मेरठ: एक दौर था ज़ब लोगों का ज्ञानवर्धन मनोरंजन होता था ख़ासकर कॉमिक्स औऱ उपन्यासों और पत्र पत्रिकाओं से. यही नहीं बच्चों को जहां कॉमिक्स लुभाते थे, वहीं युवाओं को और हर उम्र के लोगों को उपन्यास. अब डिजिटल दौर है वक़्त बदल चुका है, लेकिन उस वक़्त में जब मनोरंजन के लिए कोई खास साधन नहीं होते थे, तब जैसे ही कोई नई कॉमिक्स पढ़ने को मिलती थी तो उसे खरीदलिया जाता था या पढ़ने के लिए किराए पर लिया जाता था.
![पाठक करते हैं इनके उपन्यासों को इंतजार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_223.jpg)
उस वक़्त कॉमिक्स में तमाम अलग अलग किरदार की अलग अलग पहचान होती थी, जो कि सस्पेंस और रोमांच भी पैदा करते थे. पाठकों में क्रेज रहता था यह जानने का कि उन्हें जो किरदार भा रहा है उसको लेकर आगे क्या कुछ आने वाला है. लगभग तीन दशक पहले लौटते हैं, तो अभी भी लगता है मानो कल ही की बात है.
![तीन सौ से ज्यादा उपन्यास लिख चुके हैं परशुराम शर्मा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_1003.jpg)
![कॉमिक्स के किरदार हो गये अमर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_452.jpg)
![परशुराम शर्मा ने बच्चों को संगीत भी सिखाया](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_871.jpg)
उन्होंने कहा कि जनता का प्यार खूब मिला पैसा भी खूब कमाया उनका हौसला बढ़ता गया. तीन सौ से ज्यादा उपन्यास लिख चुके परशुराम शर्मा बताते हैं कि मायानगरी का उन्होंने मेरठ से रुख किया. कई प्रोजेक्ट उन्हें मिले. उस वक़्त डी डी नेशनल ही टेलीविजन की दुनिया में था और वहां उनकी लिखी स्क्रिप्ट पर कई सीरियल भी आए. इनमें वकील जासूस और तलाश खूब प्रसिद्ध हुए. हालांकि वह कहते हैं कि कई फिल्मकारों के सम्पर्क में भी रहे, लेकिन वहां कुछ खास लोगों ने उनकी दाल नहीं गलने दी. वह कहते हैं कि इस सबसे उनपर कोई खास फर्ख नहीं पड़ा वह अपना काम करते रहे. हालांकि मिलने पर उनकी सराहना देवानंद, जैकी श्रॉफ औऱ अमिताभ बच्चन ने खूब की.
![परशुराम शर्मा का लोकप्रिय नॉवेल सलाखें](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_38.jpg)
उपन्यासकार परशुराम शर्मा कहते हैं कि प्राण ने तो चाचा चौधरी को ही बनाया. उन्होंने तो 18 से अधिक कॉमिक्स औऱ उनके पात्रों को गढ़ा. वह कहते हैं कि उनके नागराज, अंगारा, समेत तमाम ऐसे पात्र हैं, जो खूब पसंद किए जाते हैं. अब एक नया पात्र उन्होंने कॉमिक्स में गढ़ा है उसे नाम दिया है लावा, जो कि डिजिटल पर मिल जाएगा. वह कहते हैं कि उनके लिखे हॉरर और थ्रिलर उपन्यास तो खूब ही पसंद किए गए जिनमें बाज, पुकार, कोरे कागज का कत्ल, महारानी और आदमखोर शामिल हैं.
![परशुराम शर्मा ने 12वीं क्लास में पहला उपन्यास लिखा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_622.jpg)
उन्होंने बताया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है औऱ कुछ नहीं. परशुराम शर्मा कहते हैं कि टीवी और इंटरनेट के कारण उपन्यास और कामिक्स पढ़ने वाले अब कम ही लोग है उनके लिखे हॉरर और थ्रिलर उपन्यास अधिक पसंद किए गए हैं. इनमें बाज, पुकार, कोरे कागज का कत्ल, महारानी और आदमखोर आदि प्रमुख हैं. उन्होंने कई कामिक्स लिखी. उनके रचे नागराज, अंगारा जैसे पात्र आज भी लोगाें को याद हैं. अब उन्होंने लावा नाम का कामिक्स पात्र रचा है. वह कहते हैं कि डिजिटल दौर में हर हाथ में मोबािल है, टीवी और इंटरनेट के कारण उपन्यास और कामिक्स पढ़ने वाले पहले के मुकाबले भले ही कम हो गए हैं.
![अंगारा का किरदार बेहद लोकप्रिय हुआ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2024/up-mer-02-famous-novelist-parshuram-sharma-pkg-7202281_31012024095123_3101f_1706674883_955.jpg)
लेकिन एक वर्ग अब भी उन्हें बेहद पसंद करता है. वह भी डिजिटल की तरफ रुझान कर चुके हैं. लगभग 50 उपन्यासों से साल में एक बार रॉयल्टी मिल जाती है, हजारों बच्चों को संगीत सिखाया है, तमाम क्षेत्रीय फिल्मों में काम किया है. इनमें निभाए किरदारों को बेहद पसंद किया गया. लोग उन्हें पसंद करते हैं. इतना ही काफ़ी है. उन्होंने बताया कि अभी कई प्रोजेक्ट उनके हाथ में हैं. लोग उनके सम्पर्क में रहते हैं. जब तक की चाबी ऊपर वाले ने भरी है. तब तक इसी धुन में काम करते रहेंगे. वह कहते हैं कि गीता में जो लिखा है, वही वे फॉलो करते हैं. अभी उन्हें लगता है कि इस चोले में काम करने के लिए अभी पर्याप्त समय है.
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