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80 साल के पति और 76 वर्ष की पत्नी के बीच संपत्ति विवाद में अहम फैसला, छह साल से चल रहा था केस - 80 साल पति 76 साल पत्नी विवाद

अलीगढ़ में बुजुर्ग दंपति के बीच 2018 से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. पति को अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने होंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 9:00 PM IST

अलीगढ़ में बुजुर्ग दंपति के बीच 2018 से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

अलीगढ़: महानगर के बन्ना देवी क्षेत्र के रहने वाले बुजुर्ग दंपति के बीच 2018 से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में शुक्रवार को अपर प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ज्योति सिंह की अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. पति को अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने होंगे. 80 वर्षीय बुजुर्ग पति स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत हैं. उनकी पत्नी की आयु भी इस समय 76 वर्ष है.

कहते हैं कि बुढ़ापे में दंपति एक दूसरे का सहारा होते हैं, लेकिन अलीगढ़ बन्नादेवी थाना इलाके के रहने वाले में 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता का अपनी 76 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी से संपत्ति को लेकर विवाद हो गया. ये मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद महिला परिवार परामर्श केंद्र भेजा गया. जहां काफी समझाने बुझाने के बाद भी दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई और पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहने लगे. जिसके बाद 2018 में पत्नी गायत्री ने परिवार न्यायालय की शरण ली. पत्नी ने भरण पोषण के लिए मुआवजे के रूप में पति से 15 हजार रुपए प्रति माह देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पति को प्रति माह 5 हजार गुजारा भत्ता देने के लिए कहा है.

इस मामले में अधिवक्ता योगेश सारस्वत ने बताया कि वादी गायत्री देवी ने अपने पति के विरुद्ध वर्ष 2018 में भरण- पोषण के लिए वाद प्रस्तुत किया था. कोर्ट ने विपक्षी के विरुद्ध नोटिस जारी किए. विपक्षी पत्रावली पर हाजिर हुआ, फिर कोर्ट ने दोनों पक्षों के साक्ष्यों के प्रचलन करने के बाद पत्रावली निर्णय से पूर्व काउंसलिंग के लिए प्रेषित की. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में दोनों पक्षकारों को काफी समझाया गया, लेकिन पति मुनेश कुमार गुप्ता किसी भी सूरत में अपनी पत्नी को अपनी पेंशन से कोई धनराशि देने को सहमत नहीं हुए.

जबकि वादी को चलने फिरने में दिक्कत है. इसके बाद काउंसलिंग समाप्त की गई. न्यायालय द्वारा विपक्षी पति के विरुद्ध 5 हजार रुपए देने का आदेश पारित किया गया, जो विपक्षी दो माह के अंदर अदा करेगा. पति स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद से रिटायर हैं. उनको करीब 35 हजार रुपए के आसपास पेंशन मिल रही है. पति- पत्नी दोनों अलग-अलग रह रहे हैं. पति अपने बड़े बेटे के साथ रहते हैं और उनकी पत्नी अपने बेटे के साथ रह रही हैं. इन दोनों के बीच में संपत्ति का विवाद है. लगभग 6 वर्ष बाद आदेश आया है.

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अलीगढ़ में बुजुर्ग दंपति के बीच 2018 से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

अलीगढ़: महानगर के बन्ना देवी क्षेत्र के रहने वाले बुजुर्ग दंपति के बीच 2018 से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में शुक्रवार को अपर प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ज्योति सिंह की अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. पति को अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने होंगे. 80 वर्षीय बुजुर्ग पति स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत हैं. उनकी पत्नी की आयु भी इस समय 76 वर्ष है.

कहते हैं कि बुढ़ापे में दंपति एक दूसरे का सहारा होते हैं, लेकिन अलीगढ़ बन्नादेवी थाना इलाके के रहने वाले में 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता का अपनी 76 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी से संपत्ति को लेकर विवाद हो गया. ये मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद महिला परिवार परामर्श केंद्र भेजा गया. जहां काफी समझाने बुझाने के बाद भी दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई और पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहने लगे. जिसके बाद 2018 में पत्नी गायत्री ने परिवार न्यायालय की शरण ली. पत्नी ने भरण पोषण के लिए मुआवजे के रूप में पति से 15 हजार रुपए प्रति माह देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पति को प्रति माह 5 हजार गुजारा भत्ता देने के लिए कहा है.

इस मामले में अधिवक्ता योगेश सारस्वत ने बताया कि वादी गायत्री देवी ने अपने पति के विरुद्ध वर्ष 2018 में भरण- पोषण के लिए वाद प्रस्तुत किया था. कोर्ट ने विपक्षी के विरुद्ध नोटिस जारी किए. विपक्षी पत्रावली पर हाजिर हुआ, फिर कोर्ट ने दोनों पक्षों के साक्ष्यों के प्रचलन करने के बाद पत्रावली निर्णय से पूर्व काउंसलिंग के लिए प्रेषित की. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में दोनों पक्षकारों को काफी समझाया गया, लेकिन पति मुनेश कुमार गुप्ता किसी भी सूरत में अपनी पत्नी को अपनी पेंशन से कोई धनराशि देने को सहमत नहीं हुए.

जबकि वादी को चलने फिरने में दिक्कत है. इसके बाद काउंसलिंग समाप्त की गई. न्यायालय द्वारा विपक्षी पति के विरुद्ध 5 हजार रुपए देने का आदेश पारित किया गया, जो विपक्षी दो माह के अंदर अदा करेगा. पति स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद से रिटायर हैं. उनको करीब 35 हजार रुपए के आसपास पेंशन मिल रही है. पति- पत्नी दोनों अलग-अलग रह रहे हैं. पति अपने बड़े बेटे के साथ रहते हैं और उनकी पत्नी अपने बेटे के साथ रह रही हैं. इन दोनों के बीच में संपत्ति का विवाद है. लगभग 6 वर्ष बाद आदेश आया है.

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