नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान ने पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. अब्दुल रहमान ने अपने एक्स हैंडल पर इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया भी दी, जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे विचारों में बढ़ते फासले का जिक्र किया है.
रहमान का इस्तीफा तब आया है जब शनिवार को सीलमपुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक चौधरी मतीन अहमद के बेटा चौधरी जुबैर अहमद अपनी पत्नी शगुफ्ता बेगम के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए. जुबैर का आप में शामिल होना रहमान के लिए चिंता का विषय बन गया, खासकर जब वे और जुबैर एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं.
अब्दुल रहमान ने अपने समर्थन के लिए अपील करते हुए लिखा, "उम्मीद है कि पार्टी और मेरे समर्थक मेरे इस कदम को समझेंगे." इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के भीतर अंतर्विरोध और व्यक्तिगत rivalries उनकी इस स्थिति का प्रमुख कारण बन गए हैं."
राजनीतिक पृष्ठभूमि: अब्दुल रहमान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आम आदमी पार्टी से की थी. पहले वे पार्षद चुने गए और उनकी पत्नी आसमा रहमान भी पार्टी से पार्षद बनीं. वर्ष 2020 में, रहमान को आप ने पूर्व विधायक हाजी इशराक खान का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया, और उन्होंने कांग्रेस के मतीन अहमद को हराकर विधायक का पद हासिल किया.
हालांकि, इस्तीफे के बाद जो राजनीतिक माहौल बन रहा है, वह वास्तव में दिलचस्प है. इस इस्तीफे से स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी में आंतरिक चुनौतियां बढ़ रही हैं. आगामी दिल्ली चुनावों से पहले इस तरह के इस्तीफे पार्टी की यूनिटी के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं.
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