कोटा: संभाग के सीबीएसई स्कूल के कोटा सहोदया कांप्लेक्स की तरफ से 17वां शिक्षक सम्मान समारोह रविवार को डीसीएम रोड स्थित निजी होटल में आयोजित हुआ. इस समारोह को संबोधित करते हुए वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो कैलाश सोडाणी ने कहा कि शिक्षकों को स्टूडेंट में अब राष्ट्रभाव पैदा करना होगा. क्योंकि मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी देश में बड़ी संख्या में स्टूडेंट कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि टॉप 10 में से 9 आईआईटियन जर्मनी, जापान व अमेरिका चले जाते हैं. वहीं आईआईटी और एम्स में पढ़ने वाले 62 फीसदी स्टूडेंट विदेश चले जाते हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली एम्स में एक एमबीबीएस कोर्स में सरकार का करीब 2 करोड़ खर्च होता है, लेकिन वहां से पासआउट होने के बाद विदेश की तरफ मूव कर जाता है. वह कोटा या रामगंज मंडी में सेवा नहीं देना चाहता है. ऐसे में यह मानसिकता बदलनी चाहिए. शिक्षकों की ही यह जिम्मेदारी है. जिसके लिए विद्यार्थियों में राष्ट्रभाव पैदा करना होगा. मुख्य अतिथि लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने कहा कि बदलते परिवेश में शिक्षकों को बच्चों के अनुरूप उनकी जिज्ञासा और रुचि को देखते हुए ही आगे बढ़ाना चाहिए. बच्चों को सही दिशा और जीवन मूल्यों के बारे में भी शिक्षक ही प्रेरणा देते हैं, इसीलिए शिक्षक को सम्मानित माना गया है.
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छात्रवृत्ति स्कीम लॉन्च: कोटा सहोदय कांप्लेक्स के अध्यक्ष डॉ प्रदीप सिंह बोर्ड ने बताया कि समारोह में अतिथियों ने कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ और सवाई माधोपुर के सीबीएसई स्कूल के 148 टीचर्स और 74 को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के दौरान कोटा सहोदय कांप्लेक्स की तरफ से शिक्षा से वंचित छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति स्कीम लॉन्चिंग भी की गई. इसके साथ ही कोटा सहोदय कांप्लेक्स के न्यूज लेटर को भी लॉन्च किया गया. विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक केके शर्मा व सहोदय की महासचिव लता कोठारी मौजूद थे.
जापान में टीचर होना गर्व की बात, भारत में वह सम्मान नहीं मिला: प्रो सोडाणी ने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान और नॉलेज की है. दुनिया की ताकत भी यही होगी. यह सब ज्ञान भी टीचर की बदौलत ही मिल सकता है, लेकिन आज भी टीचर को भारत में वह सम्मान नहीं मिलता है. जबकि देश जब आजाद हुआ था 1947 में तब 18 फीसदी लोग साक्षर थे, जबकि वर्तमान में यह साक्षरता दर 83 फीसदी हो गई है. इंजीनियरों ने देश को अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करके दिया है. जापान में शिक्षक को सम्मान मिलता है, वहां टीचर होना गर्व का विषय होता है. लेकिन भारतीय जनमानस में अभी यह नहीं है.
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विकसित देश बनने के लिए डेवलप होना चाहिए वर्क कल्चर: प्रो सोडाणी ने कहा कि टीचर के उत्तरदायित्व की बड़ी जिम्मेदारी हमारे पर है. अभी हमारे देश में काम से मोह पैदा नहीं हुआ है. वर्क कल्चर डेवलप नहीं हुआ है. उन्होंने राजनेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि वह 18 घंटे काम करते हैं, जबकि अधिकांश लोगों का छुट्टियों के प्रति मोह है. भारत ही विश्व में एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें सबसे ज्यादा छुट्टी होती है. इसीलिए अगर भारत को 2047 में दुनिया का नंबर वन देश बनाना है, तो हमें वर्क कल्चर डेवलप करना होगा. इसके लिए हमें अपने वर्किंग ऑवर भी बढ़ाने होंगे.