नई दिल्ली: दक्षिण दिल्ली से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद और नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने राजधानी में क्लस्टर बसों के संकट के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने 10 सालों में दिल्ली के लिए एक भी बस नहीं खरीदी और हाथ पर हाथ रखे बैठी रही. उसी का नतीजा है कि अब बसें एक साथ सड़कों से हट रही हैं.
बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए तत्कालीन सरकार ने बसें खरीदी थीं. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में पहले 12 हजार बसें और फिर 15 हजार बसें उपलब्ध कराने का वादा चुनावों के दौरान किया था. लेकिन 2022 तक दिल्ली में एक भी बस नहीं आई. उस दौरान दिल्ली में चल रही डीटीसी की तमाम बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी थीं. क्लस्टर योजना भी शीला दीक्षित सरकार की ओर से लाई गई थी.
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दिल्ली में डीटीसी की बसें और क्लस्टर बसें अपनी उम्र पूरी करके भी लगातार चल रही हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी पिछले 5 साल में लगातार सरकार को यह याद दिलाती रही है कि इन बसों की उम्र पूरी हो चुकी है और अगर इन्हें सड़कों से हटाना पड़ा तो दिल्ली बे-बस हो जाएगी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट धराशायी हो जाएगा. दिल्ली सरकार ने इस चेतावनी और सलाह पर किसी तरह का ध्यान नहीं दिया. उल्टे पुरानी और उम्र पूरी कर चुकी बसों को ही सड़क पर चलाना जारी रखा.
इन बसों को चलाना जोखिमपूर्ण भी है और जनता की जान की परवाह न करते हुए इन्हें चलाया जा रहा है. ये बसें कभी दुर्घटनाग्रस्त हो रही हैं. आए दिन इनमें आग लग रही हैं. इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने अपना कोई प्लान-बी तैयार नहीं किया.
बिधूड़ी ने याद दिलाया कि दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत दो साल पहले हुई है और ये बसें भी केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली को दी गई हैं. केंद्र सरकार ने 2017 में ही इलेक्ट्रिक बसें देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन दिल्ली सरकार ने तब कोई रुचि नहीं दिखाई थी. अब दिल्ली में चल रही अधिकांश इलेक्ट्रिक बसें केंद्र सरकार की फेम योजना के तहत उपलब्ध कराई गई हैं और जनता को थोड़ी राहत है. आने वाले दिनों में जब डीटीसी की हरी और लाल बसें भी सड़कों से हट जाएंगी तो हाहाकार मच जाएगा.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस प्रकार धराशायी होने के लिए जिम्मेदार है. सरकार की अदूरदर्शिता के कारण जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने की बजाय अब सरकार अपनी गलती का भांडा दूसरों पर फोड़ने में लगी हुई है.
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