नई दिल्ली: विवाह के पूर्व कुंडली का मिलान करना एक पुरानी प्रथा हो गई है. विज्ञान और तकनीक की इस दुनिया में अब कुंडली मिलाने के साथ ब्लड ग्रुप का मिलान करना ज्यादा जरूरी हो गया है. यदि विवाह के पूर्व थैलेसीमिया की जांच कर ली जाए तो भविष्य में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे पैदा नहीं होंगे. यह बातें बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता राजा मुराद ने वर्ल्ड थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर एक निजी अस्पताल में बतौर मुख्य अतिथि कही. उन्होंने कहा कि जब शादियां होती है तो लोग अक्सर लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान करते हैं, लेकिन मेडिकल साइंस के अनुसार यदि विवाह के पूर्व कुछ जरूरी जांच करवा लिए जाएं तो भविष्य में होने वाले बच्चों को कुछ जेनेटिक बीमारियों से बचाया जा सकता है. ऐसी ही बीमारियों में थैलेसीमिया शामिल है.
इस दौरान फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं हेड डॉ. विकास दुआ ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व में भारत एकमात्र देश है, जो थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए 10 लाख रुपए तक आर्थिक मदद प्रदान करता है. थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति का केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से फ्री में बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवाया जाता है. उन्होंने बताया कि फोर्टिस हॉस्पिटल 2030 तक प्रधानमंत्री के सपने के अनुरूप भारत से थैलेसीमिया रोग का उन्मूलन करने का लक्ष्य तय किया है. इस अस्पताल में अभी तक लगभग 2 हजार मरीजों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो चुका है, जिसमें थैलेसीमिया से पीड़ित डेढ़ सौ मरीजों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर उन्हें एक नई जिंदगी दी गई है. साथ ही उन्हें जीवन भर ब्लड ट्रांसफ्यूजन के झंझट से मुक्त भी किया गया है.
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वहीं इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड चीफ डॉ. राहुल भार्गव ने बताया कि थैलेसीमिया दुनियाभर में आनुवांशिकी से प्राप्त होने वाले सबसे प्रमुख ब्लड डिसऑर्डर्स में से एक है और दुनिया में हर आठवां थैलेसीमिक बच्चा भारत में रहता है. इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों की सबसे अधिक संख्या भारत में है. दुर्भाग्यवश बहुत से लोगों को तब तक यह पता नहीं होता कि वे इससे ग्रसित हैं, जब तक वे किसी गंभीर स्वास्थ्य संकट का शिकार नहीं बनते. यही कारण है कि इस रोग की शुरुआती स्टेज में ही पहचान करने लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग और टेस्टिंग करना काफी महत्वूपर्ण होता है. आमतौर पर, प्रेग्नेंसी के 10वें सप्ताह में स्क्रीनिंग टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है, ताकि इस रोग से बचा जा सके. लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इससे जुड़े विभिन्न हितधारकों को सक्रिय रूप से योगदान करने की जरूरत है. इस अवसर पर थैलेसीमिया का सफल उपचार करा चुके बच्चे भी मौजूद थे, जिन्होंने अपनी प्रेरक कहानियां बताई.
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