कोटा. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश के लिए प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड (JEE ADVANCED 2024) 26 मई को आयोजित होने वाली है. इस प्रवेश परीक्षा की खासियत है कि हर साल इसका पैटर्न बदलता है और मार्किंग स्कीम भी परिवर्तित होती है. परीक्षा का स्तर काफी कठिन होता है, जिससे इसे जटिल माना जाता है. परीक्षा में बैठने वाले कैंडिडेट पहले से ही जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम मेन (JEE MAIN) में सफल हो चुके होते हैं. इसके बावजूद भी करीब 75 फीसदी स्टूडेंट इस परीक्षा को क्वालीफाई नहीं कर पाते हैं.
बीते 5 सालों में इस परीक्षा में महज 15 से 25 फीसदी अंक लाने पर ही स्टूडेंट्स क्वालीफाई कर लेते हैं, लेकिन 70 से 75 फीसदी कैंडिडेट इतने अंक भी परीक्षा में नहीं ला पाते हैं. ये कैंडिडेट आईआईटी में प्रवेश की जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JoSAA) की काउंसलिंग में भी पात्र नहीं होते हैं. एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि बीते 5 सालों के कटऑफ के अनुसार 15.28 से लेकर 25 फीसदी तक अंकों में सामान्य कैटेगरी के कैंडिडेट के लिए जेईई एडवांस्ड क्वालीफाई हुए हैं, जबकि 70 से लेकर 76 फीसदी तक कैंडिडेट नॉन क्वालीफाई रहे हैं.
360 में 55 अंक भी नहीं ला पाए 74 फीसदी कैंडिडेट : देव शर्मा ने बताया कि जेईई एडवांस्ड में साल 2019 में सामान्य कैटेगरी के कैंडिडेट पूर्णांक 372 में 25 फीसदी यानी 93 अंक लाने पर ही काउंसलिंग के लिए क्वालीफाई किए गए थे, जबकि करीब 76 फीसदी यानी 1.22 लाख अभ्यर्थी यह अंक नहीं ला पाए थे. इन कैंडिडेट में शामिल ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के 86 अंक भी नहीं आए थे. एससी-एसटी में 46 अंक भी कैंडिडेट के नहीं आए थे. बीते साल 2023 में 86 अंक पर जनरल कैटेगरी का कैंडिडेट इसमें क्वालीफाई घोषित किया गया था, जबकि ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए 77 और एससी एसटी के लिए 43 अंक थे. 1.36 लाख अभ्यर्थी यानी 75 फीसदी कैंडिडेट इतने अंक भी परीक्षा में नहीं ला पाए थे. साल 2022 में नॉन क्वालीफाई 1.14 लाख विद्यार्थी 55 अंक भी नहीं ला पाए थे. इस साल पूर्णांक 360 अंक थे.
क्वालीफाई होने वाले कैंडिडेट से तीन गुना नॉन क्वालीफाई : देव शर्मा ने बताया कि साल 2023 में 180372 कैंडिडेट ने परीक्षा दी थी, इनमें से 24.26 यानी 43769 सफल घोषित किए गए थे, शेष 136603 नॉन क्वालिफाइड थे. यह प्रतिशत 75.74 है. इसी तरह से साल 2019 में 161319 कैंडिडेट ने परीक्षा दी थी, जिनमें से 38705 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए थे, जबकि 122614 कैंडिडेट क्वालीफाई नहीं हो पाए थे. यह आंकड़ा 76 फीसदी है. साल 2020, 2021 और 2022 में भी लगभग यही प्रतिशत है. ऐसे में साफ है कि क्वालिफाइड कैंडिडेट्स से 3 गुना ज्यादा नॉन क्वालिफाइड हैं.