नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए I N D I A गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का ऐलान हो चुका है. दिल्ली में AAP चार सीट पर अपने प्रत्याशी तो कांग्रेस तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. घोषणा के बाद अब इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि लोकसभा में बीजेपी के वर्चस्व को कैसे कम कर पाएंगी ये दोनों पार्टियां। आगामी लोकसभा चुनाव में डील के बाद भाजपा को हराने की कितनी संभावना जगी है इसका आंकलन किया है ईटीवी भारत ने, जानिये पूरा आंकलन।
किन राज्यों में सीटों का ऐलान : दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी चार सीटों पर और कांग्रेस तीन सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाएगी. वहीं, दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों में भी सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया गया है। . गुजरात की 2 सीट कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को दी है. भरूच और भावनगर सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.
वहीं, चंडीगढ़ की सीट कांग्रेस को दी गयी है. गोवा में आम आदमी पार्टी ने साउथ गोवा सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन अब पार्टी यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ेगी, कांग्रेस हरियाणा की एक सीट गुरुग्राम या फरीदाबाद आम आदमी पार्टी को दे सकती है. पंजाब के लिए पहले ही आम आदमी पार्टी अलग होकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है. पंजाब की 13 लोकसभा सीट पर आप और कांग्रेस में कोई डील नहीं हुई है .
दिल्ली में मुस्लिम बहुल सीटें कांग्रेस को : लंबे इंतजार के बाद दिल्ली के सात लोकसभा सीटों को लेकर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के बीच दिल्ली में चार-तीन फार्मूला पर करीब-करीब सहमति बन गई है. कांग्रेस को उत्तर पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक का सीट दी गयी है.
वहीं, आम आदमी पार्टी पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली और पूर्वी दिल्ली की सीट पर अपने प्रत्याशियों को उतारेगी. दिल्ली की लोकसभा सीटों के बंटवारे में जातीय समीकरण भी देखने में आ रहा है. जिन संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम बहुल इलाका है वहां पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को चुनाव लड़ने का ऑफर किया है. वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा था वहां पर पार्टी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतरेगी.
दिल्ली की एकमात्र सुरक्षित सीट पर कांग्रेस के लड़ने के मायने : दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों में से उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट एकमात्र सुरक्षित सीट है. इस सीट से चुनाव जीतना अन्य सीटों के मुकाबले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए आसान हो जाता है. आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने से पहले यह सीट कांग्रेस के खाते में ही जाता रहा. आप के गठन के बाद कांग्रेस का ही वोटर आप को वोट देने लगा था. जिससे कांग्रेस का ग्राफ यहां डाउन हुआ.
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बाद सीट शेयरिंग में देरी की एक वजह यह भी रही कि इस सीट पर आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ना चाहती थी. लेकिन कांग्रेस ने अपने जनाधार को वापस लाने के लिए इस सीट को प्रत्याशी उतारने का डील पार्टी के सामने रखा. अंततः फैसला भी कांग्रेस के हक में रहा.
लोकसभा का उत्तर पश्चिम सीट पर आम आदमी चुनाव नहीं लगेगी और अब कांग्रेस इस सीट पर चुनाव लड़ अपने जन आधार को वापस लाने की कोशिश करेगी. उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से वर्ष 2014 में उदित राज विजय हुए थे तब वह बीजेपी में थे. वर्ष 2019 में बीजेपी से टिकट नहीं मिला तब वह कांग्रेस में आ गए. अब प्रयास लगाए जा रहे हैं कि उदित राज को ही कांग्रेस यहां प्रत्याशी बनाएगी.
कमबैक करना AAP के लिए चुनौती: आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव कई मायनों में अहम है. राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी अपने राष्ट्रीय विस्तार की संभावनाएं तलाश रही है. पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा. इसलिए अब लोकसभा चुनाव में कमबैक करना आप के लिए चुनौती समान है.
पिछले चुनाव में आप और कांग्रेस की स्थिति: इससे पहले वर्ष 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई थी, दोनों बार पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें बीजेपी के खाते में चली गई. यहां तक कि 7 में से 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी और उसे केवल 18.2 फीसदी वोट मिले थे. जबकि, कांग्रेस को 22.6 फीसदी और बीजेपी को सातों सीट मिलाकर 56.9 फीसदी वोट मिले थे.
लेकिन, इस बार बीजेपी के खिलाफ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एकजुट होकर चुनौती देने की तैयारी कर रही है. कार्यकर्ताओं तक यह संदेश पहुंचाने के निर्देश दिए गए कि जिसकी दिल्ली, उसी का देश. दिल्ली को लेकर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि शीला दीक्षित के काम को दिल्ली के लोग आज भी याद कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी के अस्तित्व से पहले कांग्रेस व बीजेपी के बीच में सीधा मुकाबला था. आम आदमी पार्टी बनने के बाद बीजेपी का वोट बैंक तो नहीं खिसका था, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट में सेंध लगा दी थी.