कानपुर: 3 इडियट्स फिल्म तो आप सभी ने देखी होगी, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों पर आधारित 3 इडियट्स फिल्म में दिखाया गया है कि छात्रों पर प्रोजेक्ट और डेडलाइन का कितना प्रेशर होता है. फिल्म में ऐसा ही एक किरदार लोबो (अली फजल) है, जिसका प्रोजेक्ट एक दिन लेट होने के कारण रिजेक्ट कर दिया जाता है. फिर वह सदमे में आकर आत्महत्या कर लेता है. ऐसा ही 4 दिन पहले देश के माने जाने इंस्टीयूट कानपुर आईआईटी में भी पीएचडी की छात्रा प्रगति खार्या की खुदकुशी की खबर चौंकाने वाली थी.
यही नहीं 18 साल में 9 छात्र और एक प्रोफेसर आत्महत्या कर चुके हैं. पिछले एक साल में 3 छात्रों ने मौत की राह चुनी. यह सामान्य नहीं है. पढ़ाई का प्रेशर या घर परिवार से दूर रहने का अकेलापन, क्या वजह हो सकती है छात्रों के खुदकुशी के पीछे? पढ़िए कानपुर आईआईटी प्रबंधन, मनोचिकित्सक और छात्रों से बाचती पर आधारित स्पेशल रिपोर्ट...
एक साल में 3 छात्रों ने दी जानः कानुपर आईआईटी कैंपस में 2024 में 2 छात्र एक प्रोफसर ने आत्महत्या की है. आत्महत्या करने वाले छात्रों में ज्यादातर ने सुसाइड के पीछे किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया. कुछ ने आईआईटी कानपुर के तनाव को सुसाइड का कारण बताया था. हालांकि आईआईटी कानपुर की ओर से छात्रों का तनाव दूर करने के लिए 24 घंटे काउंसलिंग जरूर कराई जाती है. लेकिन साल दर साल आईआईटी कानपुर कैंपस में छात्रों ने सुसाइड का रास्ता चुना है, वह दर्शाता काउंसिलिंग सेल में बहुत अधिक सुधार करना होगा.
केस 1- पीएचडी छात्रा प्रगति खार्या ने गुरुवार को कैम्पस में ही सुसाइड कर ली थी. प्रगति खार्या ने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली. प्रगति के आत्महत्या के पीछे की कुछ खास वजह अभी तक सामने नहीं आ पाई है. यहां तक कि छात्रा के सुसाइड नोट में भी कुछ साफ नहीं है. छात्रा प्रगति ने 5 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है. हालांकि अभी तक जो बात सामने आई है कि प्रगति ने अकेलेपन की वजह से आत्मघाती कदम उठाया था. परिजन, पुलिस और संस्थान प्रबंधन भी आत्महत्या के कारणों के बारे में कुछ नहीं पता है.
केस दो: 11 जनवरी 2024 को मेरठ निवासी एमटेक के छात्र विकास मीणा ने सुसाइड कर ली थी. विकास के कमरे से पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला था, जिसमें लिखा था कि उसका अकादमिक प्रदर्शन बेहतर न होने के चलते उसने यह कदम उठाया है. कई दिनों तक साथी छात्र विकास की मौत से स्तब्ध थे. विकास की मौत के बाद कानपुर के पुलिस आयुक्त खुद मौके पर पहुंचे थे. उस समय आईआईटी के प्रशासनिक अफसरों ने दावा किया था कि वह कैम्पस का माहौल बेहतर बनाएंगे. लेकिन माहौल उतना बेहतर न हो सका जितने की छात्रों को जरूरत है.
केस तीन : विकास के आत्महत्या करने के 6 दिन बाद ही 18 जनवरी 2024 को आईआईटी कानपुर कैम्पस में पीएचडी छात्रा झारखंड निवासी प्रियंका जायसवाल (29 साल) ने आत्महत्या कर ली थी. दोपहर में साथी छात्र प्रियंका के रूम के बाहर पहुंचे थे तो उन्होंने देखा कि कमरे के अंदर प्रियंका की बॉडी पंखे से लटकी हुई थी. कमरा नंबर 312 के अंदर हुई इस घटना के बाद से कई माह तक कोई छात्र उस कमरे में नहीं गया. प्रियंका के साथी छात्रों का कहना था कि वह कुछ दिनों से किसी बात को लेकर तनाव में थी. प्रियंका की मौत क्यों हुई, इसका कोई सटीक कारण आज तक सामने न आ सका. प्रियंका 29 दिसंबर 2023 को आईआईटी पहुंची थी और महज 21 दिनों बाद ही प्रियंका ने कैम्पस में सुसाइड कर ली थी.
केस 4-प्रियंका जायसवाल के आत्महत्या से करीब एक महीने पहले ही आईआईटी कानपुर कैम्पस में 19 दिसंबर 2023 को ओडिशा के कटक निवासी 34 वर्षीय पल्लवी चिल्का ने बतौर शोध फैकल्टी सदस्य के रूप में काम करते हुए सुसाइड कर ली थी. डा.पल्लवी ने अगस्त में ही आईआईटी कानपुर में ज्वाइनिंग ली थी. डॉ. पल्लवी की मौत के बाद आईआईटी में उनके करीबी पूरी तरह से सन्न रह गए थे. जब कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसर आईआईटी पहुंचे थे तो कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था. आईआईटी के प्रशासनिक अफसरों ने माना था कि डॉ. पल्लवी ने काम के दबाव में ही सुसाइड चुना था. डा.पल्लवी आईआईटी कानपुर में जैविक विज्ञान व बायो इंजीनियरिंग विभाग से जुड़ी थीं.
क्लस्टरिंग आफ इवेंट्स के शिकार हो रहे छात्रः कानपुर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर आलोक बाजपेई का कहना है कि वैसे तो आईआईटी जैसे संस्थान में जो भी छात्र आते हैं, वह मेधावी होते हैं. लेकिन ज्यादातर कामों का दबाव सहन नहीं कर पाते और आत्महत्या जैसा रास्ता चुन लेते हैं. इसे हम 'क्लस्टरिंग आफ इवेंट्स' कह सकते हैं, जिसमें फंस कर छात्र खुद को बहुत अधिक अकेला महसूस करने लगते हैं. तनाव या दबाव होने पर वह मन ही मन अपनी बात भी किसी से नहीं बताते और सीधे आत्महत्या कर लेते हैं. डॉ आलोक का कहना है कि अगर किसी छात्र के मन में सुसाइड जैसी बात अगर आए तो फौरन ही उसे जगह से हट जाए, जहां बैठकर कुछ नकारात्मक सोच था. साथ ही किसी दूसरे व्यक्ति से तुरंत ही जाकर संवाद शुरू कर दें. किसी भी काम का तनाव या दबाव बिल्कुल न लें. काम को अगर तय समय में पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो थोड़ा समय और लगेगा या खुद को समझाते हुए अपने काम को पूरा करें. अपने मन की बात अपने परिजनों, अपने दोस्तों,अपने परिचितों या अपने करीबियों से हमेशा साझा जरूर करें भले ही बात किसी भी स्तर की हो. हमेशा यह ना समझें कि आप खुद ही बहुत समझदार हैं। अगर किसी मामले को लेकर आप कहीं फंसे हैं तो उसका समाधान जिससे हो सकता है उससे बात जरूर करें. पढ़ाई के दौरान यह सोचे कि हमेशा बेहतर प्रदर्शन करना है मगर प्रदर्शन अच्छा नहीं हुआ है तो उस बात को भी खुद पर हावी न होने दें.
क्या कहते हैं आईआईटीयंस: एक बीटेक छात्रा ने कहा कि कैम्पस में माहौल अच्छा नहीं है. प्रोफेसर्स जरूर दावा करते हैं मगर उतना बेहतर वातावरण नहीं, रहता जितना बताया जाता है. इसी तरह एक पीएचडी छात्रा ने कहा कि पीएचडी की पढ़ाई बहुत कठिन है. अपनी पढ़ाई यहां खुद करनी होती है. प्रोफेसर्स की कोई खास मदद नहीं मिलती है. काउंसिलिंग सेल क़ो लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा कि सेल से भी यहां स्टूडेंट्स क़ो कोई फायदा नहीं मिलता. केवल नाम के लिए काउंसीलिंग कराई जाती है.
आईआईटी कानपुर में छात्रों द्वारा सुसाइड का कदम क्यों उठाया जा रहा है, इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. कैम्पस के काउंसिलिंग सेल को अब मेंटल वेलनेस सेंटर के तौर पर संचालित करेंगे. हमारा मकसद है कि हम छात्रों को कैम्पस के अंदर बेहतर माहौल दें. इसके लिए हमारी ओर से कोई कसर या कमी नहीं रखी जाती. सभी प्रोफेसर्स से भी सीधा संवाद कर उन्हें बताएंगे कि छात्रों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें. उनके लिए फ्रेंडली अकादमिक माहौल तैयार करें. छात्रों से उनके मन की बातों को भी जानें. किसी भी छात्र का निधन, हमारे लिए बहुत अधिक दु:ख देने वाला है.-प्रो.मणींद्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर
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