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देवघर भवन हादसे के बाद जिला प्रशासन सतर्क, जर्जर भवनों को चिन्हित करने का काम होगा शुरू - Building Collapsed In Deoghar

Dilapidated buildings in Deoghar.देवघर में मकान गिरने की घटना में तीन लोगों की मौत होने के बाद प्रशासन रेस है. अब देवघर में पुराने और जर्जर भवनों को चिन्हित करने की योजना बनाई गई है. सावन में श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को देखते हुए प्रशासन सुरक्षा की दृष्टिकोण से पूरी तरह से अलर्ट हो गया है.

Dilapidated Buildings In Deoghar
देवघर में जर्जर भवन. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 9, 2024, 3:35 PM IST

देवघर: बीते रविवार को देवघर के बम बम बाबा पथ पर हुए भवन हादसे के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. खासकर सावन के महीने में प्रतिदिन देवघर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. ऐसे में उनके ठहरने के लिए कई निजी मकान के मालिक अपने मकान का व्यवसायिक रूप में इस्तेमाल करते हैं और श्रद्धालुओं को अपने घरों में ठहराते हैं. इसके एवज में श्रद्धालुओं से भाड़ा वसूलते हैं, लेकिन भवनों की रख-रखाव और मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया जाता है. ऐसे में हमेशा हादसे की संभावना बनी रहती है. वहीं देवघर में भवन हादसे के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम की तरफ से जर्जर भवनों को चिन्हित करने का काम शुरू किया जा रहा है.

देवघर भवन हादसे के बाद जिला प्रशासन सतर्क (वीडियो- ईटीवी भारत)

पूर्व मंत्री सुरेश पासवान ने प्रशासन से जर्जर भवनों को चिन्हित करने का किया आग्रह

वहीं इस संबंध में राज्य के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान ने ऐसे मकान मालिकों पर नकेल कसने के लिए जिला प्रशासन से आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे मकान को नगर निगम के पदाधिकारी और जिला प्रशासन के लोग चिन्हित करें और मकान मालिकों को जर्जर मकान की रिपेयरिंग कराने के लिए बाध्य करें, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना दोबारा न हो सके.

आम लोग जागरूक बनें और प्रशासन को दें जर्जर भवनों की सूचनाः डीसी

इस संबंध में देवघर के डीसी विशाल सागर ने कहा कि जब तक आम लोग इसे लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक ऐसे मकानों को चिन्हित करना जिला प्रशासन के लिए निश्चित रूप से चुनौती है. क्योंकि शहर में कई ऐसे मकान हैं जो बाहर से देखने में अच्छे लगते हैं, लेकिन वह अंदर से पूरी तरह से कमजोर हैं. डीसी ने आम लोगों से अपील करते हुए कहा यदि देवघर में कहीं ऐसे जर्जर मकान दिखे और यदि उस मकान को व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है तो वैसे मकान मालिकों और मकान की जानकारी जिला प्रशासन को दें, ताकि बड़ी दुर्घटना को टाला जा सकें.

देवघर में कई जर्जर भवनों का किया जा रहा व्यवसायिक उपयोग

बता दें कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर के आसपास के अलावा शहर के अन्य कई स्थानों पर कई ऐसे मकान हैं जो काफी जर्जर हो चुके हैं, लेकिन उस पर लोगों की नजर नहीं पड़ी है. कई मकान ऐसे भी हैं जो बाहर से देखने में अच्छे लगते हैं, लेकिन अंदर से वह काफी कमजोर होते हैं. लोग मकान की मजबूती पर ध्यान नहीं देकर सिर्फ ऐसे मकान बनाते हैं जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को ठहराया जा सके और उनसे भाड़े के रूप में पैसा कमाया जा सके.

जरूरत है कि प्रशासन के साथ-साथ आम लोग भी देवघर में बने पुराने और जर्जर भवनों को चिन्हित कर जिला प्रशासन को सूचित करें, ताकि दोबारा भवन गिरने की घटना न हो सके.

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देवघर भवन हादसे के बाद जिला प्रशासन सतर्क (वीडियो- ईटीवी भारत)

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वहीं इस संबंध में राज्य के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान ने ऐसे मकान मालिकों पर नकेल कसने के लिए जिला प्रशासन से आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे मकान को नगर निगम के पदाधिकारी और जिला प्रशासन के लोग चिन्हित करें और मकान मालिकों को जर्जर मकान की रिपेयरिंग कराने के लिए बाध्य करें, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना दोबारा न हो सके.

आम लोग जागरूक बनें और प्रशासन को दें जर्जर भवनों की सूचनाः डीसी

इस संबंध में देवघर के डीसी विशाल सागर ने कहा कि जब तक आम लोग इसे लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक ऐसे मकानों को चिन्हित करना जिला प्रशासन के लिए निश्चित रूप से चुनौती है. क्योंकि शहर में कई ऐसे मकान हैं जो बाहर से देखने में अच्छे लगते हैं, लेकिन वह अंदर से पूरी तरह से कमजोर हैं. डीसी ने आम लोगों से अपील करते हुए कहा यदि देवघर में कहीं ऐसे जर्जर मकान दिखे और यदि उस मकान को व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है तो वैसे मकान मालिकों और मकान की जानकारी जिला प्रशासन को दें, ताकि बड़ी दुर्घटना को टाला जा सकें.

देवघर में कई जर्जर भवनों का किया जा रहा व्यवसायिक उपयोग

बता दें कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर के आसपास के अलावा शहर के अन्य कई स्थानों पर कई ऐसे मकान हैं जो काफी जर्जर हो चुके हैं, लेकिन उस पर लोगों की नजर नहीं पड़ी है. कई मकान ऐसे भी हैं जो बाहर से देखने में अच्छे लगते हैं, लेकिन अंदर से वह काफी कमजोर होते हैं. लोग मकान की मजबूती पर ध्यान नहीं देकर सिर्फ ऐसे मकान बनाते हैं जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को ठहराया जा सके और उनसे भाड़े के रूप में पैसा कमाया जा सके.

जरूरत है कि प्रशासन के साथ-साथ आम लोग भी देवघर में बने पुराने और जर्जर भवनों को चिन्हित कर जिला प्रशासन को सूचित करें, ताकि दोबारा भवन गिरने की घटना न हो सके.

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