नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में मॉर्निंग असेम्बली में कम उपस्थिति होने पर अभिभावकों को बुलाने में असफल रहे स्टूडेंट्स को निलंबित करने के निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए स्टूडेंट्स व अभिभावकों को स्टीफेंस प्रशासन ने मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की निंदा की है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण तथा शर्मनाक है कि सेंट स्टीफेंस कॉलेज, छात्रों की समस्याओं को नहीं समझ रहा तथा उन्हें जबरन परेशान कर रहा है.
एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि सेंट स्टीफेंस कॉलेज त्वरित निलंबन वापसी का नोटिस कॉलेज वेबसाइट पर डाले. छात्रों को कक्षा के अतिरिक्त जबरन किसी गतिविधि में संलिप्त नहीं किया जा सकता है. इस प्रकार के आयोजनों में शामिल होने को बाध्य करना संविधान के अंतर्गत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है.
अनुच्छेद 25 के अंतर्गत प्रदत्त अन्तःकरण की स्वतंत्रता का सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इस कृत्य द्वारा हनन हुआ है. बाहरी तौर पर स्वयं को उदार प्रस्तुत करने वाले सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रशासन का वास्तविक चेहरा आज पुनः उजागर हुआ है. अकादमिक तनाव के कारण छात्र पहले ही परेशान हैं. उनकी आर्थिक स्थिति, उनके अभिभावक की कॉलेज के बुलावे पर किसी कारण नहीं पहुंचने को मानवीय संवेदना सहित विभिन्न पक्षों को समझा जाना चाहिए. यदि सेंट स्टीफेंस कॉलेज द्वारा निलंबन वापसी का नोटिस नहीं आता तो विद्यार्थी परिषद कड़ा विरोध करेगी.
सेंट स्टीफन कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर जॉन वर्गीज द्वारा 17 फरवरी को 129 छात्रों को ईमेल भेजकर यह सूचित किया गया कि कॉलेज की सुबह की प्रार्थना सभा में कम उपस्थिति के कारण आपका निलंबन हो गया है. अब आपको परीक्षा में बैठने से भी रोका जा सकता है. इस मेल के बाद छात्रों में खलबली मच गई और वह इस निर्णय का विरोध करने लगे. छात्रों ने इसको लेकर प्राचार्य को पत्र लिखकर तुरंत निलंबन को वापस लेने की मांग की.
वहीं, निलंबन की चेतावनी का मेल प्राप्त करने वाले इतिहास (ऑनर्स) के एक छात्र ने बताया कि छात्रों के पास इस मेल के अलावा निलंबन का कोई आधिकारिक मेल नहीं आया है. ना ही उन्हें अभी तक कक्षाएं लेने से रोका गया है. प्राचार्य का सिर्फ यह कहना है कि जो छात्र अपने अभिभावकों को मिलने के लिए कॉलेज लेकर आ जाएंगे. उनको निलंबन से छूट दे दी जाएगी. यह उनको दिया गया अंतिम मौका होगा.