भिवानी: आज पूरे देश में भारतीय संस्कृति व पुरानी परंपराओं का प्रतीक अहोई अष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. हरियाणा में भी महिलाओं ने इस त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया. संतान सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए आज महिलाओं ने अहोई अष्टमी उपवास रखकर अनुष्ठान किया. सुबह कई महिलाएं रोली, मोली, चावल व पूजा की अन्य सामग्री को लेकर मंदिरों में पहुंची और इष्ट देव के समक्ष संतान की सुख-समृद्धि की कामना की.
महिलाओं ने धूमधाम से मनाया अहोई अष्टमी त्योहार: दोपहर होते ही महिलाओं की टोलियां मंदिरों में बढ़नी शुरू हो गई थी. अहोई माता की कथा सुनकर बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और सूर्य को अर्घ्य दिया. इसी कड़ी में भिवानी के विवेकानंद हाई स्कूल में महिलाओं ने एकत्रित होकर संतान की सुख व समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा था. साथ ही कलश का पूजन किया और पारंपरिक तरीके से त्यौहार को मनाया.
संतान के लिए निर्जला व्रत: अहोई अष्टमी पर महिलाओं ने बताया कि संतान की सुख समृद्धि व लंबी आयु की कामना के लिए कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस व्रत की विशेषता है कि जिस दिन अहोई अष्टमी होती है, अगले सप्ताह उसी दिन दीपावली मनाई जाती है. उन्होंने बताया कि इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए दिन में अहोई माता की कथा कर रात को तारों को देखकर व्रत खोला जाता है.
'परंपरा को रखेंगे कायम': महिलाओं ने कहा कि सामूहिक रूप से अहोई अष्टमी की पूजा-अर्चना कर कथा सुनी है. इससे हमारे देश की एकता और अखंडता का संदेश भी जाता है. उन्होंने कहा कि तीज-त्योहार हमें भाईचारा सद्व्यवहार और एकता का संदेश देते हैं. तथा हमें अपनी संस्कृति, संस्कार और परंपराओं से जोड़ने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी की सीख देने का काम करते हैं. इसलिए तरह से परंपराओं से युक्त कार्यक्रमों का होना जरूरी है. ताकि सनातन संस्कृति को मजबूत किया जा सके. उन्होंने कहा कि अहोई अष्टमी का पर्व संतान की सुख, समृद्धि और उनकी दीर्घायु के लिए मातृशक्ति निर्जला रहती है.
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