लखनऊः उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है. इस मामले में लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए इस भर्ती की पूरी सूची को ही रद्द कर दिया. अब फिर से नई सूची तैयार की जाएगी. जिसमें आरक्षण के नियमों का पालन किया जाएगा. वहीं इसी भर्ती प्रक्रिया में एक नंबर को लेकर हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे अभ्यर्थियों के लिए भी उम्मीद की किरण दिख रही है.
दरअसल 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के अभ्यर्थी अमरेंद्र पटेल ने बताया कि, 6 जनवरी 2019 को 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था. इस परीक्षा का परिणाम 12 मई 2020 को घोषित किया गया था. इस परीक्षा में एक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए थे, जो चारों ही गलत थे. परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के विशेषज्ञों ने एक विकल्प को सही मान लिया था. इसके खिलाफ अभ्यर्थियों ने साल 2020 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए 25 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित करते हुए नियुक्ति देने का आदेश दिया था. जिन्होंने इस प्रश्न को हल करने की कोशिश की थी और एक अंक पाने में सफल हो रहे थे. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. जहां सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2022 को खारिज कर दिया था.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने उन अभ्यार्थियों से 10 से 19 जनवरी 2023 तक ऑनलाइन प्रतिवेदन लिए थे. जिन्हें 25 अगस्त 2021 तक हाईकोर्ट में अपील की थी, जो एक नंबर से पास हो रहे थे. इस आदेश के बाद 3192 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था. जिसमें से 2249 अभ्यर्थियों के आवेदन सहित और मेरिट में आने पर उनकी नियुक्ति का पत्र मिल जाना चाहिए था. हालांकि आरक्षण विवाद को देखते हुए सरकार ने इन अभ्यर्थियों के चयन पर रोक लगा दी थी. अब हाईकोर्ट के डबल बेंच के फैसले के बाद इन अभ्यर्थियों के भी नौकरी पाने की उम्मीद बढ़ गई है.
1. यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।
— Mayawati (@Mayawati) August 17, 2024
फैसले के बहाने मायावती ने सरकार को जमकर घेरा
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती ने उत्तर प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट के फैसले के बाद जमकर घेरा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने पोस्ट किया है. 'यूपी में 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है. इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो. वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है. अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है. सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे'. बता दें कि, हाईकोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई है. इस बैठक में मुख्य सचिव के अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मंथन किया जाएगा. शिक्षा मंत्री सहित विभाग के सभी अधिकारी इस मीटिंग में मौजूद रहेंगे. उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है.
सपा सुप्रीमो ने हाईकोर्ट को दिया धन्यवाद
वाराणसी: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने वाराणसी एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में शिक्षक भर्ती पर आए कोर्ट के फैसले का समर्थन किया और कोर्ट को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि, यह पिछड़ों की संघर्ष की लड़ाई थी, जो बहुत लंबी थी. लेकिन आज कामयाब हो गई है. इसके लिए मैं सभी को बधाई भी देता हूं. आगे उन्होंने उपचुनाव को लेकर कहा कि, यूपी चुनाव में पीडीए की जीत होने वाली है. पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रही है. गठबंधन के साथ मिलकर उपचुनाव पार्टी लड़ेगी और जीतेगी. इस दौरान अखिलेश यादव ने सरकार पर कई सवाल खड़े किए.
तीन महीने के अंदर कोर्ट के आदेश का होगा पालन
वाराणसी: हाईकोर्ट के फैसले बीजेपी के सहयोगी दल और कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर ने वाराणसी ने कहा कि, मैं कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. 3 महीने के अंदर सरकार इस आदेश को इंप्लीमेंट करेगी और यह उन लोगों के लिए बड़ी जीत है जो बच्चे आंदोलन कर रहे थे.
प्रमोद तिवारी ने हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत
प्रयागराज: 69,000 शिक्षक भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले का कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि, शिक्षा देने वाले शिक्षकों को ही न्याय नहीं मिला. शिक्षक भर्ती में आरक्षण के नियमों और बेसिक शिक्षा परिषद के नियमों का पालन नहीं किया गया है. जिस कारण हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती को रद्द कर दोबारा मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि, हाईकोर्ट के फैसले से योगी सरकार के मंत्रियों के बयान पर भी मुहर लग गई है कि, शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई है. उसी कारण से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और अपना दल एस की सांसद केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी सवाल खड़े किए थे.
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