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ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर कोर्ट में फिर वाद दायर, जानिए अधिवक्ता ने क्या दिए तर्क? - Agra Tajmahal Controversy News - AGRA TAJMAHAL CONTROVERSY NEWS

ताजमहल का अस्तित्व (Agra Tajmahal Controversy News) शाहजहां से पहले का है और मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है. जिसे तेजो महालय कहते थे. इस बाबत मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंच गया है. इस मामले में पहली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 27, 2024, 8:44 PM IST

आगरा : ताजमहल एक बार फिर विवाद को लेकर चर्चा में है. इस बार भी ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर विवाद उठा है. जिसको लेकर मथुरा के योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट और क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट ने कोर्ट में बुधवार को वाद दायर किया है. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस वाद में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद, महानिदेशक यूपी टूरिज्म को प्रतिवादी बनाया गया है. इसकी पहली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी.

बता दें, ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. इसको लेकर पहले भी कई बार इस मामले में कोर्ट में वाद दायर हुए हैं. अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने जनवरी में वाद प्रस्तुत किया था. उस समय न्यायालय ने सुनवाई के बाद वादी को धारा 80(1) सिविल प्रकिया संहिता नोटिस की कार्यवाही पहले पूरी करने को कहा था. जिस पर प्रतिवादी को नोटिस भेजकर दो महीने की समय सीमा के बाद दोबारा वाद दायर किया है.


अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वाद दायर करने से पहले एएसआई से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी. जिसमें पूछा था कि ताजमहल बनना कब शुरू हुआ था ? ताजमहल कब बनकर तैयार हुआ ? इसके साथ ही ताजमल की उम्र किस तरीके से निकाली गई है ? जिस पर एएसआई ने जवाब दिया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है. जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं. ताजमहल के विषय में अनुसंधान करना शुरू किया. जब मैंने बाबरनामा, हुमायूंनामा, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण इत्यादि पढ़े तो ये बात सामने आई कि शिव सहस्त्र नाम स्त्रोत के अनुसार तेजो नाम शिवजी का है. विश्वकर्मा प्रकाश में तेजोलिंग बेरनिर्माण का वर्णन है. संस्कृत में बेर का अर्थ मंदिर होता है.



एपिग्राफिका इंडिका में बटेश्वर शिलालेख के अनुसार, राजा परमाल देव ने फिटकरी के समान सफेद रंग का शिवजी का मंदिर 1194 ई में बनवाया था. ताज गार्डेन जिसका मूल नाम चारबाग है. जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में किया है. बाबर ने अपनी पुस्तक में ताजमहल के नीचे कुओं के निर्माण का भी वर्णन किया है. हुमायूंनामा में ताजमहल का उल्लेख है. आगरा गजेटियर, एएसआई बुलेटिन और रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल के अनुसार ताजमहल का शिल्पकार विवादित है.


एएसआई को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला : सन 1946 के एएसआई के बुलेटिन में एएसआई के महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स के लेख रिपेयरिंग ऑफ ताजमहल में लिखा है कि ताजमहल का शिल्पकार एक विवादित तथ्य है. जब सन 1652 के औरंगजेब के एक पत्र के अनुसार ताजमहल के शिल्पकारों के पास ताजमहल में वर्षा ऋतु में जो रिसाव हुआ था. जिसकी मरम्मत के कोई सुझाव उपलब्ध नहीं थे. जब एएसआई ने ताजमहल के मुख्य गुम्बद की मरम्मत शुरू की तो एएसआई को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला. उसमें जगह जगह चूना पत्थर भरे गए थे.

कासिम अली अफरीदी ने लिखी शाहजहां की प्रेम कहानी : ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी पीटर मुंडी ने सन 1632 में ताजगंज के बाजार का उल्लेख किया है. जबकि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था. अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में ताजमहल के भीतर उन्हें ब्लैक बेसाल्टिक पिलर मिला था. जिस पर कछुआ बना था जो जैन धर्म के तीर्थंकर मुनिश्र्वरनाथ का चिन्ह है. इतना ही नहीं, मुगल शहंशाह शाहजहां के प्रेम कहानी का वर्णन कासिम अली अफरीदी ने किया है. जिसका जन्म वर्ष 1771 व मृत्यु 1827 में हुई थी. जबकि ताजमहल के कथित निर्माण 1632 में हुआ. आगरा गजेटियर और बुरहानपुर गजेटियर में मुमताज महल की मृत्यु के वर्ष में अंतर है.


यह भी पढ़ें : सूर्य की पहली किरण में ताज निहारना मुश्किल, जानें क्या बोले मायूस पर्यटक

यह भी पढ़ें : मेयर की पीएम से मांग, ताजमहल से हटाएं हर पाबंदी

आगरा : ताजमहल एक बार फिर विवाद को लेकर चर्चा में है. इस बार भी ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर विवाद उठा है. जिसको लेकर मथुरा के योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट और क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट ने कोर्ट में बुधवार को वाद दायर किया है. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस वाद में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद, महानिदेशक यूपी टूरिज्म को प्रतिवादी बनाया गया है. इसकी पहली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी.

बता दें, ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. इसको लेकर पहले भी कई बार इस मामले में कोर्ट में वाद दायर हुए हैं. अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने जनवरी में वाद प्रस्तुत किया था. उस समय न्यायालय ने सुनवाई के बाद वादी को धारा 80(1) सिविल प्रकिया संहिता नोटिस की कार्यवाही पहले पूरी करने को कहा था. जिस पर प्रतिवादी को नोटिस भेजकर दो महीने की समय सीमा के बाद दोबारा वाद दायर किया है.


अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वाद दायर करने से पहले एएसआई से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी. जिसमें पूछा था कि ताजमहल बनना कब शुरू हुआ था ? ताजमहल कब बनकर तैयार हुआ ? इसके साथ ही ताजमल की उम्र किस तरीके से निकाली गई है ? जिस पर एएसआई ने जवाब दिया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है. जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं. ताजमहल के विषय में अनुसंधान करना शुरू किया. जब मैंने बाबरनामा, हुमायूंनामा, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण इत्यादि पढ़े तो ये बात सामने आई कि शिव सहस्त्र नाम स्त्रोत के अनुसार तेजो नाम शिवजी का है. विश्वकर्मा प्रकाश में तेजोलिंग बेरनिर्माण का वर्णन है. संस्कृत में बेर का अर्थ मंदिर होता है.



एपिग्राफिका इंडिका में बटेश्वर शिलालेख के अनुसार, राजा परमाल देव ने फिटकरी के समान सफेद रंग का शिवजी का मंदिर 1194 ई में बनवाया था. ताज गार्डेन जिसका मूल नाम चारबाग है. जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में किया है. बाबर ने अपनी पुस्तक में ताजमहल के नीचे कुओं के निर्माण का भी वर्णन किया है. हुमायूंनामा में ताजमहल का उल्लेख है. आगरा गजेटियर, एएसआई बुलेटिन और रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल के अनुसार ताजमहल का शिल्पकार विवादित है.


एएसआई को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला : सन 1946 के एएसआई के बुलेटिन में एएसआई के महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स के लेख रिपेयरिंग ऑफ ताजमहल में लिखा है कि ताजमहल का शिल्पकार एक विवादित तथ्य है. जब सन 1652 के औरंगजेब के एक पत्र के अनुसार ताजमहल के शिल्पकारों के पास ताजमहल में वर्षा ऋतु में जो रिसाव हुआ था. जिसकी मरम्मत के कोई सुझाव उपलब्ध नहीं थे. जब एएसआई ने ताजमहल के मुख्य गुम्बद की मरम्मत शुरू की तो एएसआई को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला. उसमें जगह जगह चूना पत्थर भरे गए थे.

कासिम अली अफरीदी ने लिखी शाहजहां की प्रेम कहानी : ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी पीटर मुंडी ने सन 1632 में ताजगंज के बाजार का उल्लेख किया है. जबकि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था. अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में ताजमहल के भीतर उन्हें ब्लैक बेसाल्टिक पिलर मिला था. जिस पर कछुआ बना था जो जैन धर्म के तीर्थंकर मुनिश्र्वरनाथ का चिन्ह है. इतना ही नहीं, मुगल शहंशाह शाहजहां के प्रेम कहानी का वर्णन कासिम अली अफरीदी ने किया है. जिसका जन्म वर्ष 1771 व मृत्यु 1827 में हुई थी. जबकि ताजमहल के कथित निर्माण 1632 में हुआ. आगरा गजेटियर और बुरहानपुर गजेटियर में मुमताज महल की मृत्यु के वर्ष में अंतर है.


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