जयपुर : राजधानी में गुरुवार को बारिश का कहर इस कदर बरपा कि चार लोगों को लील गया. एक युवती बेसमेंट में अपनी मौसेरी बहन को बचाने के लिए गई और दोनों डूब गई. बगरू में एक बच्चा नाले में बह गया, तो पड़ोसी के घर में सामान लेने गए युवक पर छत की पट्टियां टूट पड़ी. यही नहीं हेरिटेज निगम क्षेत्र में वार्ड 100 में डाली गई सीवर लाइन धंस गई और उसमें आपदा प्रबंधन के लिए गई जेसीबी तक फंस गई. गाड़ियां धंसने की ऐसी कई तस्वीरें गुरुवार को पूरे दिन सामने आती रही. इन हादसों ने जयपुर में 1981 में आई बाढ़ की याद दिला दी. हालांकि, इन हादसों ने निगम को जगाने का काम किया है. प्रशासन ने शहर के रेजिडेंशियल एरिया में बनाए गए अवैध बेसमेंट को चिह्नित कर उन्हें सीज करने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही शहर भर में जहां भी सड़कों पर गड्ढे हैं, उन्हें भरने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि फिर से कोई दुर्घटना ना हो.
जयपुर में बीते दो दिनों में ही हुई तेज बारिश ने शहर के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोलकर रख दी. सड़कें नदियों में तब्दील हो गईं. घरों- दुकानों के बेसमेंट और अंडरपास तालाब बन गए. जगह-जगह सड़क धंस गई और गाड़ियां फंस गई. इस बारिश ने सोए हुए प्रशासन को भी जगा दिया. निगम कमिश्नर और मेयर के निर्देश पर अधिकारी देर रात तक फील्ड में निरीक्षण कर आपदा राहत कार्य में जुटे रहे. हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर ने बताया कि शहर भर में आपदा प्रबंधन केंद्र स्थापित किए गए थे और बीते 2 दिन में जो भी शिकायतें दर्ज कराई गईं, उनका हाथों-हाथ निस्तारण किया गया. निगम के अधिकारी-इंजीनियर सभी फील्ड में थे.
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सीवर लाइन धंसने की होगी जांच : मेयर मुनेश गुर्जर ने बताया कि उनके क्षेत्र में परकोटा भी है, फॉरेस्ट एरिया भी है, डूंगरी क्षेत्र भी है, तो नाहरगढ़ पहाड़ी इलाका भी है. इन सभी जगह संसाधन पहुंचा कर जल भराव की समस्याओं को दूर किया गया. उन्होंने भी वार्ड 99 और 100 का दौरा किया, जहां हाल ही में डाली गई सीवर लाइन धंस गई थी, जिसकी एमएनआईटी से जांच कराई जा रही है और जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. सड़कों पर जहां गड्ढे हो गए हैं, उन्हें भरने के निर्देश दिए हैं, ताकि सड़क दुर्घटना की आशंका ना बने.
हेरिटेज निगम कमिश्नर ने बताया कि शहर में 40 डूब क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं. इनमें जवाहर नगर कच्ची बस्ती में परमानेंट मड पंप इंस्टॉल कर दिए गए हैं. इसके अलावा चांदी की टकसाल, मोती कटला क्षेत्र, राजहंस कॉलोनी, नाहरगढ़ थाना क्षेत्र और जल महल के पास वॉटर लॉगिंग की प्रॉब्लम रहती है. हालांकि, यहां टेंपरेरी वॉटर लॉगिंग होती है. जैसे ही बारिश का दौर खत्म होता है, आधे से 1 घंटे में यहां से पानी निकल जाता है. इन स्थानों पर जेसीबी और दूसरे उपकरण लगाए गए हैं, ताकि यदि कोई चोक पॉइंट है, तो उसे टैकल किया जा सके. क्षेत्र में 10 मड पंप, गैस कटर, ट्रैक्टर, जेसीबी, फायर व्हीकल और 70 हजार मिट्टी के कट्टे तैयार हैं.
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अवैध निर्माण होंगे सीज : हेरिटेज निगम कमिश्नर ने बताया कि बारिश से पहले जर्जर बिल्डिंग्स को आईडेंटिफाई कर लिया था. किशनपोल एरिया में कुछ बिल्डिंग को ध्वस्त भी किया था. वहीं, दिल्ली और जयपुर के वीकेआई में हुई घटना को ध्यान में रखते हुए अब जहां कहीं भी बेसमेंट में कोई कमर्शियल एक्टिविटी (स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी, कोचिंग, रेस्टोरेंट) चल रही है या किसी ने डबल बेसमेंट बना रखे हैं, तो उन्हें चिह्नित किया जा रहा है. अवैध को सीज करने और बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही अपील की है कि अतिवृष्टि की स्थिति में बेसमेंट को अवॉइड किया जाए. साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि हेरिटेज एरिया में जो भी अवैध रूप से बेसमेंट बने हुए हैं, उनको चिह्नित कर सीज किया जा रहा है.
हालांकि, शहर की 45 लाख की आबादी पर सिविल डिफेंस की टीम में काम करने पर भी सवाल उठ रहे हैं. इस पर सिविल डिफेंस के डिप्टी कंट्रोलर अमित शर्मा ने तर्क दिया कि सिविल डिफेंस में जो भी लोग लगे हैं, वो वालंटियर के सारे काम करते हैं और अपनी इच्छा से सेवाएं देते हैं. किसी भी आपदा या विपरीत परिस्थितियों में अपना काम उसी स्थान से शुरू कर देते हैं. इसके लिए वो कहीं से परमिशन लेने का इंतजार नहीं करते. उनके काम में बाढ़ राहत भी शामिल है, तो आगजनी की घटनाओं में भी मदद करना शामिल है. हालांकि, आज की डेट में जयपुर बहुत बड़ा हो चुका है, जहां समस्याएं भी आती हैं, लेकिन करीब 1000 वालंटियर सक्रिय हैं. उनकी कोशिश यही रहती है कि कहीं पर भी आपदा, विपदा, दुर्घटना होती है, वहां वो तुरंत रेस्पांस कर सकें. उन्होंने बताया कि फिलहाल शहर में 66 वॉलिंटियर कार्यरत हैं, जो तीन पारियों में काम करते हैं. प्रत्येक पारी में 22 वालंटियर मौजूद रहते हैं, लेकिन अब बाढ़ आपदा को देखते हुए वॉलिंटियर्स की संख्या बढ़ाई जा रही है.