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भाइयों की कलाइयों पर दमकेंगी ईको फ्रेंडली राखियां, मिट्टी में डालने के बाद उगेगा तुलसी का पौधा - Eco friendly rakhis

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 7:08 PM IST

आगरा नगर निगम और स्वंयसेवी संस्था लव यू जिंदगी फाउंडेशन ने रक्षाबंधन (Eco Friendly Rakhis) के लिए गाय के गोबर से खास राखियां तैयार की हैं. ये राखियां भाइयों के कलाई पर दमकने के बाद पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होंगी. देखें रिपोर्ट...

आगरा में बिक रहीं ईको फ्रेंडली राखियां.
आगरा में बिक रहीं ईको फ्रेंडली राखियां. (Photo Credit: ETV Bharat)
आगरा में बन रहीं गाय के गोबर से बनी राखियों पर संवाददाता श्यामवीर सिंह की खास रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

आगरा : रक्षाबंधन त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन और प्यार का प्रतीक है. इस त्योहार पर बाजारों में भाइयों की कलाई पर बांधने के लिए एक से बढ़कर एक फैंसी राखियों की भरमार है. सोने और चांदी की राखियों का बाजार भी गुलजार है. ऐसे में हर्बल और ईको फ्रेंडली राखियां आगरा के लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. ये राखियां गाय के गोबर से बनाई गई हैं. इन राखियों खासियत ये है कि इनको गमले में डालने पर तुलसी का पौधा उगेगा.

बता दें, आगरा नगर निगम और स्वंयसेवी संस्था लव यू जिंदगी फाउंडेशन मिलकर गाय के गोबर से कई उत्पाद बनाते हैं. इनमें सीड बॉल्स, दीपक, हवन सामग्री, धूपबत्ती और बंधनवार समेत कई उपयोगी उत्पाद शामिल हैं. रक्षाबंधन त्योहार के लिए आगरा नगर निगम और लव यू जिंदगी फाउंडेशन ने ईको फ्रेंडली राखियां तैयार की हैं. गाय के गोबर से बनी इन राखियों की बिक्री नगर निगम और शहर के कई जगह पर स्टॉल लगाकर की जा रही है.

लव यू जिंदगी स्वयंसेवी संस्था से जुड़े राजकुमार बताते हैं कि नगर निगम की ओर से शहर में कान्हा गौशाला संचालित हैं. जहां से गाय का गोबर मिल जाता है. इस गोबर से हर्बल राखियां तैयार की गई हैं. इन राखियों और अन्य उत्पादों का निर्माण करके लोगों को गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों के प्रति जागरूक करना है. यह वेस्ट मैंनेजमेंट का बेहतर तरीका भी है. खास बात ये है कि गाय के गोबर में एंटी रेडिएशन प्रापर्टी होती है, जो नकारात्मक रेडिएशन से बचाती हैं.


20 से 35 रुपये तक की कीमत : राजकुमार बताते हैं कि रक्षाबंधन पर करोड़ों रुपयों की राखियां बिकती हैं. इनमें अधिकतर राखियां प्लास्टिक व अन्य सामग्री से बनती हैं. रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर सजी ये राखियां कई बार स्किन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. त्योहार के बाद जब राखियों को फेंका जाता है तो पर्यावरण को भी प्रभावित करती हैं. ऐसे में गाय के गोबर से बनी राखियां स्किन पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. ये ईको फ्रेंडली हैं. इसलिए पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. क्योंकि, पानी में घुलने पर इन राखियों से हरियाली बढ़ेगी. ये राखियां बाजार में 20 से 35 रुपये में उपलब्ध है.




लव यू जिंदगी फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रंकुर जैन बताते हैं कि गाय के गोबर से बनी राखियों को ईको फ्रेंडली कलर्स से डेकोरेट किया गया है. इन राखियों को बनाते समय तुलसी की मंजरी को डाला गया है. जिससे त्योहार के बाद जब इन राखियों को गमले में या किसी पार्क में रखा जाएगा तो पानी में घुल जाएंगी. जिससे तुलसी के पौधा उगेगा. इसके अलावा गाय के गोबर से बने शुभ,लाभ, ओम, नेम प्लेट, राम और राधे-राधे की प्लेट भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं.



यह भी पढ़ें : मथुरा की जेल में कैदी तैयार कर रहे ईको फ्रेंडली राखियां, मिट्टी में डालने के बाद उगेंगे पौधे

यह भी पढ़ें : बकरी के दूध से बने साबुन से दमकती है त्वचा, फायदे जानकर आप भी कहेंगे, वाह !

आगरा में बन रहीं गाय के गोबर से बनी राखियों पर संवाददाता श्यामवीर सिंह की खास रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

आगरा : रक्षाबंधन त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन और प्यार का प्रतीक है. इस त्योहार पर बाजारों में भाइयों की कलाई पर बांधने के लिए एक से बढ़कर एक फैंसी राखियों की भरमार है. सोने और चांदी की राखियों का बाजार भी गुलजार है. ऐसे में हर्बल और ईको फ्रेंडली राखियां आगरा के लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. ये राखियां गाय के गोबर से बनाई गई हैं. इन राखियों खासियत ये है कि इनको गमले में डालने पर तुलसी का पौधा उगेगा.

बता दें, आगरा नगर निगम और स्वंयसेवी संस्था लव यू जिंदगी फाउंडेशन मिलकर गाय के गोबर से कई उत्पाद बनाते हैं. इनमें सीड बॉल्स, दीपक, हवन सामग्री, धूपबत्ती और बंधनवार समेत कई उपयोगी उत्पाद शामिल हैं. रक्षाबंधन त्योहार के लिए आगरा नगर निगम और लव यू जिंदगी फाउंडेशन ने ईको फ्रेंडली राखियां तैयार की हैं. गाय के गोबर से बनी इन राखियों की बिक्री नगर निगम और शहर के कई जगह पर स्टॉल लगाकर की जा रही है.

लव यू जिंदगी स्वयंसेवी संस्था से जुड़े राजकुमार बताते हैं कि नगर निगम की ओर से शहर में कान्हा गौशाला संचालित हैं. जहां से गाय का गोबर मिल जाता है. इस गोबर से हर्बल राखियां तैयार की गई हैं. इन राखियों और अन्य उत्पादों का निर्माण करके लोगों को गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों के प्रति जागरूक करना है. यह वेस्ट मैंनेजमेंट का बेहतर तरीका भी है. खास बात ये है कि गाय के गोबर में एंटी रेडिएशन प्रापर्टी होती है, जो नकारात्मक रेडिएशन से बचाती हैं.


20 से 35 रुपये तक की कीमत : राजकुमार बताते हैं कि रक्षाबंधन पर करोड़ों रुपयों की राखियां बिकती हैं. इनमें अधिकतर राखियां प्लास्टिक व अन्य सामग्री से बनती हैं. रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर सजी ये राखियां कई बार स्किन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. त्योहार के बाद जब राखियों को फेंका जाता है तो पर्यावरण को भी प्रभावित करती हैं. ऐसे में गाय के गोबर से बनी राखियां स्किन पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. ये ईको फ्रेंडली हैं. इसलिए पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. क्योंकि, पानी में घुलने पर इन राखियों से हरियाली बढ़ेगी. ये राखियां बाजार में 20 से 35 रुपये में उपलब्ध है.




लव यू जिंदगी फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रंकुर जैन बताते हैं कि गाय के गोबर से बनी राखियों को ईको फ्रेंडली कलर्स से डेकोरेट किया गया है. इन राखियों को बनाते समय तुलसी की मंजरी को डाला गया है. जिससे त्योहार के बाद जब इन राखियों को गमले में या किसी पार्क में रखा जाएगा तो पानी में घुल जाएंगी. जिससे तुलसी के पौधा उगेगा. इसके अलावा गाय के गोबर से बने शुभ,लाभ, ओम, नेम प्लेट, राम और राधे-राधे की प्लेट भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं.



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