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आर्य महाकुंभ में आचार्य प्रमोद कृष्णन बोले- यह देश संविधान से चलेगा न कि फतवों से - ACHARYA PRAMOD KRISHNAN

आर्य महाकुंभ में आचार्य प्रमोद कृष्णन बोले- कुछ लोग सत्ता के लिए देश को जाति के नाम पर बांटना चाहते हैं

आचार्य प्रमोद कृष्णन सीएम योगी का किया समर्थन.
आचार्य प्रमोद कृष्णन सीएम योगी का किया समर्थन. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 17, 2024, 7:52 PM IST

फिरोजाबाद : कल्कि पीठ पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा है कि देश मे कुछ लोग सत्ता की खातिर जाति के नाम पर देश को बांटना चाहते हैं, लेकिन समाज को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर बंटेंगे तो कटेंगे. हम प्रण लेते है कि न हम बंटने देंगें, न कटने देंगें, न छंटने देंगें, न ही घटने देंगें. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के समर्थन में फतवा जारी किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह देश संविधान से चलेगा न कि फतवों से. कहा कि यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि विपक्ष के नेता संविधान से ज्यादा फतवों पर विश्वास करते हैं.

आर्य महाकुंभ में आचार्य प्रमोद कृष्णन. (Video Credit; ETV Bharat)

बता दें कि फिरोजाबाद के सिरसागंज इलाके में इन दिनों महर्षि दयानंद की 200 वीं जयंती के मौके पर आर्य महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. इस महाकुंभ का आयोजन यूपी टूरिज्म विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है. 16 नबम्बर से शुरू हुआ यह यह महाकुंभ 18 नबम्बर तक चलेगा. आयोजन के दूसरे दिन इस कार्यक्रम में पहुंचे कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर ने बगैर नाम लिए कुछ नेताओं पर जुबानी हमला बोला.

आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मंच से कहा कि व्यक्ति बड़ा नहीं होता उसका भाव, उसका संकल्प बड़ा होता है. इस आयोजन में पर्यटन मंत्री ने जो भाव प्रदर्शित किया है, वह उनकी विराट सोच को दर्शाता है. कहा कि मैं राष्ट्र और सनातन के लिए समर्पित रहूंगा. स्वामी दयानंद सरस्वती में शिव की भांति विषपान करने की क्षमता, राम की मर्यादा और कृष्ण की दूरदर्शिता का समिश्रण था. भारतीय समाज को जात-पात और ऊंच-नीच के जहर से बाहर निकालकर ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करने का कार्य किया. इस रूप में उनका योगदान अमूल्य है.

कहा कि 90 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानी ऐसे थे, जो दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित थे. आज भारत को जात-पात, अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर विभाजित करने का जो षड्यंत्र रचा जा रहा है, उसे समाप्त करने की आवश्यकता है. आर्य समाज, सनातन संस्कृति की सबसे सशक्त इकाई है. सनातन एवं समाज को जागृत करने के लिए हम सभी को आर्य समाज के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें : दबंग बकायेदारों ने बिजली विभाग के इंजीनियर को पीटा, तीन आरोपी गिरफ्तार

फिरोजाबाद : कल्कि पीठ पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा है कि देश मे कुछ लोग सत्ता की खातिर जाति के नाम पर देश को बांटना चाहते हैं, लेकिन समाज को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर बंटेंगे तो कटेंगे. हम प्रण लेते है कि न हम बंटने देंगें, न कटने देंगें, न छंटने देंगें, न ही घटने देंगें. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के समर्थन में फतवा जारी किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह देश संविधान से चलेगा न कि फतवों से. कहा कि यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि विपक्ष के नेता संविधान से ज्यादा फतवों पर विश्वास करते हैं.

आर्य महाकुंभ में आचार्य प्रमोद कृष्णन. (Video Credit; ETV Bharat)

बता दें कि फिरोजाबाद के सिरसागंज इलाके में इन दिनों महर्षि दयानंद की 200 वीं जयंती के मौके पर आर्य महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. इस महाकुंभ का आयोजन यूपी टूरिज्म विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है. 16 नबम्बर से शुरू हुआ यह यह महाकुंभ 18 नबम्बर तक चलेगा. आयोजन के दूसरे दिन इस कार्यक्रम में पहुंचे कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर ने बगैर नाम लिए कुछ नेताओं पर जुबानी हमला बोला.

आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मंच से कहा कि व्यक्ति बड़ा नहीं होता उसका भाव, उसका संकल्प बड़ा होता है. इस आयोजन में पर्यटन मंत्री ने जो भाव प्रदर्शित किया है, वह उनकी विराट सोच को दर्शाता है. कहा कि मैं राष्ट्र और सनातन के लिए समर्पित रहूंगा. स्वामी दयानंद सरस्वती में शिव की भांति विषपान करने की क्षमता, राम की मर्यादा और कृष्ण की दूरदर्शिता का समिश्रण था. भारतीय समाज को जात-पात और ऊंच-नीच के जहर से बाहर निकालकर ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करने का कार्य किया. इस रूप में उनका योगदान अमूल्य है.

कहा कि 90 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानी ऐसे थे, जो दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित थे. आज भारत को जात-पात, अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर विभाजित करने का जो षड्यंत्र रचा जा रहा है, उसे समाप्त करने की आवश्यकता है. आर्य समाज, सनातन संस्कृति की सबसे सशक्त इकाई है. सनातन एवं समाज को जागृत करने के लिए हम सभी को आर्य समाज के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है.

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