वाराणसीः कैंट थाना क्षेत्र में दो लोगों की हत्या के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश यजुवेंद्र विक्रम सिंह ने शनिवार को पूर्व सांसद अतुल राय उर्फ अतुल कुमार सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुजीत सिंह बेलवा समेत आठ आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया. अदालत में पूर्व बसपा सांसद अतुल राय व अभिषेक सिंह हनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, बृजपाल सिंह यादव व विनीत कुमार सिंह ने पक्ष रखा.
वाराणसी के भक्तिनगर दौलतपुर निवासिनी आशा देवी ने 25 अगस्त 2011 को कैंट थाना पर प्रार्थना पत्र दी थी कि उसका बेटा रंजीत और साथी विनोद गौड़ घर पर थे. तभी जीप और मोटरसाइकिल पर कल्लू उर्फ धर्मेंद्र पांडेय एवं अन्य वहां आये और रंजीत व विनोद को साथ लेकर चले गए. काफी समय बाद भी जब दोनों का पता नहीं चला तो अनहोनी की आशंका होने पर खोजबीन करने कचहरी पहुंची. पेशी पर जेल से आया श्रीप्रकाश उर्फ झून्ना पंडित ने उन्हें बताया कि रंजीत और विनोद को मारकर ठिकाना लगा दिया गया है.
आशा देवी की तहरीर के आधार पर कैंट पुलिस ने हत्या समेत विभिन्न आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी. विवेचना के दौरान 27 अगस्त 2011 को रंजीत गौड़ और विनोद गौड़ की बसंत विहार कालोनी, दौलतपुर में शव मिला था. आरोपियों ने गड्डा खोदवाकर दोनों के शव को दफन करा दिया था.
पुलिस ने विवेचना के बाद अतुल राय, सुजीत सिंह बेलवा, अभिषेक उर्फ हनी, कल्लू उर्फ धर्मेंद्र पांडेय, अभिलाख पांडेय, सतीश यादव उर्फ बच्चा, शिशु उर्फ शिवाकुमार, शंखू यादव एवं अजय उर्फ विजय और दो नाबालिग आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया. दो आरोपियों के नाबालिग होने के कारण उनका मामला पृथक कर किशोर न्याय बोर्ड प्रेषित कर किया गया.
आरोपी कल्लू उर्फ धर्मेंद्र पांडेय व सतीश यादव उर्फ बच्चा की मृत्यु होने पर दोनों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई बंद कर दी गई. अदालत में मुकदमा की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से वादिनी आशा देवी समेत 13 गवाह परीक्षित किए गए. आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित न होने पर अदालत ने अतुल राय, सुजीत सिंह बेलवा, अभिषेक सिंह उर्फ हनी, अभिलाख पांडेय उर्फ काले, शंखु यादव, शिशु उर्फ शिवा कुमार, अजय उर्फ विजय, राजन पांडेय को दोषमुक्त कर दिया.