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भारतीय न्याय संहिता को लेकर खौफ में नक्सली, जानकारी के लिए एक्सपर्ट से कर रहे संपर्क! - Bharatiya Nyaya Sanhita

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 3, 2024, 6:26 PM IST

Fear among Naxalites of Bharatiya Nyaya Sanhita. भारतीय न्याय संहिता पूरे भारत में लागू कर दी गयी है. नये कानून को लेकर नक्सली संगठन में काफी खौफ है. इसके बारे में जानकारी लेने के लिए भाकपा माओवादी के टॉप कमांडर्स एक्सपर्ट से संपर्क कर रहे हैं.

After implementation of Bharatiya Nyaya Sanhita fear among Naxalites of Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (ETV Bharat)

पलामू: 1 जुलाई से पूरे देश भर में भारतीय न्याय संहिता लागू हो गयी है. नई समिति में कई धाराओं को बदल गया है और इसके दायरे में भी बदलाव हुए है. भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद नक्सली संगठन खौफ में है और इसके बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहे हैं.

प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के टॉप कमांडर नए कानून के बारे में जानकारी लेने के लिए कई एक्सपर्ट से संपर्क किया है. माओवादियों के टॉप कमांडरों ने छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के नक्सलियों से इस बारे में जानकारी मांगी है. माओवादीयों के इस कदम की भनक विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों को भी मिली है, जिसके बाद हाई अलर्ट भी जारी किया गया है. सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सलियों से जुड़े कई नेटवर्क पर निगरानी को बढ़ाया है. सारंडा और बूढ़ापहाड से जुड़े टॉप कमांडर नए कानून के बारे में अध्ययन करना चाहते हैं.

कमजोर हुआ है माओवादियों का नेटवर्क और थिंक टैंक

प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का झारखंड और बिहार के इलाके में नेटवर्क कमजोर हुआ है. 2022 के बाद से माओवादीयों को अपना दो सबसे सुरक्षित ठिकाना गंवाना पड़ा है. बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. बूढ़ापहाड़ से माओवादी ट्रेनिंग लेते थे जबकि छकरबंधा में दस्तावेज तैयार करते थे. छकरबंधा में ही माओवादी विभिन्न कानूनी जानकारी इकट्ठा करते थे. एक पूर्व माओवादी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि पहले कई बुद्धिजीवी माओवादियों की मदद करते थे लेकिन अब ऐसा नही है. धीरे धीरे सब इनसे दूर हो गए है और कानूनी मदद नहीं मिल पाती है.

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भारतीय न्याय संहिता में क्या नया है? (ETV Bharat)

नक्सल संगठनों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और उनके नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. नक्सल संगठनों को मदद पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की, पुलिस सभी तरह के नेटवर्क के खिलाफ नजर बनाए हुए है. -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.

माओवादियों के खिलाफ एफआईआर में 17 सीएलए एक्ट और यूएपीए की लगाई जाती है धारा

नक्सली संगठनों के खिलाफ एफआईआर में 17 सीएलए एक्ट और यूएपीए की धारा लगाई जाती है. 17 सीएलए एक्ट 1908 में बना था. इस कानून के तहत देश के खिलाफ विद्रोह करना, स्वामित्व, अखंडता को प्रभावित करने के खिलाफ इस धारा को इस्तेमाल किया जाता है. प्रतिबंधित संगठन को मदद करना जिससे देश, सत्ता प्रभावित होता हो. नए भारत न्याय संहिता में इसके धारा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. वहीं भारतीय न्याय संहिता में एक अलग से धारा जोड़ी गई है.

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भारतीय न्याय संहिता में क्या नया है? (ETV Bharat)
  • नयी भारतीय न्याय संहिता में धारा 147 से 158 तक जोड़ा गया है. जिसमें प्रतिबंधित संगठनों के मदद करने से जुड़ा हुआ है. भारत सरकार के खिलाफ युद्ध, दुष्प्रेरण, षडयंत्र से जुड़ी से धारा है. विद्रोह करने पर मृत्यदंड जबकि साजिश में शामिल होने पर 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है. हथियार जमा करने पर 10 वर्ष की सजा.
  • माओवादियों के खिलाफ यूएपीए की धारा का इस्तेमाल किया जाता है. अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट (यूएपीए) 1967 में बना था. नयी भारतीय न्याय संहिता में उप कानून के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. नयी भारतीय न्याय संहिता में यूएपीए से जुड़ा हुआ एक धारा 113 को जोड़ा गया है.
    after-implementation-of-bharatiya-nyaya-sanhita-fear-among-naxalites-of-jharkhand
    भारतीय न्याय संहिता में क्या नया है? (ETV Bharat)

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इसे भी पढ़ें- नए आपराधिक कानून लागू, इसके प्रभावों के बारे में जानें कानूनी विशेषज्ञों की राय - New criminal laws

पलामू: 1 जुलाई से पूरे देश भर में भारतीय न्याय संहिता लागू हो गयी है. नई समिति में कई धाराओं को बदल गया है और इसके दायरे में भी बदलाव हुए है. भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद नक्सली संगठन खौफ में है और इसके बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहे हैं.

प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के टॉप कमांडर नए कानून के बारे में जानकारी लेने के लिए कई एक्सपर्ट से संपर्क किया है. माओवादियों के टॉप कमांडरों ने छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के नक्सलियों से इस बारे में जानकारी मांगी है. माओवादीयों के इस कदम की भनक विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों को भी मिली है, जिसके बाद हाई अलर्ट भी जारी किया गया है. सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सलियों से जुड़े कई नेटवर्क पर निगरानी को बढ़ाया है. सारंडा और बूढ़ापहाड से जुड़े टॉप कमांडर नए कानून के बारे में अध्ययन करना चाहते हैं.

कमजोर हुआ है माओवादियों का नेटवर्क और थिंक टैंक

प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का झारखंड और बिहार के इलाके में नेटवर्क कमजोर हुआ है. 2022 के बाद से माओवादीयों को अपना दो सबसे सुरक्षित ठिकाना गंवाना पड़ा है. बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. बूढ़ापहाड़ से माओवादी ट्रेनिंग लेते थे जबकि छकरबंधा में दस्तावेज तैयार करते थे. छकरबंधा में ही माओवादी विभिन्न कानूनी जानकारी इकट्ठा करते थे. एक पूर्व माओवादी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि पहले कई बुद्धिजीवी माओवादियों की मदद करते थे लेकिन अब ऐसा नही है. धीरे धीरे सब इनसे दूर हो गए है और कानूनी मदद नहीं मिल पाती है.

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भारतीय न्याय संहिता में क्या नया है? (ETV Bharat)

नक्सल संगठनों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और उनके नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. नक्सल संगठनों को मदद पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की, पुलिस सभी तरह के नेटवर्क के खिलाफ नजर बनाए हुए है. -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.

माओवादियों के खिलाफ एफआईआर में 17 सीएलए एक्ट और यूएपीए की लगाई जाती है धारा

नक्सली संगठनों के खिलाफ एफआईआर में 17 सीएलए एक्ट और यूएपीए की धारा लगाई जाती है. 17 सीएलए एक्ट 1908 में बना था. इस कानून के तहत देश के खिलाफ विद्रोह करना, स्वामित्व, अखंडता को प्रभावित करने के खिलाफ इस धारा को इस्तेमाल किया जाता है. प्रतिबंधित संगठन को मदद करना जिससे देश, सत्ता प्रभावित होता हो. नए भारत न्याय संहिता में इसके धारा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. वहीं भारतीय न्याय संहिता में एक अलग से धारा जोड़ी गई है.

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भारतीय न्याय संहिता में क्या नया है? (ETV Bharat)
  • नयी भारतीय न्याय संहिता में धारा 147 से 158 तक जोड़ा गया है. जिसमें प्रतिबंधित संगठनों के मदद करने से जुड़ा हुआ है. भारत सरकार के खिलाफ युद्ध, दुष्प्रेरण, षडयंत्र से जुड़ी से धारा है. विद्रोह करने पर मृत्यदंड जबकि साजिश में शामिल होने पर 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है. हथियार जमा करने पर 10 वर्ष की सजा.
  • माओवादियों के खिलाफ यूएपीए की धारा का इस्तेमाल किया जाता है. अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट (यूएपीए) 1967 में बना था. नयी भारतीय न्याय संहिता में उप कानून के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. नयी भारतीय न्याय संहिता में यूएपीए से जुड़ा हुआ एक धारा 113 को जोड़ा गया है.
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    भारतीय न्याय संहिता में क्या नया है? (ETV Bharat)

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