते हैं. काफी संख्या में ऐसे एडेड कॉलेज हैं, जहां बच्चों की संख्या नाम मात्र है.

नहीं चलेगा जुगाड़ और न मिलेगा विकल्प: एडेड और राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों के समायोजन को लेकर जो शासनादेश है, उसके क्रम में शिक्षकों को मनचाहा स्कूल मिलना आसान नहीं होगा. राजधानी में काफी संख्या में ऐसे एडेड कॉलेज हैं, जहां पर बच्चों की संख्या 100 से 300 के बीच भी नहीं है. इसमें दिगंबर जैन और लखनऊ इंटर कॉलेज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. प्रदेशीय उपाध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि पहले स्थानांतरण की उद्योग की जांच होनी चाहिए, एक हजार से अधिक शिक्षकों के गलत तरह से तबादला हुआ है. फिर अमान्य विद्यालय के बच्चे एडेड कॉलेजों में समायोजित किया जाये. फिर शिक्षकों के समायोजन पर विचार होना चाहिए.

अलंकार योजना के मानक में फेल हैं कॉलेज: राज्य सरकार ने एडेड कॉलेजों की दशा को सुधारने के लिए अलंकार योजना शुरूआत की है. इस योजना में कॉलेजों की ओर से भाग लेने की जो छात्र संख्या का निर्धारित है उसमें ये पूरी तरह से फेल हैं. प्रोजेक्ट अलंकार के तहत कॉलेजों का विकास के लिए 75 प्रतिशत बजट सरकार देगी जबिक 25 प्रतिशत बजट विद्यालय प्रबंधन खुद अपनी ओर से लगायेंगे, लेकिन इसमें छात्र संख्या का मानक आड़े आ रहा है.

माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने कहा कि सभी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या और शिक्षकों की संख्या मांगी जा रही है. कई कॉलेजों का ब्योरा आ गया है. नये सत्र में समायोजन की प्रक्रिया पूरी करके शिक्षकों और छात्र संख्या का अनुपात सुधारा जायेगा.

ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2024: सुल्तानपुर में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन, कांग्रेस ने की शिकायत - Lok Sabha Election

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राजकीय और एडेड इंटर कॉलेजों में शिक्षकों और विद्यार्थियों का अनुपात नये शैक्षिक सत्र 2024-25 में सुधर जायेगा. इसके लिए सभी कॉलेजों का ब्योरा माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से जुटाया जा रहा है. कई विद्यालयों का ब्योरा मिल भी गया बाकी जो छूटे हैं, उनके संबंध में सूचना एकत्र की जा रही है. लोकसभा चुनाव के बाद शिक्षकों का समायोजन शुरू हो जायेगा.

अभी तक स्कूलों के लिए प्रदेश में यह है नियम: बेसिक और माध्यमिक दोनों ही विभाग की कई ऐसी नियमावली हैं, जिनमें परिवर्तन अब जरूरी है. इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत एडेड कॉलेजों में समायोजन का प्रावधान नहीं है. एडेड कॉलेजों में संस्था ही चयन की इकाई होती है और प्रबंधक नियोक्ता होता है. चयन तिथि से ही वरिष्ठता निर्धारित की जाती है. वहीं जानकार कहते हैं कि शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया बेसिक व माध्यमिक दोनों स्तर के विद्यालयों में नियमित होनी चाहिए.

प्रदेश भर में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से 2,363 राजकीय और 4,512 एडेड कॉलेजों का संचालन हो रहा है. इसमें काफी संख्या में ऐसे कॉलेज हैं, जहां शिक्षकों और बच्चों का अनुपात सही नहीं है. ऐसे में विभाग प्रयास है कि कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों और बच्चों का अनुपात सुधारा जाये. अधिकारी बताते हैं कि समायोजन की स्थिति भी शिक्षकों की लापरवाही से आई है. शिक्षक कॉलेजों में छात्र संख्या बढ़ाने पर जोर ही नहीं देते हैं. काफी संख्या में ऐसे एडेड कॉलेज हैं, जहां बच्चों की संख्या नाम मात्र है.

नहीं चलेगा जुगाड़ और न मिलेगा विकल्प: एडेड और राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों के समायोजन को लेकर जो शासनादेश है, उसके क्रम में शिक्षकों को मनचाहा स्कूल मिलना आसान नहीं होगा. राजधानी में काफी संख्या में ऐसे एडेड कॉलेज हैं, जहां पर बच्चों की संख्या 100 से 300 के बीच भी नहीं है. इसमें दिगंबर जैन और लखनऊ इंटर कॉलेज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. प्रदेशीय उपाध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि पहले स्थानांतरण की उद्योग की जांच होनी चाहिए, एक हजार से अधिक शिक्षकों के गलत तरह से तबादला हुआ है. फिर अमान्य विद्यालय के बच्चे एडेड कॉलेजों में समायोजित किया जाये. फिर शिक्षकों के समायोजन पर विचार होना चाहिए.

अलंकार योजना के मानक में फेल हैं कॉलेज: राज्य सरकार ने एडेड कॉलेजों की दशा को सुधारने के लिए अलंकार योजना शुरूआत की है. इस योजना में कॉलेजों की ओर से भाग लेने की जो छात्र संख्या का निर्धारित है उसमें ये पूरी तरह से फेल हैं. प्रोजेक्ट अलंकार के तहत कॉलेजों का विकास के लिए 75 प्रतिशत बजट सरकार देगी जबिक 25 प्रतिशत बजट विद्यालय प्रबंधन खुद अपनी ओर से लगायेंगे, लेकिन इसमें छात्र संख्या का मानक आड़े आ रहा है.

माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने कहा कि सभी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या और शिक्षकों की संख्या मांगी जा रही है. कई कॉलेजों का ब्योरा आ गया है. नये सत्र में समायोजन की प्रक्रिया पूरी करके शिक्षकों और छात्र संख्या का अनुपात सुधारा जायेगा.

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