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छत्तीसगढ़ में फोल्डस्कोप से कृषि क्रांति, किसानों को खेती और पशुपालन में मिल रही मदद - REVOLUTION BY FOLDSCOPE IN CG

छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में फोल्डस्कोप उपकरण का इस्तेमाल खेती और किसानी के लिए किया जा रहा है.

REVOLUTION BY FOLDSCOPE IN CG
छत्तीसगढ़ में फोल्डस्कोप से कृषि (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 30, 2024, 3:30 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. यहां धान की सबसे ज्यादा खेती होती है. इसके साथ साथ ही दलहन और अन्य फसलों की भी खेती किसान यहां करते हैं. सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में किसानों के लिए प्रदेश में नई पहल की गई है. प्रदेश में 20 जिलों के किसान खेती और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए फोल्डस्कोप का प्रयोग कर रहे हैं. इस तकनीक के जरिए किसानों को खेती के उन्नत गुर सिखाए जा रहे हैं.

क्या है फोल्डस्कोप?: किसानों को फोल्डस्कोप के जरिए खेती और कीट प्रबंधन में मदद पहुंचाई जा रही है. इससे किसानों को मदद मिल रही है. इतना ही नहीं किसानों को फोल्डस्कोप के जरिए उन्नत नस्ल के मवेशियों के पालन की जानकारी मिल रही है. फोल्डस्कोप एक तरह का माइक्रोस्कोप होता है. जिसके जरिए उन्हें मदद मिलती है. राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान के सहयोग से छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के किसानों को फोल्डस्कोप पोर्टेबल माइक्रोस्कोप बांटे गए हैं. इस माइक्रोस्कोप का उद्देश्य किसानों को खेती और पशुपालन में साइंटिफिक टेक्नोलॉजी का आधार मुहैया कराना है.

किन जिलों में किसानों को मिली फोल्डस्कोप तकनीक?: छत्तीसगढ़ के कुल 20 जिलों में किसानों को फोल्डस्कोप तकनीक से फायदा हो रहा है. इन जिलों में जांजगीर चांपा, सक्ती, रायगढ़, बलौदाबाजार भाटापारा, रायपुर, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, मोहला मानपुर, अंबागढ़ चौकी, कोरिया, सरगुजा, जशपुर, कोरबा, बिलासपुर और मुंगेली जैसे जिले शामिल हैं. इसके अलावा कबीरधाम, बेमेतरा, कांकेर और बस्तर जिलों में भी इस तकनीक का सहारा किसान ले रहे हैं. इस कार्य को आईसीएआर और राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान की तरफ से किया जा रहा है.

फोल्डस्कोप सस्ती और कारगर तकनीक है. यह एक पोर्टेबल माइक्रोस्कोप है. इसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर मनु प्रकाश और उनकी टीम ने तैयार किया है. साल 2014 में फोल्डस्कोप तकनीक को लॉन्च किया गया. तब से इसका उपयोग कृषि, पशुपालन और कृषि आधारित शोध के लिए किया जा रहा है. इसके प्रयोग से खेती में वैज्ञानिक तरीकों को शामिल करने में मदद मिली है. इस तकनीक के प्रयोग से किसान कीट से जुड़े रोग और मिट्टी की गुणवता की जांच आसान से कर पा रहे हैं.- छत्तीसगढ़ कृषि विभाग

किसानों को मिल रही मदद: छत्तीसगढ़ कृषि विभाग की तरफ से इसके बारे में जानकारी दी गई है. जिसमें यह बताया गया है कि फोल्डस्कोप की मदद से किसानों को 16 प्रकार के फंगल रोग जो फसल में होते हैं. उसके बारे में पता चला है. जिन रोगों की पहचान हुई है. उसमें गोलोविनोमाइसेस सिचोर-एसेरम और एरीसिफे पॉलीगोनी नामक बीमारी का पता चला है. मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान के संदर्भ में फोल्डस्कोप तकनीक से मदद मिल रही है. इससे मवेशियों के गर्भधारण के दर में सुधार हुआ है. मवेशियों के नस्लों की ब्रांडिंग में भी बेहतर रिजल्ट हासिल हो रहा है.

कैसे बना फोल्डस्कोप तकनीक का आविष्कार ? : फोल्डस्कोप तकनीक का आविष्कार तब हुआ जब जब प्रोफेसर मनु प्रकाश ने खेतों का दौरा किया और पाया कि वैज्ञानिक उपकरणों की सप्लाई किसानों के साथ नहीं होना एक बड़ी बाधा है. तब जाकर एक ऐसे उपकरण के विकास की नीति बनी जिसके तहत सस्ता और टिकाऊ यंत्र बनाने का विचार आया. इस तरह फोल्डस्कोप तकनीक तैयार हुई.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. यहां धान की सबसे ज्यादा खेती होती है. इसके साथ साथ ही दलहन और अन्य फसलों की भी खेती किसान यहां करते हैं. सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में किसानों के लिए प्रदेश में नई पहल की गई है. प्रदेश में 20 जिलों के किसान खेती और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए फोल्डस्कोप का प्रयोग कर रहे हैं. इस तकनीक के जरिए किसानों को खेती के उन्नत गुर सिखाए जा रहे हैं.

क्या है फोल्डस्कोप?: किसानों को फोल्डस्कोप के जरिए खेती और कीट प्रबंधन में मदद पहुंचाई जा रही है. इससे किसानों को मदद मिल रही है. इतना ही नहीं किसानों को फोल्डस्कोप के जरिए उन्नत नस्ल के मवेशियों के पालन की जानकारी मिल रही है. फोल्डस्कोप एक तरह का माइक्रोस्कोप होता है. जिसके जरिए उन्हें मदद मिलती है. राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान के सहयोग से छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के किसानों को फोल्डस्कोप पोर्टेबल माइक्रोस्कोप बांटे गए हैं. इस माइक्रोस्कोप का उद्देश्य किसानों को खेती और पशुपालन में साइंटिफिक टेक्नोलॉजी का आधार मुहैया कराना है.

किन जिलों में किसानों को मिली फोल्डस्कोप तकनीक?: छत्तीसगढ़ के कुल 20 जिलों में किसानों को फोल्डस्कोप तकनीक से फायदा हो रहा है. इन जिलों में जांजगीर चांपा, सक्ती, रायगढ़, बलौदाबाजार भाटापारा, रायपुर, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, मोहला मानपुर, अंबागढ़ चौकी, कोरिया, सरगुजा, जशपुर, कोरबा, बिलासपुर और मुंगेली जैसे जिले शामिल हैं. इसके अलावा कबीरधाम, बेमेतरा, कांकेर और बस्तर जिलों में भी इस तकनीक का सहारा किसान ले रहे हैं. इस कार्य को आईसीएआर और राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान की तरफ से किया जा रहा है.

फोल्डस्कोप सस्ती और कारगर तकनीक है. यह एक पोर्टेबल माइक्रोस्कोप है. इसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर मनु प्रकाश और उनकी टीम ने तैयार किया है. साल 2014 में फोल्डस्कोप तकनीक को लॉन्च किया गया. तब से इसका उपयोग कृषि, पशुपालन और कृषि आधारित शोध के लिए किया जा रहा है. इसके प्रयोग से खेती में वैज्ञानिक तरीकों को शामिल करने में मदद मिली है. इस तकनीक के प्रयोग से किसान कीट से जुड़े रोग और मिट्टी की गुणवता की जांच आसान से कर पा रहे हैं.- छत्तीसगढ़ कृषि विभाग

किसानों को मिल रही मदद: छत्तीसगढ़ कृषि विभाग की तरफ से इसके बारे में जानकारी दी गई है. जिसमें यह बताया गया है कि फोल्डस्कोप की मदद से किसानों को 16 प्रकार के फंगल रोग जो फसल में होते हैं. उसके बारे में पता चला है. जिन रोगों की पहचान हुई है. उसमें गोलोविनोमाइसेस सिचोर-एसेरम और एरीसिफे पॉलीगोनी नामक बीमारी का पता चला है. मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान के संदर्भ में फोल्डस्कोप तकनीक से मदद मिल रही है. इससे मवेशियों के गर्भधारण के दर में सुधार हुआ है. मवेशियों के नस्लों की ब्रांडिंग में भी बेहतर रिजल्ट हासिल हो रहा है.

कैसे बना फोल्डस्कोप तकनीक का आविष्कार ? : फोल्डस्कोप तकनीक का आविष्कार तब हुआ जब जब प्रोफेसर मनु प्रकाश ने खेतों का दौरा किया और पाया कि वैज्ञानिक उपकरणों की सप्लाई किसानों के साथ नहीं होना एक बड़ी बाधा है. तब जाकर एक ऐसे उपकरण के विकास की नीति बनी जिसके तहत सस्ता और टिकाऊ यंत्र बनाने का विचार आया. इस तरह फोल्डस्कोप तकनीक तैयार हुई.

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