जयपुर: प्रदेश के 5034 स्कूलों में बुधवार को 'परख' राष्ट्रीय सर्वेक्षण होगा. इसमें कक्षा 3,6 व 9 के छात्रों के ज्ञान व शैक्षिक स्तर को परखा जाएगा. कक्षा 3 और 6 में भाषा, गणित और world around us यानी हमारे आसपास के परिवेश के विषयों का आंकलन किया जाएगा, जबकि कक्षा 9 में भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों का आंकलन किया जाएगा. इस परीक्षा का आयोजन छात्रों के ज्ञान का स्तर जानने के लिए किया जा रहा है. इसमें सरकारी स्कूलों के साथ संस्कृत शिक्षा के विद्यालय, मदरसा, केन्द्रीय एवं जवाहर नवोदय विद्यालय और निजी विद्यालयों को भी शामिल किया गया है.
यह सर्वे नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी एनसीईआरटी (NCERT) के राष्ट्रीय मूल्यांकन निकाय की ओर से 4 दिसंबर को किया जाएगा. इसका नाम 'परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024' रखा गया है. इसे पहले नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS) के रूप में जाना जाता था, जिसका आयोजन हर तीन साल में किया जाता रहा है. इस सर्वे को भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली की प्रगति का मूल्यांकन और निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है.
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राज्य परियोजना निदेशक और आयुक्त अविचल चतुर्वेदी ने बताया कि 4 दिसम्बर को प्रदेश के 5 हजार 34 विद्यालयों में परख का आयोजन किया जाएगा. परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण में सरकारी विद्यालय, संस्कृत शिक्षा के विद्यालय, मदरसा, केन्द्रीय और जवाहर नवोदय विद्यालय के साथ निजी विद्यालयों को भी शामिल किया गया है. इसमें 2503 राजकीय और 2531 निजी विद्यालयों का चयन किया गया है. इसमें कक्षा 3, 6 और 9 के विद्यार्थियों का आंकलन किया जाएगा. कक्षा 3 और 6 में भाषा, गणित और world around us यानी हमारे आसपास के परिवेश के विषय का आंकलन किया जाएगा. जबकि कक्षा 9 में भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषय का आंकलन किया जाएगा.
सर्वे में होगी छात्रों की परीक्षा: बता दें कि इस सर्वे में छात्रों की एक परीक्षा ली जाएगी, जो उनके शैक्षिक स्तर की जांच करेगा. इसके लिए छात्रों के लिए प्रश्नपत्र तैयार किए गए हैं, जबकि शिक्षकों और स्कूल प्रशासन के लिए एक प्रश्नावली तैयार की गई है. इसका उद्देश्य प्रमुख विषयों में छात्रों के नॉलेज का आंकलन करना, जेंडर, जगह और सामाजिक-आर्थिक ग्रुप्स के आधार पर उनके परफॉर्मेंस की तुलना करने, नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF-2023) के आधार पर सीखने के अंतर के बारे में बताना, सीखने की क्षमता को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करना, साथ ही रिसोर्स का अलॉटमेंट करना और भविष्य के लिए नीतियों को आकार देना है.