जयपुर. प्रदेश में आज से पानी के दुरुपयोग पर एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. जलदाय सचिव ने ये आदेश जारी किए हैं. आज से ये आदेश लागू हो गए हैं. सर्कुलर के तहत यदि कोई भी घरेलू पानी का इस्तेमाल अन्य किसी कार्य के लिए करेगा या उसकी बर्बादी करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसा करने पर जुर्माने के साथ ही कनेक्शन भी काटा जा सकता है.
जलदाय विभाग के शासन सचिव समित शर्मा ने 5 जुलाई को यह सर्कुलर जारी किया था. उन्होंने बताया कि राजस्थान जल आपूर्ति एवं सीवरेज निगम अधिनियम, 1979 के प्रावधानों को जल संरक्षण के लिए प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है. इसी अधिनियम के तहत घरेलू पानी को बर्बाद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है. अधिनियम के प्रावधान बर्बादी को रोकेंगे और हमारे जल संसाधनों का संरक्षण करेंगे. उन्होंने बताया कि जल सीमित है, जो वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए आवश्यक है.
इन कार्यों में नही होगा पानी का इस्तेमाल : घरेलू कार्यों के लिए दिए जाने पानी का इस्तेमाल गैर-घरेलू कामों के लिए नहीं किया जाएगा. घरेलू पानी का उपयोग किसी व्यापार, निर्माण या व्यवसाय में नहीं किया जाएगा. रसोई और घरेलू उद्यानों को छोड़कर अन्य उद्यानों और सिंचाई कार्य में भी घरेलू पानी का इस्तेमाल नहीं होगा. भवन निर्माण, सार्वजनिक फव्वारे, स्विमिंग पूल या अन्य सजावटी कार्यों में भी घरेलू पानी का उपयोग नहीं किया जाएगा. रेस्तरां, होटल, बोर्डिंग हाउस या आवासीय क्लब, थिएटर, सिनेमाघर और सड़कों पर पानी देने में भी घरेलू पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. वाहनों को धोने में भी घरेलू पानी का उपयोग नहीं कर सकेंगे. जिस परिसर में पीएचईडी की ओर से पानी की आपूर्ति की जाती है, उसका मालिक या कब्जाधारी पानी बर्बाद नहीं करेगा. यदि सर्विस पाइप, फिटिंग या नल से लीकेज है तो उसे उपभोक्ता तुरंत ठीक कराएगा.
पानी के दुरुपयोग और बर्बादी पर होगी कार्रवाई : यदि कोई उपभोक्ता पानी की बर्बादी करता है और दोषी पाए जाने पर उस पर एक हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा. इसके बाद भी पानी की बर्बादी नहीं रुकती है, तो प्रत्येक दिन पचास रुपए अतिरिक्त जुर्माना वसूला जाएगा. इसके बाद भी जल की बर्बादी होती है, तो जल कनेक्शन काटा जाएगा और सजा का भी प्रावधान किया गया है. पीएचईडी के अधिकारी राजस्थान जल आपूर्ति और सीवरेज निगम अधिनियम 1979 के तहत किसी भी परिसर से पानी का कनेक्शन काट सकते हैं. उपभोक्ता निरीक्षण के लिए आने वाले अधिकारियों या कर्मचारियों को अंदर आने से रोक नही सकते.