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खुद से कहें 'I Can Do it', फील होगी पॉजिटिवटी; मेंटल हेल्थ डे पर एक्सपर्ट्स की सलाह

10 अक्टूबर को विश्व मानसिक दिवस मनाया जाता है. आइए जानते हैं आज की दौड़ में मेंटल हेल्थ को सही रखने के लिए एक्सपर्ट्स टिप्स

मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय
मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 10, 2024, 2:26 PM IST

Updated : Oct 10, 2024, 2:45 PM IST

नई दिल्ली: 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक दिवस मनाया जाता है. साल 2024 की थीम कार्यस्थल पर "मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय है" रखा गया है. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं दुनिया भर में तेजी के साथ बढ़ रही हैं. बच्चों से लेकर बूढ़े तक मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं. अक्सर लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान तो देते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को दरकिनार कर देते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य होना भी बेहद जरूरी है. डिप्रेशन और एंजायटी मौजूदा समय में आम होती जा रही हैं.

अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों को बना रहा गुस्सैल
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेषज्ञों ने कहा कि अत्यधिक स्क्रीन समय की वजह से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. बच्चों में एंगर, डिप्रेशन विकारों जैसी व्यवहार संबंधी समस्याएं हाल के दिनों में काफी बढ़ रही है. वे नखरे दिखाएंगे, आक्रामक हो जाएंगे, चिंतित हो जाएंगे, सो नहीं पाएंगे और उदास हो जाएंगे,'' लीलावती अस्पताल मुंबई के मनोचिकित्सक डॉ शोरौक मोटवानी ने आईएएनएस को बताया.

मेंटल हेल्थ को दुरुस्त करता है एफर्मेशंस (ETV BHARAT)

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी : एक्सपर्ट्स का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता काफी कम है. किसी भी प्रकार की शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या होने पर लोग डॉक्टर को तुरंत दिखाते हैं लेकिन मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यक्ति का मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना बेहद आवश्यक है. मनोचिकित्सक डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागृत होना बेहद जरूरी है. सभी उम्र के लोगों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

लोगों के पेशेंस लेवल की हो रही कमी : मनोचिकत्सक डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं कि मौजूदा समय में लोगों का पेशेंस लेवल काफी कम हो गया है. मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर व्यक्ति की परफॉर्मेंस पर पड़ता है. यदि किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो ऐसा व्यक्ति खासकर वर्क प्लेस पर अपना शत प्रतिशत परफॉर्मेंस नहीं दे पाएगा. आमतौर पर ऑफिस में लोग काफी स्ट्रेस लेकर काम करते हैं जिससे कि उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है. डॉ विश्वकर्मा बताते हैं मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी है कि लोगों से मिलते-जुलते रहे खुद को आइसोलेट ना करें. ज्यादा वक्त अकेले बिताना मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है.

एफर्मेशंस मतलब खुद से पॉजिटिव बातें करना :वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी बताते हैं मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में एफर्मेशन अहम भूमिका निभाते हैं. एफर्मेशंस मतलब खुद से पॉजिटिव बातें करना. एफर्मेशन से व्यक्ति खुद को न सिर्फ प्रोत्साहित कर सकता है बल्कि एफर्मेशंस किसी व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाने में भी कारगर साबित हो सकते हैं. आमतौर पर मानसिक समस्याओं से ग्रसित व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं. ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति खुद से पॉजिटिव बातें करता है तो उसका तनाव कम हो सकता है.

एफर्मेशंस के फायदे:

बढ़ता है आत्मविश्वास: हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं आती हैं. कई बार समस्याओं के कारण व्यक्ति तनाव से ग्रसित हो जाता है और उन समस्याओं का समाधान ढूंढने के स्थान पर समस्याओं को खुद पर हावी कर तनाव से ग्रसित हो जाता है. उदाहरण के तौर पर ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति खुद से कहता है कि "I can do it." तो व्यक्ति का खुद पर संदेह कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है.

कम होता है तनाव: एफर्मेशंस तनाव और एंजायटी को कम करते हैं. तनाव की स्थिति में किसी परिणाम तक पहुंचाना काफी मुश्किल हो जाता है. उदाहरण के तौर पर आप खुद से कहते हैं "I am Calm". ऐसा करने पर तनाव कम होता है. कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है.

० मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के लक्षण

एंजाइटी: सामान्य तौर पर एंजायटी से ग्रसित व्यक्ति अकेलापन काफी पसंद करता है. लोगों में उठने बैठने और बातचीत करने से परहेज करता है.

डिप्रेशन: किसी प्रकार की गतिविधियों में डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति रुचि नहीं दिखाता.स्लीप पैटर्न में काफी तब्दीली आ जाती है. विचार काफी नकारात्मक हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें : आत्महत्या से पहले दिख सकते हैं ये लक्षण, क्या कहते हैं विशेषज्ञ

ये भी पढ़ें : लंबे समय तक मेंटल हेल्थ को ठीक रखने के लिए हमेशा फॉलो करें इन टिप्स को

नई दिल्ली: 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक दिवस मनाया जाता है. साल 2024 की थीम कार्यस्थल पर "मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय है" रखा गया है. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं दुनिया भर में तेजी के साथ बढ़ रही हैं. बच्चों से लेकर बूढ़े तक मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं. अक्सर लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान तो देते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को दरकिनार कर देते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य होना भी बेहद जरूरी है. डिप्रेशन और एंजायटी मौजूदा समय में आम होती जा रही हैं.

अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों को बना रहा गुस्सैल
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेषज्ञों ने कहा कि अत्यधिक स्क्रीन समय की वजह से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. बच्चों में एंगर, डिप्रेशन विकारों जैसी व्यवहार संबंधी समस्याएं हाल के दिनों में काफी बढ़ रही है. वे नखरे दिखाएंगे, आक्रामक हो जाएंगे, चिंतित हो जाएंगे, सो नहीं पाएंगे और उदास हो जाएंगे,'' लीलावती अस्पताल मुंबई के मनोचिकित्सक डॉ शोरौक मोटवानी ने आईएएनएस को बताया.

मेंटल हेल्थ को दुरुस्त करता है एफर्मेशंस (ETV BHARAT)

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी : एक्सपर्ट्स का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता काफी कम है. किसी भी प्रकार की शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या होने पर लोग डॉक्टर को तुरंत दिखाते हैं लेकिन मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यक्ति का मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना बेहद आवश्यक है. मनोचिकित्सक डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागृत होना बेहद जरूरी है. सभी उम्र के लोगों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

लोगों के पेशेंस लेवल की हो रही कमी : मनोचिकत्सक डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं कि मौजूदा समय में लोगों का पेशेंस लेवल काफी कम हो गया है. मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर व्यक्ति की परफॉर्मेंस पर पड़ता है. यदि किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो ऐसा व्यक्ति खासकर वर्क प्लेस पर अपना शत प्रतिशत परफॉर्मेंस नहीं दे पाएगा. आमतौर पर ऑफिस में लोग काफी स्ट्रेस लेकर काम करते हैं जिससे कि उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है. डॉ विश्वकर्मा बताते हैं मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी है कि लोगों से मिलते-जुलते रहे खुद को आइसोलेट ना करें. ज्यादा वक्त अकेले बिताना मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है.

एफर्मेशंस मतलब खुद से पॉजिटिव बातें करना :वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी बताते हैं मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में एफर्मेशन अहम भूमिका निभाते हैं. एफर्मेशंस मतलब खुद से पॉजिटिव बातें करना. एफर्मेशन से व्यक्ति खुद को न सिर्फ प्रोत्साहित कर सकता है बल्कि एफर्मेशंस किसी व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाने में भी कारगर साबित हो सकते हैं. आमतौर पर मानसिक समस्याओं से ग्रसित व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं. ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति खुद से पॉजिटिव बातें करता है तो उसका तनाव कम हो सकता है.

एफर्मेशंस के फायदे:

बढ़ता है आत्मविश्वास: हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं आती हैं. कई बार समस्याओं के कारण व्यक्ति तनाव से ग्रसित हो जाता है और उन समस्याओं का समाधान ढूंढने के स्थान पर समस्याओं को खुद पर हावी कर तनाव से ग्रसित हो जाता है. उदाहरण के तौर पर ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति खुद से कहता है कि "I can do it." तो व्यक्ति का खुद पर संदेह कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है.

कम होता है तनाव: एफर्मेशंस तनाव और एंजायटी को कम करते हैं. तनाव की स्थिति में किसी परिणाम तक पहुंचाना काफी मुश्किल हो जाता है. उदाहरण के तौर पर आप खुद से कहते हैं "I am Calm". ऐसा करने पर तनाव कम होता है. कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है.

० मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के लक्षण

एंजाइटी: सामान्य तौर पर एंजायटी से ग्रसित व्यक्ति अकेलापन काफी पसंद करता है. लोगों में उठने बैठने और बातचीत करने से परहेज करता है.

डिप्रेशन: किसी प्रकार की गतिविधियों में डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति रुचि नहीं दिखाता.स्लीप पैटर्न में काफी तब्दीली आ जाती है. विचार काफी नकारात्मक हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें : आत्महत्या से पहले दिख सकते हैं ये लक्षण, क्या कहते हैं विशेषज्ञ

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Last Updated : Oct 10, 2024, 2:45 PM IST
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