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युवाओं को ड्रग्स एडिक्ट बनाने के लिए खुलने वाला था म्याऊं-म्याऊं पान आउटलेट, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने कर दी प्लानिंग फेल - Action of UP Narcotics Task Force

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 10:53 PM IST

ड्रग तस्कर नशा बेचने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं. ऐसे ही तरकीब का यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Action of UP Narcotics Task Force) ने पर्दाफाश किया है. तस्करों ने पान के जरिए ड्रग्स बेचने की योजना बनाई थी.

यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की गिरफ्त में ड्रग तस्कर.
यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की गिरफ्त में ड्रग तस्कर. (Photo Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : जब बात पान की आती है तो सबसे पहले ख्याल बनारसी पान का ही मन में आता है, लेकिन यदि आपसे कहा जाए कि बनारस में 1500 का म्याऊं म्याऊं पान बेचने की तैयारी थी और इसके लिए बकायदा आउटलेट भी चिन्हित कर दिए गए थे. बस इंतजार था मुंबई से एक खास तरह का पाउडर आने का. जिसके आने के बाद न सिर्फ इस पान को खाने के लिए अपनी जेब ढीली करनी ही पड़ती. हालांकि इस पान की लत में हजारों युवा बर्बाद हो जाते. बहरहाल यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की सतर्कता से इस पर ब्रेक लग गया है.

म्याऊं म्याऊं पान.
म्याऊं म्याऊं पान. (Photo Credit-Etv Bharat)

ट्रक क्लीनर से बना ड्रग्स तस्कर : यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने बीते माह जौनपुर के मड़ियाहु निवासी राजेश कुमार को मुंबई से गिरफ्तार किया था. राजेश 11 वर्ष पहले जौनपुर से मुंबई गया और वहां वह ट्रक क्लीनर का काम करने लगा और इसी दौरान उसके संबंध कुछ ड्रग्स माफिया से हो गए. पहले तो वह ड्रग्स की तस्करी करने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल करता था और फिर बाद में वह ड्रग्स बेचने लगा. इसके बाद उसने अपने पिता प्रेम चंद्र तिवारी के साथ मिल कर उसने मुंबई में एक पान की दुकान खोली. यह दुकान आम पान की बिक्री के लिए नहीं थी, बल्कि एक ऐसा पान जिसे खाकर युवा मदहोश हो जाते थे. कारण इस पान में राजेश आधा ग्राम म्याऊं म्याऊं यानि मेफेड्रॉन (एमडीएमए) मिलाता था.



पूछताछ में हुए खुलासे : यूपी एनटीएफ की गाजीपुर टीम ने मार्च 2024 को राजेश के पिता प्रेम चंद्र तिवारी को वाराणसी से गिरफ्तार किया. जिसके मोबाइल से राजेश की लोकेशन मिली और फिर टीम ने मुंबई से राजेश को भी दबोच लिया. उसके पास से करीब 40 करोड़ का एमडीएमए बरामद किया गया. एनटीएफ़ ने उसे मुंबई पुलिस के ही हवाले कर दिया. सूत्रों के मुताबिक हाल ही में एएनटीएफ ने प्रेम चंद्र और राजेश से पूछताछ की, जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं. पिता पुत्र ने यूपी के युवाओं को एमडीएमए का आदी बनाने की पूरी तैयारी कर रखी थी. उनके निशाने पर खास जिले थे, जहां विदेशी टूरिस्ट आते थे और काफी समय तक रुकते थे.



यूपी में थी 1500 का म्याऊं म्याऊं पान आउटलेट खोलने की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक राजेश ने अपने पिता प्रेम चंद्र को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी थी. उनकी प्लानिंग मुंबई जैसे ही यूपी के कई जिलों में पान की दुकान खोलने की थी. इसमें सबसे पहले उनके टारगेट में वाराणसी था, जहां का बनारसी पान सबसे अधिक मशहूर है. प्रेम चंद्र ने वाराणसी में कई जगह चिन्हित की थीं. जहां वे एमडीएमए पान बेचने वाले थे. इसके अलावा लखनऊ, प्रयागराज और जौनपुर में भी आउटलेट खोलने वाले थे. यही वजह थी कि राजेश ने करीब 40 करोड़ का एमडीएमए इकट्ठा कर रखा था. पिता-पुत्र की योजना थी कि वाराणसी में विदेशी नागरिकों को वे 1500 वाला पान आसानी से बेच सकते थे. यही वजह थी कि प्रेम चंद्र ने वाराणसी में डेरा डाल रखा था. हालांकि यूपी एएनटीएफ को इनपुट मिला और पहले प्रेम चंद्र और फिर राजेश को धर दबोचा.




एमडीएमए या म्याऊं म्याऊं कितनी है खतरनाक : दरअसल युवाओं में मेफेड्रोन यानि एमडीएमए सबसे अधिक लोक प्रिय है. यह एक तरह का पार्टी ड्रग्स है, जो मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन (MDMA), म्याऊं म्याऊं और मेफेड्रोन के नाम से बेचा जाता है. नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत एक हजार से 15 हजार रुपये तक है. आईजी नारकोटिक्स टास्क फोर्स अब्दुल हमीद बताते है कि MDMA को एक्सटेसी नाम से भी जाना जाता है. हालांकि नशा करने वालों के बीच इसके और भी तरह के कोडनेम हैं. एमडीएमए ड्रग्स से सीधा दिमाग में नशा चढ़ता है और फिर व्यक्ति मदहोश हो जाता है. यह मूड बनाता है और म्यूजिक संवेदनशीलता बढ़ाता है. इतना ही नहीं अन्य कुछ भी महसूस करने की क्षमता कम हो जाती है. इसका उत्पादन सबसे अधिक अफगानिस्तान और नाइजीरिया में होता है.

यह भी पढ़ें : नए साल की पार्टियों में ड्रग सप्लाई के लिए माफिया अपना रहे हाईटेक तकनीकी, धर पकड़ करेगी एएनटीएफ की डेडीकेटेड टीम

यह भी पढ़ें : एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने 25 लाख के मादक पदार्थ के साथ फिरोजाबाद के तस्कर को दबोचा

लखनऊ : जब बात पान की आती है तो सबसे पहले ख्याल बनारसी पान का ही मन में आता है, लेकिन यदि आपसे कहा जाए कि बनारस में 1500 का म्याऊं म्याऊं पान बेचने की तैयारी थी और इसके लिए बकायदा आउटलेट भी चिन्हित कर दिए गए थे. बस इंतजार था मुंबई से एक खास तरह का पाउडर आने का. जिसके आने के बाद न सिर्फ इस पान को खाने के लिए अपनी जेब ढीली करनी ही पड़ती. हालांकि इस पान की लत में हजारों युवा बर्बाद हो जाते. बहरहाल यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की सतर्कता से इस पर ब्रेक लग गया है.

म्याऊं म्याऊं पान.
म्याऊं म्याऊं पान. (Photo Credit-Etv Bharat)

ट्रक क्लीनर से बना ड्रग्स तस्कर : यूपी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने बीते माह जौनपुर के मड़ियाहु निवासी राजेश कुमार को मुंबई से गिरफ्तार किया था. राजेश 11 वर्ष पहले जौनपुर से मुंबई गया और वहां वह ट्रक क्लीनर का काम करने लगा और इसी दौरान उसके संबंध कुछ ड्रग्स माफिया से हो गए. पहले तो वह ड्रग्स की तस्करी करने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल करता था और फिर बाद में वह ड्रग्स बेचने लगा. इसके बाद उसने अपने पिता प्रेम चंद्र तिवारी के साथ मिल कर उसने मुंबई में एक पान की दुकान खोली. यह दुकान आम पान की बिक्री के लिए नहीं थी, बल्कि एक ऐसा पान जिसे खाकर युवा मदहोश हो जाते थे. कारण इस पान में राजेश आधा ग्राम म्याऊं म्याऊं यानि मेफेड्रॉन (एमडीएमए) मिलाता था.



पूछताछ में हुए खुलासे : यूपी एनटीएफ की गाजीपुर टीम ने मार्च 2024 को राजेश के पिता प्रेम चंद्र तिवारी को वाराणसी से गिरफ्तार किया. जिसके मोबाइल से राजेश की लोकेशन मिली और फिर टीम ने मुंबई से राजेश को भी दबोच लिया. उसके पास से करीब 40 करोड़ का एमडीएमए बरामद किया गया. एनटीएफ़ ने उसे मुंबई पुलिस के ही हवाले कर दिया. सूत्रों के मुताबिक हाल ही में एएनटीएफ ने प्रेम चंद्र और राजेश से पूछताछ की, जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं. पिता पुत्र ने यूपी के युवाओं को एमडीएमए का आदी बनाने की पूरी तैयारी कर रखी थी. उनके निशाने पर खास जिले थे, जहां विदेशी टूरिस्ट आते थे और काफी समय तक रुकते थे.



यूपी में थी 1500 का म्याऊं म्याऊं पान आउटलेट खोलने की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक राजेश ने अपने पिता प्रेम चंद्र को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी थी. उनकी प्लानिंग मुंबई जैसे ही यूपी के कई जिलों में पान की दुकान खोलने की थी. इसमें सबसे पहले उनके टारगेट में वाराणसी था, जहां का बनारसी पान सबसे अधिक मशहूर है. प्रेम चंद्र ने वाराणसी में कई जगह चिन्हित की थीं. जहां वे एमडीएमए पान बेचने वाले थे. इसके अलावा लखनऊ, प्रयागराज और जौनपुर में भी आउटलेट खोलने वाले थे. यही वजह थी कि राजेश ने करीब 40 करोड़ का एमडीएमए इकट्ठा कर रखा था. पिता-पुत्र की योजना थी कि वाराणसी में विदेशी नागरिकों को वे 1500 वाला पान आसानी से बेच सकते थे. यही वजह थी कि प्रेम चंद्र ने वाराणसी में डेरा डाल रखा था. हालांकि यूपी एएनटीएफ को इनपुट मिला और पहले प्रेम चंद्र और फिर राजेश को धर दबोचा.




एमडीएमए या म्याऊं म्याऊं कितनी है खतरनाक : दरअसल युवाओं में मेफेड्रोन यानि एमडीएमए सबसे अधिक लोक प्रिय है. यह एक तरह का पार्टी ड्रग्स है, जो मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन (MDMA), म्याऊं म्याऊं और मेफेड्रोन के नाम से बेचा जाता है. नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत एक हजार से 15 हजार रुपये तक है. आईजी नारकोटिक्स टास्क फोर्स अब्दुल हमीद बताते है कि MDMA को एक्सटेसी नाम से भी जाना जाता है. हालांकि नशा करने वालों के बीच इसके और भी तरह के कोडनेम हैं. एमडीएमए ड्रग्स से सीधा दिमाग में नशा चढ़ता है और फिर व्यक्ति मदहोश हो जाता है. यह मूड बनाता है और म्यूजिक संवेदनशीलता बढ़ाता है. इतना ही नहीं अन्य कुछ भी महसूस करने की क्षमता कम हो जाती है. इसका उत्पादन सबसे अधिक अफगानिस्तान और नाइजीरिया में होता है.

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