जयपुर. पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिला उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार की घटना के विरोध में एबीवीपी की ओर से राजस्थान में प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करते हुए विरोध दर्ज कराया गया. जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर भी एबीवीपी ने प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दफ्तर को शोषण का सेंटर बताया. साथ ही पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करते हुए पीड़ितों को न्याय देने की मांग की.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ममता बनर्जी सरकार के संरक्षण में टीएमसी नेताओं की ओर से दलित और पिछड़े समुदाय की महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करने, उनकी जमीन को हथियाने और उन्हें शारीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. इसके विरोध में जयपुर प्रांत के कार्यकर्ताओं ने सभी जिलों के विश्वविद्यालय और कॉलेज एबीवीपी ने प्रदर्शन किया.
ABVP का प्रदर्शन: एबीवीपी के प्रांत मंत्री अभिनव सिंह ने कहा कि जिस तरह पश्चिम बंगाल में महिलाओं को शारीरिक-मानसिक प्रताड़ित किया जा रहा है और वहां की ममता सरकार मदद करने के बजाए शेख शाहजहां जैसे कुख्यात टीएमसी के गुंडों को संरक्षण देने का प्रयास कर रही है ये मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं हैं. मुख्यमंत्री होकर भी महिलाओं की अस्मिता और मौलिक अधिकारों की रक्षा न करना पश्चिम बंगाल में दुराचारियों की सरकार में हनक बयां करता है. ऐसे में एबीवीपी केंद्र सरकार से आग्रह करती है कि इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करके संदेशखाली की महिलाओं को न्याय दिलाए.
पीड़ितों को न्याय देने की मांग: वहीं, एबीवीपी इकाई मंत्री मनु दाधीच ने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं के साथ हो रही ज्यादती दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे भी ज्यादा दुर्भाग्य की बात ये है कि महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद पश्चिम बंगाल की महिलाओं की सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. कानून व्यवस्था भी जर्जर स्थिति में है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं. ऐसे में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करते हुए कानून व्यवस्था को पटरी पर लाया जाए और पीड़ितों को न्याय दिया जाए.