नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी के कैंपेन सांग जेल के जवाब में हम वोट देंगे पर लगी रोक को चुनाव आयोग ने हटा दिया है. इस सांग को जनता के बीच ले जाने की अनुमति मिल गई है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडेय ने पार्टी कार्यालय में सोमवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हमने इलेक्शन कमीशन के किसी भी ऑब्जेक्शन को स्वीकार नहीं किया. कैंपेन सांग में कोई भी बदलाव भी नहीं किया. हमने इलेक्शन कमीशन की तानाशाही के आगे घुटने नहीं टेके. हम भाजपा के नापाक मंसूबों के आगे नहीं झुके. नतीजा यही हुआ की सच्चाई की जीत हुई.
उन्होंने कहा कि भाजपा का अहंकार खत्म हुआ. हमें अपने कैंपेन सांग को जनता के बीच ले जाने का मौका मिला. दो मई को चुनाव आयोग ने यह अनुमति दी. दिलीप पांडेय ने कहा कि भाजपा को पिछले चरणों के चुनावों से समझ में आ गया है. उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही है. एक शेर के जरिए उन्होंने देश के जनता से सावधान रहकर मतदान करने की अपील की.
दिलीप पांडेय ने कहा कि भाजपा सभी सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. लेकिन आखिरकार सत्य की जीत होती है, लेकिन अहंकार में सत्यमेव जयते का अर्थ भी भाजपा भूल गई. आम आदमी पार्टी के कैंपेन सांग को 27 अप्रैल को चिट्ठी लिखकर वैन कर दिया. जब ऑब्जेक्शन आए तो हमने कहा कि यह कुतर्क और बिना सिर पैर के हैं. चिट्ठी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया. अनजान में सही सच को उजागर कर दिया. इस गाने में जो शब्द हैं. चुनाव आयोग ने उन्हें भाजपा से जोड़कर देखा.
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इलेक्शन कमीशन कहता है कि सांग में कहा गया है कि जेल का जवाब हम वोट से देंगे, यह ठीक नहीं है. दिलीप पांडेय ने कहा कि इसका मतलब यह है कि जेल भेजने की जो सियासत है उसका जवाब में वोट से देंगे. तानाशाही पार्टी को हम चोट देंगे. इस लाइन पर कहते हैं कि यह ठीक नहीं है. यह वायलेंस को प्रदर्शित करता है. हम यह कह रहे हैं कि जो पार्टी तानाशाही दिखा रही है. उस पार्टी को हम वोट की ताकत से चोट देंगे. यह तो हमें संविधान ने ताकत दी है. गाने में लाइन है कि गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे. क्या इलेक्शन कमीशन यह कहना चाहता है कि गुंडागर्दी के पक्ष में लोग वोट दें.
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