नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका. दिल्ली में AAP-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट हाथ नहीं लगी है. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर भी मात्र 24.17 फीसदी रिकॉर्ड हुआ है. इस करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी के लिए चिंता का विषय है पार्टी की परफॉर्मेंस.
अब आम आदमी पार्टी ने आज गुरूवार शाम 5 बजे दिल्ली के सभी विधायकों की अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में पार्टी के सीनियर लीडर मौजूद रहेंगे. लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद AAP की ओर से बुलाई गई इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. इस मीटिंग में विधायकों के साथ हार के कारणों पर खास चर्चा हो सकती है. दरअसल, दिल्ली की 62 सीटों का नेतृत्व करने वाली आम आदमी पार्टी को सातों लोकसभा सीटों पर बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है.
इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर सीधे तौर पर अपने कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में उतारे थे जबकि कांग्रेस ने तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. इन सभी सीटों पर बीजेपी ने इंडिया गठबंधन को करारी मात दी है.
इस बीच देखा जाए तो 18.51 फीसदी वोट कांग्रेस को हासिल हुआ है जबकि बीजेपी को 54.35 फीसदी वोट हासिल हुआ है. अगर इंडिया गठबंधन के वोट प्रतिशत को भी मिला लिया जाए तो यह कुल मिलाकर 42.68 फीसदी बनता है जोकि अकेली बीजेपी को मिले 54.35 फीसदी की तुलना में करीब 12 फीसदी कम है.
हार के कारणों की होगी समीक्षा
आम आदमी पार्टी अब हार के कारणों पर विचार विमर्श करेगी. लेकिन पार्टी के लिए इस चुनाव में एक अच्छी बात ये है कि 2019 की तुलना में इस चुनाव में उसके वोट पर्सेंटेज में बढ़ोतरी हुई है. कांग्रेस के लिए भी इस लिहाज से ये चुनाव अच्छा रहा है.
दिल्ली की जिन चार सीटों पर आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे उनमें ईस्ट, वेस्ट, साउथ और नई दिल्ली लोकसभा सीटें शामिल हैं. वहीं, कांग्रेस ने नॉर्थ ईस्ट, नॉर्थ वेस्ट और चांदनी चौक से प्रत्याशी उतारे थे. आम आदमी पार्टी के वर्चस्व वाली विधानसभाओं में भी कैंडिडेट्स को उस तरह से वोट हासिल नहीं हो पाए हैं जिसकी उम्मीद की जा रही थी. पार्टी मीटिंग में इन सभी कारणों पर गंभीरता से चर्चा होगी.
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