लखनऊ: 20 जनवरी की रात शामली में कग्गा गैंग से मुठभेड़ में 4 अपराधियों को ढेर करने वाले यूपी STF के जाबांज इंस्पेक्टर सुनील कुमार की मौत के बाद पुलिस महकमे में उनकी बहादुरी के किस्से कहे-सुने जा रहे हैं. चंबल से डकैतों का आतंक खत्म करने से लेकर वेस्ट यूपी में सिरदर्द बने बदमाशों के सफाए में इंस्पेक्टर सुनील कुमार की अहम भूमिका रही. यही कारण है कि उनकी तुलना मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक से की जाने लगी. दुर्दांत डकैतों और खौफ का पर्याय बने बदमाशों से सीधे टकराव के कारण सुनील हमेशा सुर्खियों में रहे. इंस्पेक्टर सुनील कुमार की जाबांजी से जुड़ी कई कहानियां हैं. जानिए यूपी के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सुनील कुमार के बारे में...
मूल रूप से मेरठ के रहने वाले, पीएसी में हुए थे भर्ती: मूल रूप से मेरठ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार का जन्म 1971 में हुआ था. वे सितंबर 1990 में PAC में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे. उनकी पहली तैनाती 15वीं वाहिनी पीएसी आगरा में हुई. नौ वर्षों तक पीएसी में रहकर उन्होंने अपनी फायरिंग स्किल को निखारा. इसी दौरान अपने वरिष्ठों की सलाह पर उन्होंने वर्ष 1997 में हरियाणा में कमांडो ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग से लौटने के बाद उनका तबादला 47वीं वाहिनी पीएसी गाजियाबाद में हो गया और यहीं 2002 को उनका प्रमोशन हेड कांस्टेबल के पद पर हुआ. इसके बाद मुरादाबाद और एक बार फिर गाजियाबाद पीएसी पहुंच गए.
2008 से शुरू हुई जाबांजी की कहानी: वर्ष 2008 में कमांडो ट्रेनिंग ले चुके हेड कांस्टेबल सुनील कुमार चंबल और पश्चिमी यूपी में दहशत कायम करने वाले डकैत ओम प्रकाश केवट को पकड़ने के लिए यूपी STF की टीम में शामिल किया गया. हालांकि अभी वे आधिकारिक रूप से STF में तैनात नहीं हो पाए थे. यूपी STF का केवट और उसके साथी राम राज के साथ एनकाउंटर हुआ, जिसमें दोनों मारे गए. इस एनकाउंटर में सुनील कुमार की अहम भूमिका रही. लिहाजा उन्हें यूपी STF में वर्ष 2009 में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया. जिसके दो वर्ष बाद ही उन्हें डकैत ओम प्रकाश केवट का एनकाउंटर करने पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर प्लाटून कमांडर बनाया गया, जो सब इंस्पेक्टर का पद होता है. सुनील कुमार 16 साल तक एसटीएफ में सेवा दी.
यूपी STF में रहते हुए कई ऑपरेशंस में लिया हिस्सा: प्रमोशन पाने के बाद सुनील कुमार पश्चिमी यूपी में यूपी STF के अधिकांश ऑपरेशन में शामिल रहे. दर्जनों अपराधियों की गिरफ्तारी, असलहों की फैक्ट्रियों का खत्मा जैसे कई सराहनीय कार्य किए. जिसके चलते वर्ष 2015 में उन्हें सराहनीय सेवा सम्मान चिन्ह पदक से नवाजा गया. शहीद सुनील कुमार ने इस बीच वर्ष 2022 में कुख्यात नजाकत, दीपक चौधरी, नवीन उर्फ छोटू, आस मोहम्मद, कपिल उर्फ सर्रा, संदीप उर्फ सम्राट की गिरफ्तारी की. जिसके बाद उनका दल नायक या इंस्पेक्टर के पद पर अप्रैल 2020 में प्रमोशन हुआ. 2022 को उत्कृष्ट सेवा सम्मान चिह्न पदक से सम्मानित भी किया गया.
ठोकिया के एनकाउंटर में भी रहे शामिल: इंस्पेक्टर सुनील कुमार एसटीएफ में शामिल होने से पहले दुर्दांत डकैत ठोकिया के एनकाउंटर में भी शामिल रहे. बहन से रेप करने वाले आरोपी को ठोकिया ने मार दिया था. इस घटना के बाद चित्रकूट के अंबिका पटेल ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था. ददुआ गैंग में शामिल होने के बाद एक के बाद एक कई हत्याएं कीं. हत्या करने के बाद वह कहता था कि मैंने ठोक दिया. इसी कारण उसे लोग ठोकिया कहने लगे थे. ठोकिया ने 6 पुलिस जवानों की हत्या कर दी थी. इस वारदात ने सरकार की खूब किरकिरी कराई थी. मायावती सरकार ने उस पर 6 लाख का इनाम घोषित किया था. यूपी पुलिस को अगस्त 2008 में सफलता मिली थी. साल 2008 में सुनील कुमार ठोकिया को मार गिराने वाली टीम का हिस्सा थे.
अनिल दुजाना को ठिकाने लगाया: सुनील कुमार उस वक्त फिर र्चा में आए जब उन्होंने पश्चिमी यूपी, हरियाणा और दिल्ली के कुख्यात अनिल नागर उर्फ दुजाना को एनकाउंटर में ढेर किया. दुजाना के खिलाफ हत्या और अपहरण के 60 मुकदमे दर्ज थे. 4 मई 2023 को अनिल दुजाना को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सुनील कुमार को मिली. एनकाउंटर में दुजाना मारा गया. जिसके बाद उन्हें वर्ष 2024 के उन्हें अति उत्कृष्ट सेवा पदक और प्रशंसा चिन्ह रजत दिया गया.
कुख्यात कग्गा गैंग के सरगना का खात्मा: 20 जनवरी को मुठभेड़ में मारे गए 4 अपराधियों में सबसे चर्चित नाम अरशद का है. अरशद वेस्ट यूपी के कुख्यात कग्गा गैंग को संचालित कर रहा था. कग्गा गैंग ने यूपी, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड समेत 4 राज्यों में आतंक मचा रखा था. पुलिसकर्मियों की हत्या और थानों से हथियार लूटना, खुलेआम वाहनों को हाईजैक कर लूटपाट करना, कग्गा गैंग का आतंक फैलाने का यही पैटर्न था. पश्चमी युपी में इस गैंग ने अपहरण, हत्या और फिरौती को उद्योग बनाया हुआ था. जो इनकी बात नहीं मानता था, उसे दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया जाता था. 2011 में कग्गा गैंग के सरगना मुस्तफा के एनकाउंटर के बाद मुकीम गैंग को संभाल रहा था. फिर उसके बाद अरशद भी इसमें शामिल हो गया, जो मुकीम काला का दाहिना हाथ बन गया. 2021 में मुकीम काला की हत्या के बाद अरशद पूरी तरह से इसी पैटर्न पर गैंग को संचालित कर रहा था. मुस्तफा उर्फ कग्गा सहारनपुर के बाढ़ी माजरा का रहने वाला था.
कग्गा गैंग क्यों है इतना खतरनाक: कग्गा गैंग के सरगना मुस्तफा के निशाने पर हमेशा पुलिस रहती थी. थानों के सामने गाड़ी खड़ी कर बंदूक की नोक पर हथियार लूट लेता था. वह पुलिस पर गोलियां चलाने से भी नहीं हिचकिचाता था. कग्गा ने एसओजी के सर्विलांस एक्सपर्ट कांस्टेबल सचिन की हत्या कर थी. फिर उसने दो सिपाहियों की हत्या कर उनकी राइफलें भी लूट ली थीं. 20 जून 2011 को कग्गा ने मुखबिरी के शक में कैराना के खुरगान निवासी जुल्फान उर्फ काला की हत्या कर दी थी. 2011 में मुस्तफा उर्फ कग्गा मुठभेड़ में मारा गया. कग्गा गैंग में मुकीम काला ने 20 जून 2011 एंट्री की थी. इनामी अरशद उसका दाहिना हाथ बन गया. कग्गा की तरह मुकीम पुलिस पर फायरिंग करने से पहले नहीं सोचता था. मुस्तफा उर्फ कग्गा और मुकीम काला के एनकाउंटर के बाद अरशद दोनों ही गैंग को ऑपरेट कर रहा था. उस पर एक लाख रूपए का इनाम था. मुस्तफा, फिर मुकीम और अब अरशद के खात्मे के बाद अब वेस्ट यूपी का कग्गा और मुकीम गैंग पूरी तरह से कमजोर हो गया है. यह एनकाउंटर पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि है.
जो पुरस्कार मिले
- 2015 में सराहनीय सेवा सम्मान मिला.
- 2022 में उत्कृष्ट सेवा सम्मान.
- 2024 में पुलिस पुलिस महानिदेशक का प्रशंसा चिन्ह रजत.
- 2024 में गृह मंत्रालय का अति उत्कृष्ट सेवा पदक दिया गया.