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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024: 70 साल की उम्र में जगी शिक्षा की अलख, महिलाएं सीख रही क ख ग... - International Womens Day 2024

गाजियाबाद के विजयनगर इलाके की रोजी कॉलोनी में रहने वाली महिलाएं पढ़ना लिखना सिख रही हैं. महिलाओं का कहना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती. आजकल के दौर में महिलाओं को शिक्षित होना बेहद जरूरी है.

70 साल की उम्र में जगी शिक्षा की अलख
70 साल की उम्र में जगी शिक्षा की अलख
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 8, 2024, 8:15 AM IST

Updated : Mar 8, 2024, 3:27 PM IST

70 साल की उम्र में जगी शिक्षा की अलख

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पढ़ाई लिखाई की कोई उम्र नहीं होती है. यह साबित किया गाजियाबाद में रहने वाली महिलाओं ने. 60 साल की उम्र पार कर चुकी महिलाएं जिनके घर में पोते-पोतियां हैं वह अब खुद को शिक्षित बनाने के लिए हाथ में कलम पड़ चुकी हैं. शिक्षा के महत्व को समझकर वे अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने की कोशिश में जुटी है. महिलाएं न सिर्फ अपनी जिंदगी को संवारने की कोशिश कर रही, बल्कि इलाके की अन्य महिलाएं जब इन महिलाओं से मिलती हैं या उनकी कहानी के बारे में सुनती हैं तो वह भी शिक्षा की ओर बढ़ रही है.

गाजियाबाद के विजयनगर इलाके की रोजी कॉलोनी की रहने वाली कमलावती की उम्र 62 साल है. घर में बेटे और बेटियों की शादी हो चुकी है. पोते पोतियां भी स्कूल जाने लगे हैं. कमलावती कभी स्कूल नहीं गई. 62 साल की उम्र में कमलावती में जिंदगी को नई दिशा देने के लिए पढ़ाई करनी शुरू कर दी है. रोजी कॉलोनी में युवतियों द्वारा क्लास लगाई जाती है. डेढ़ महीने पहले कमलावती ने क्लास ज्वाइन की. एक महीने में कमलावती 100 तक की गिनती को लिखना सीख गई. कमलावती बताती हैं कि वह क्लास के साथ-साथ घर पर भी पढ़ाई करती हैं.

उनका कहना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती. आजकल के दौर में महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है. रोजी कॉलोनी की ही निवासी शाहजहां की उम्र 68 साल है. शाहजहां बताती हैं बिना पढ़े लिखे जिंदगी बहुत मुश्किल है. कहीं जाते हैं किसी से रास्ता पूछते हैं तो शर्म आती है. बैंक का काम या फिर अन्य किसी काम के लिए पड़ोसियों को साथ लेकर जाना पड़ता है. हम चाहते हैं कि हमें किसी का सहारा ना लेना पड़े. इलाके की युवतियों की मदद से हम पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई करके जिंदगी आसान हो जाएगी अपने काम खुद करने में आसानी होंगी.

महिलाओं को शिक्षित करने वाली आयशा बीए कर रही हैं. आयशा के ग्रुप में कुल 10 युवतियां है, जो इलाके की तकरीबन 10 महिलाओं को फिलहाल शिक्षित करने की मुहिम चला रही हैं. आयशा का कहना है कि शुरुआत में हमने तीन महिलाओं से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब कल 10 महिलाएं ग्रुप में हैं. हमारा मकसद है कि जो भी इलाके की बुजुर्ग महिलाएं पढ़ना चाहती हैं उनको शिक्षित कर सकें.

70 साल की उम्र में जगी शिक्षा की अलख

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पढ़ाई लिखाई की कोई उम्र नहीं होती है. यह साबित किया गाजियाबाद में रहने वाली महिलाओं ने. 60 साल की उम्र पार कर चुकी महिलाएं जिनके घर में पोते-पोतियां हैं वह अब खुद को शिक्षित बनाने के लिए हाथ में कलम पड़ चुकी हैं. शिक्षा के महत्व को समझकर वे अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने की कोशिश में जुटी है. महिलाएं न सिर्फ अपनी जिंदगी को संवारने की कोशिश कर रही, बल्कि इलाके की अन्य महिलाएं जब इन महिलाओं से मिलती हैं या उनकी कहानी के बारे में सुनती हैं तो वह भी शिक्षा की ओर बढ़ रही है.

गाजियाबाद के विजयनगर इलाके की रोजी कॉलोनी की रहने वाली कमलावती की उम्र 62 साल है. घर में बेटे और बेटियों की शादी हो चुकी है. पोते पोतियां भी स्कूल जाने लगे हैं. कमलावती कभी स्कूल नहीं गई. 62 साल की उम्र में कमलावती में जिंदगी को नई दिशा देने के लिए पढ़ाई करनी शुरू कर दी है. रोजी कॉलोनी में युवतियों द्वारा क्लास लगाई जाती है. डेढ़ महीने पहले कमलावती ने क्लास ज्वाइन की. एक महीने में कमलावती 100 तक की गिनती को लिखना सीख गई. कमलावती बताती हैं कि वह क्लास के साथ-साथ घर पर भी पढ़ाई करती हैं.

उनका कहना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती. आजकल के दौर में महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है. रोजी कॉलोनी की ही निवासी शाहजहां की उम्र 68 साल है. शाहजहां बताती हैं बिना पढ़े लिखे जिंदगी बहुत मुश्किल है. कहीं जाते हैं किसी से रास्ता पूछते हैं तो शर्म आती है. बैंक का काम या फिर अन्य किसी काम के लिए पड़ोसियों को साथ लेकर जाना पड़ता है. हम चाहते हैं कि हमें किसी का सहारा ना लेना पड़े. इलाके की युवतियों की मदद से हम पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई करके जिंदगी आसान हो जाएगी अपने काम खुद करने में आसानी होंगी.

महिलाओं को शिक्षित करने वाली आयशा बीए कर रही हैं. आयशा के ग्रुप में कुल 10 युवतियां है, जो इलाके की तकरीबन 10 महिलाओं को फिलहाल शिक्षित करने की मुहिम चला रही हैं. आयशा का कहना है कि शुरुआत में हमने तीन महिलाओं से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब कल 10 महिलाएं ग्रुप में हैं. हमारा मकसद है कि जो भी इलाके की बुजुर्ग महिलाएं पढ़ना चाहती हैं उनको शिक्षित कर सकें.

Last Updated : Mar 8, 2024, 3:27 PM IST
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