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मारपीट और छात्र आंदोलन से जुडे़ मामलों में विधायक मुकेश भाकर बरी - acquitted MLA Mukesh Bhakar

अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-2, महानगर प्रथम ने छात्र जीवन के दौरान मारपीट और आंदोलन से जुड़े मामले में संदेह का लाभ देते हुए विधायक मुकेश भाकर को बरी कर दिया है.

CASES RELATED TO ASSAULT,  ACQUITTED MLA MUKESH BHAKAR
विधायक मुकेश भाकर बरी. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 10, 2024, 9:50 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-2, महानगर प्रथम ने छात्र जीवन के दौरान मारपीट और आंदोलन से जुडे़ दो अलग-अलग मामलों से तत्कालीन छात्र नेता और वर्तमान विधायक मुकेश भाकर सहित अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.

मामले के अनुसार उद्यम सिंह ने 9 सितंबर, 2007 को गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि वह और उसके साथी कृष्णा छात्रावास की मैस बंद होने के कारण विवि परिसर से बाहर जाकर खाना खाकर लौट रहे थे. रास्ते में मुकेश भाकर सहित करीब 12 छात्र मिले और उनसे मारपीट करना शुरू कर दिया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र पेश किया. वहीं, दूसरे प्रकरण में राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक ने 23 जुलाई, 2010 को गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

पढ़ेंः 12 साल से पेंशन नहीं, मौत के बाद विधवा को भी पेंशन नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - Rajasthan High Court

जिसमें कहा गया था कि दोपहर करीब 12 बजे मुकेश भाकर सहित अन्य छात्र नेताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विवि का मुख्य द्वार बंद कर दिया और टायर जलाकर रास्ता अवरूद्ध कर दिया. इस दौरान कुलसचिव कार्यालय और कुलपति सचिवालय के गेट बंद कर लोगों को अंदर जाने से रोक दिया. दोनों ही मामलों में अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि घटना में आरोपी बनाए गए तत्कालीन छात्रों का हाथ था. इसके अलावा कई गवाह पक्षद्रोही भी हो गए. ऐसे में अदालत ने दोनों मामलों से एमएलए भाकर सहित अन्य सभी को बरी कर दिया.

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-2, महानगर प्रथम ने छात्र जीवन के दौरान मारपीट और आंदोलन से जुडे़ दो अलग-अलग मामलों से तत्कालीन छात्र नेता और वर्तमान विधायक मुकेश भाकर सहित अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.

मामले के अनुसार उद्यम सिंह ने 9 सितंबर, 2007 को गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि वह और उसके साथी कृष्णा छात्रावास की मैस बंद होने के कारण विवि परिसर से बाहर जाकर खाना खाकर लौट रहे थे. रास्ते में मुकेश भाकर सहित करीब 12 छात्र मिले और उनसे मारपीट करना शुरू कर दिया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र पेश किया. वहीं, दूसरे प्रकरण में राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक ने 23 जुलाई, 2010 को गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

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जिसमें कहा गया था कि दोपहर करीब 12 बजे मुकेश भाकर सहित अन्य छात्र नेताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विवि का मुख्य द्वार बंद कर दिया और टायर जलाकर रास्ता अवरूद्ध कर दिया. इस दौरान कुलसचिव कार्यालय और कुलपति सचिवालय के गेट बंद कर लोगों को अंदर जाने से रोक दिया. दोनों ही मामलों में अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि घटना में आरोपी बनाए गए तत्कालीन छात्रों का हाथ था. इसके अलावा कई गवाह पक्षद्रोही भी हो गए. ऐसे में अदालत ने दोनों मामलों से एमएलए भाकर सहित अन्य सभी को बरी कर दिया.

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